राजीव रंजन झा :
अगर आपकी इजाजत हो तो सबसे पहले जरा अपनी पीठ थपथपा लूँ! ‘करीब 5200 तक उछाल की दिखती है गुंजाइश’ - यह शीर्षक था जनवरी 2012 के निवेश मंथन में राग बाजारी का। इसे लिखा गया था दिसंबर के अंत में, जब निफ्टी ने 4531 के निचले स्तर को बस उसी समय छुआ था। तब बाजार में काफी गहरी गिरावट के अंदेशे थे और यह शीर्षक देते समय समूचे बाजार की सोच से उल्टा कुछ लिखने में एक डर भी लग रहा था। लेकिन इस डर को पीछे हटा कर मैंने लिखा था, ‘यहाँ दो संभावनाएँ बनती हैं।
पहली यह कि निफ्टी 4531 की ताजा तलहटी को तोड़ दे और 4400-4200 तक फिसलने का अधूरा रह गया काम पूरा करे। दूसरी संभावना यह होगी कि निफ्टी 4531 से करीब 600-700 अंक तक की नयी उछाल फिर से भरे, यानी 5100-5200 के पास तक जाये।‘
इसके आगे की स्थिति के बारे में मैंने लिखा था, ‘5100-5200 के स्तर पर दूसरी संभावना यह भी होगी कि निफ्टी अपनी बढ़त को कायम रखे और नवंबर 2010 से चल रही गिरती पट्टी की ऊपरी रेखा को पार करके इसके ऊपर निकल जाये। ध्यान रखें कि निफ्टी जब भी इस पट्टी की ऊपरी रेखा को पार करेगा, तो वह बाजार में कमजोरी का दौर पूरा होने का एक बड़ा संकेत होगा।‘
अभी बाजार उसी दौर से गुजर रहा है, जिसकी चर्चा इन पंक्तियों में की गयी थी। निफ्टी ने 5200 का स्तर पार करने के बाद और भी 460 अंक की उछाल भरी और 5630 तक चला गया।
बाजार की अगली दिशा के बारे में उम्मीदें और आशंकाएँ अब भी इस संरचना को ध्यान में रख कर बन रही हैं। निफ्टी के चार्ट में इस पट्टी की ताजा स्थिति को देखें। नवंबर 2010 से 2011 के तमाम शिखरों को मिलाती इसकी ऊपरी रुझान रेखा अभी 5150 के आसपास है। इससे ठीक ऊपर 200 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) 5170 के पास है, जबकि 100 दिनों का एसएमए 5035 पर और 50 दिनों का एसएमए 5081 पर है। यह ऊपरी रुझान रेखा कटने पर बाजार में फिर एक बड़ी गिरावट का खतरा बन जायेगा, क्योंकि उस स्थिति में यह फिर से 200 दिनों के एसएमए के भी नीचे होगा, जो अभी 5169 पर है।
वहीं ऊपर की ओर नयी चाल बनने की स्थिति तभी आयेगी, जब निफ्टी हाल के शिखर 5630 को पार करे। हालाँकि 5371 से 5435 का दायरा पार करने पर थोड़ा सकारात्मक नजरिया बनाया जा सकता है। ऊपर के चार्ट में आप देख सकते हैं कि 5371 पर हाल की 4531-5360 की उछाल की 23.6% वापसी है। यह स्तर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अक्टूबर 2008 की तलहटी 2253 से नवंबर 2010 के शिखर 6339 तक की उछाल की 23.6% वापसी भी ५३७४ पर है। वहीं 5435 का स्तर 6339 से 4531 तक की गिरावट की 50% वापसी का स्तर है। मोटी बात यह है कि करीब 5150-5170 का दायरा टूटने पर बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है, जबकि 5630 के आगे बढऩे पर एक और शानदार उछाल का स्वागत करने के लिए तैयार रहें।
म्यूचुअल फंड बिकवाल रह कर कितने फायदे में?
जनवरी के पहले हफ्ते से भारतीय शेयर बाजार में तेजी चल रही है और इस पूरी तेजी के दौरान म्यूचुअल फंड लगातार बिकवाल ही रहे हैं। पहली नजर में लगता है कि वे बाजार की इस तेजी को समझने और उसका फायदा उठाने में नाकाम रहे। लेकिन फरवरी के आखिरी हफ्ते में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट देखें पता चलता है कि कुल 334 म्यूचुअल फंड इक्विटी योजनाओं में से 194 योजनाओं का बीते 1 महीने का लाभ इस दौरान सेंसेक्स की 9.8% बढ़त से ज्यादा रहा। दूसरी ओर केवल 140 योजनाओं ने सेंसेक्स से धीमा प्रदर्शन किया। यानी ज्यादा संभावना यही है कि बीते एक महीने के दौरान आपके फंड मैनेजर ने आपको बाजार से बेहतर फायदा दिलाया। चाहे बेच कर या खरीद कर, उससे क्या फर्क पड़ता है?
