भारतीय जीवन बीमा उद्योग की चौथी सबसे बड़ी निजी कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने अपनी कंपनी प्रतिद्वंद्वी एचडीएफसी लाइफ के साथ विलय का फैसला किया है। यह दोहरा विलय होगा। पहले मैक्स लाइफ का विलय अपनी पितृ कंपनी मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमएफएसएल) के साथ होगा
भारतीय जीवन बीमा उद्योग की चौथी सबसे बड़ी निजी कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने अपनी कंपनी प्रतिद्वंद्वी एचडीएफसी लाइफ के साथ विलय का फैसला किया है। यह दोहरा विलय होगा। पहले मैक्स लाइफ का विलय अपनी पितृ कंपनी मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमएफएसएल) के साथ होगा और फिर एमएफएसएल का विलय एचडीएफसी लाइफ के साथ होगा। विलय के बाद बनने वाली कंपनी को एचडीएफसी लाइफ के नाम से ही जाना जायेगा। मैक्स लाइफ अपने क्षेत्र में फायदा कमाने वाली कुछ चुनिंदा कंपनियों में से एक है। मार्च 2016 में समाप्त हुए कारोबारी साल में कंपनी को 439 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। कारोबारी साल 2015-16 के आखिर तक कंपनी का एयूएम 35,824 करोड़ रुपये था। दूसरी ओर इसी दौरान एचडीएफसी लाइफ का एयूएम 74,247 करोड़ रुपये था और इसे बीते साल 818 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। ऐसे में इन दोनों कंपनियों के विलय से एयूएम और नये कारोबारी प्रीमियम के लिहाज से एचडीएफसी लाइफ देश की सबसे बड़ी निजी जीवन बीमा कंपनी बन जायेगी। हालाँकि लाभ के लिहाज से यह अभी भी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ से पीछे ही रहेगी। मैक्स इंडिया के चेयरमैन अनलजीत सिंह ने विलय की घोषणा के बाद कहा कि मैक्स लाइफ का अपने से दोगुने आकार की कंपनी के साथ विलय होना पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और कंपनी के साझेदारों के लिए अच्छी बात है। इस विलय से इन कंपनियों के साझेदारों को क्या मिलेगा, यह जानने के लिए यह देखना अहम है कि किस कंपनी में किसकी कितनी हिस्सेदारी है। मैक्स लाइफ में 68.01' हिस्सा इसकी पितृ कंपनी एमएफएसएल के पास, 5.99' हिस्सा ऐक्सिस बैंक के पास और बाकी 26' हिस्सा मित्सुई सुमिटोमो के पास है। दूसरी ओर एचडीएफसी लाइफ में एचडीएफसी के पास 61.63', स्टैंडर्ड लाइफ के पास 35' और अजीम प्रेमजी के पास तकरीबन 1' हिस्सा है। इसके अलावा यहाँ यह देखना भी जरूरी है कि इन दोनों का वितरण नेटवर्क कैसा है और आगे यह कैसे काम करेगा। जहाँ एचडीएफसी लाइफ के लिए एचडीएफसी बैंक का वितरण नेटवर्क उपलब्ध है और इससे कंपनी को 70' आमदनी हासिल होती है, वहीं मैक्स लाइफ को इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके लिए इसने ऐक्सिस बैंक के साथ समझौता कर रखा है, जो साल 2021 तक के लिए है। यहाँ यह ध्यान देना भी अहम है कि ऐक्सिस बैंक के जरिये बिक्री से मैक्स लाइफ की आधी से अधिक आमदनी (लगभग 60') आती है। ऐसे में यह देखना होगा कि विलय के बाद ऐक्सिस बैंक ब्रांडिंग के मसले के चलते एचडीएफसी लाइफ के उत्पाद बेचने को तैयार होता है या नहीं। चूँकि एमएफएसएल भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध है, ऐसे में रिवर्स मर्जर के जरिये एचडीएफसी लाइफ की शेयर बाजार तक सीधी पहुँच बन जायेगी और इसे इसके लिए आईपीओ लाने जैसे कामों से मुक्ति मिल जायेगी। इसके अलावा इन दोनों कंपनियों की अलग-अलग क्षेत्रों में भौगोलिक उपस्थिति भी इनके लिए फायदेमंद साबित होगी। जहाँ मैक्स लाइफ की पहुँच उत्तर भारत में बेहतर है, वहीं एचडीएफसी लाइफ पश्चिमी भारत में मजबूत है। अभी स्थिति यह है कि एचडीएफसी लाइफ की यूलिप पर निर्भरता 54' है, जबकि मैक्स लाइफ के लिए यह केवल 23' ही है। मैक्स लाइफ के उत्पादों में नॉन-यूलिप की अधिकता है, ऐसे में इन दोनों के मिलने से इनका प्रॉडक्ट मिक्स भी बेहतर हो जायेगा। इस विलय से एक और सवाल खड़ा हो रहा है। क्या इस विलय के साथ इस क्षेत्र में विलय और एकीकरण का दौर शुरू हो गया है? क्योंकि भारत में जीवन बीमा उद्योग में कई सारी ऐसी कंपनियाँ हैं जो कई सालों तक काम करने के बावजूद अपना वजूद तक ठीक से नहीं बना सकी हैं, फायदा कमाना तो दूर की कौड़ी है। देश में इस समय 24 जीवन बीमा कंपनियाँ काम कर रही हैं। इनमें से अकेले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास 70' से अधिक बाजार हिस्सेदारी है। बाकी 23 निजी जीवन बीमा कंपनियाँ हैं, जिनके पास इस बाजार में लगभग 30' हिस्सेदारी है। इनमें से चार कंपनियों (आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ, एचडीएफसी लाइफ, एसबीआई लाइफ और मैक्स लाइफ) के पास इसका 65' बाजार है, जबकि बाकी 19 के पास लगभग 35' हिस्सेदारी है। इन 19 में से कई के पास तो बाजार में एक फीसदी से भी कम हिस्सेदारी है। ऐसे में इन कम स्थापित कंपनियों के लिए यही बेहतर होगा कि वे इस क्षेत्र से बाहर निकल जायें। दूसरी ओर अपेक्षाकृत बड़ी कंपनी को इनका वितरण नेटवर्क हासिल होगा, जो उनकी पहुँच को और अधिक बढ़ायेगा।