अक्सर पहली नजर में ऐसा दिखता है कि म्यूचुअल फंड भारतीय बाजार को गिरावट के समय सहारा देने का फर्ज निभाने की कोशिश करते हैं और जैसे ही बाजार थोड़ा चढ़ता है, वैसे ही मुनाफावसूली के लिए बेताब हो जाते हैं। लेकिन यह केवल बाजार को कमजोरी के दौरान सहारा देने का फर्ज निभाना नहीं है, बल्कि एक शानदार निवेश रणनीति भी है। आखिर एक निवेशक का काम क्या है? सस्ते दाम पर खरीदना और जब अच्छे भाव मिलें तो बेच कर मुनाफा कमाना, यही ना!
म्यूचुअल फंड हर बार इस रणनीति में सफल रहे हों, ऐसा भी नहीं है। वरना बाजार में हाल की उछाल के बाद भी उनकी 74 इक्विटी योजनाएँ बीते एक साल के लिहाज से नुकसान में नहीं होतीं। आखिर म्यूचुअल फंड फरवरी 2011 में खरीदारी कर रहे थे, जब सेंसेक्स 17,290-18690 के दायरे में था। मगर सितंबर-अक्टूबर 2011 में सेंसेक्स 15,745-17,908 पर रहने के दौरान वे बिकवाली कर रहे थे।
टॉरस म्यूचुअल फंड के एमडी आर के गुप्ता से बात की तो उन्होंने अनुमान जताया कि कई म्यूचुअल फंड अभी शायद अपने उन निवेशकों की ओर से पैसा निकाले जाने (रिडेंप्शन) का दबाव भी झेल रहे होंगे, जो बीते 2 सालों से खुद को फँस गया मान रहे थे। इसके अलावा म्यूचुअल फंडों में आम धारणा यह है कि मार्च में बजट के आसपास मुनाफावसूली के चलते गिरावट आयेगी।
इसे कहते हैं लंबी अवधि के निवेश का फायदा
सिटीग्रुप ने एचडीएफसी में अपनी समूची 9.85% हिस्सेदारी इस फरवरी के अंत में बेच दी और अपने निवेश पर शानदार मुनाफा कमाया। इस घटना ने यह बात स्पष्ट की है कि अगर आप अच्छे शेयर चुन कर निवेश करें और पर्याप्त समय तक बढऩे का मौका दें तो शेयर बाजार आपको काफी अच्छा फायदा दे सकता है। एचडीएफसी में सिटीग्रुप का निवेश साल 2005 और 2006 का था। इसके बाद 2007-2008 का उन्माद भी आया और निराशा का दौर भी। इन सबके बीच सिटी ने समझदार निवेशक की तरह अपना निवेश 5-6 साल तक बनाये रखा।
नतीजा सामने है। साल 2006 में सिटी ने एचडीएफसी की 9.3% हिस्सेदारी 67.3 करोड़ डॉलर (3,020 करोड़ रुपये) में खरीदी थी। अभी इसने 9.85% हिस्सेदारी 190 करोड़ डॉलर में बेची। सिटी को एचडीएफसी में इस निवेश पर 110 करोड़ डॉलर का कर-पूर्व लाभ और 72.2 करोड़ डॉलर (3,550 करोड़ रुपये) का कर-बाद लाभ मिला है। पिछले साल भी सिटी ने एचडीएफसी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेची थी।
प्राइवेट इक्विटी फर्म कार्लाइल ने भी फरवरी की शुरुआत में एचडीएफसी में 2007 में किये गये निवेश को बेचा। इसने करीब 2 करोड़ शेयर बेच कर 1,350 करोड़ रुपये हासिल किये। इस निवेश पर कार्लाइल को 100% से ज्यादा फायदा मिला। कार्लाइल ने एचडीएफसी में अपनी कुल 5.6% हिस्सेदारी का केवल एक चौथाई भाग ही बेचा है और बाकी निवेश बनाये रखा है।
एक आम निवेशक को इन घटनाओं से यह समझना चाहिए कि शेयर बाजार में पैसे किस तरह बनते हैं। हर दिन चवन्नी को अठन्नी बनाने के फेर में शेयर बाजार में दाँव लगाते रहने वालों को अपनी सारी पूँजी गँवाते देखा जा सकता है। लेकिन धैर्य के साथ अपने निवेश को बढऩे का मौका देने वाले लोग अपनी पूँजी नहीं गँवाते और अक्सर अच्छा मुनाफा लेकर ही शेयर बाजार से निकलते हैं। शर्त केवल यही है कि आपने शेयर का चुनाव सही तरीके से किया हो।
मैं यह नहीं कह रहा कि शेयर बाजार में रोजमर्रा के सौदे (ट्रेडिंग) करना कोई गलत बात है। लेकिन ध्यान रखें कि वह एक अलग कला है और एक तरह से पूरे समय का काम है। अगर अच्छी तरह सीख कर और पूरा समय दे कर सौदे करने उतरें तो यह आपकी कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है। लेकिन यह पेशेवर कारोबारी बनने की बात है।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)