डाबर इंडिया ने इस कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया था,जो बाजार के अनुमानों से थोड़ा आगे था।इसकी तिमाही कंसोलिडेटेड सकल बिक्री सालाना आधार पर 29.5% बढ़ कर 1,270 करोड़ रुपये हो गयी। इस बढ़ोतरी में बिक्री की मात्रा 10% बढऩे का भी योगदान रहा।
हाल के अधिग्रहणों की वजह से इसका अंतरराष्ट्रीय कारोबार दोगुना हो गया। हालाँकि इसका तिमाही मुनाफा 8.4% की धीमी रफ्तार से बढ़ कर 173.86 करोड़ रुपये रहा।
दूसरी तिमाही में इसका ऑपरेटिंग मार्जिन 20.9% से घट कर 18.7% पर आ गया। हालाँकि कंपनी ने अपने मार्जिन को बढ़ती महँगाई दर के असर से बचाने के लिए एक तरफ तो अपने उत्पादों की कीमतें नपे-तुले ढंग से बढ़ायीं, दूसरी तरफ इसने लागत घटाने के उपायों पर जोर दिया। अपने वितरण ज्यादा चाक-चौबंद बनाने के लिए इसने कंज्यूमर हेल्थ और कंज्यूमर केयर विभागों को मिला दिया, जिससे इन दोनों के वितरण नेटवर्क का पूरा फायदा उठाया जा सके।
एंजेल ब्रोकिंग ने एक ताजा रिपोर्ट में इस शेयर को निचले भावों पर जमा (एकम्युलेट) करने की सलाह दी है और इसका 12 महीने का लक्ष्य भाव 115 रुपये बताया है। वहीं आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने 120 रुपये के लक्ष्य के साथइसे खरीदने की सलाह दी है। इडेलवाइज ने कंपनी प्रबंधन से हाल में बातचीत के बाद जारी रिपोर्ट में उम्मीद जतायी है कि कंपनी तीसरी तिमाही में बिक्री की मात्रा बढऩे की रफ्तार तेज कर सकेगी।साथ ही इडेलवाइज ने इसके मार्जिन पर दबाव घटने की भी उम्मीद जतायी है।इसने भी 120 रुपये के लक्ष्य साथडाबर को खरीदने की सलाह दी है।
यह शेयर फरवरी 2011 में 87 रुपये से चढ़ कर मई 2011 के अंत में 123 रुपये के शिखर तक चढ़ा था। इसके बाद यह लगातार फिसलने लगा। नवंबर में इसने 87-123 की उछाल की 80% वापसी के स्तर 94 रुपये के आसपास अच्छा सहारा लिया है।इसके ऊपर 61.8% वापसी 101 रुपये पर है। इसका 50 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज भी 100 रुपये के पास चल रहा है। अगर यह 100 रुपये के स्तर के ऊपर टिक सका तो इन दोनों बाधाओं के पार होने के साथ-साथ एक बड़ी मनोवैज्ञानिक बाधा भी पार हो जायेगी। वैसी हालत में यह निकट भविष्य में भी 109-115 के स्तरों की ओर जा सकेगा। लेकिन 94 के नीचे फिसलने पर इसमें जोखिम बढ़ जायेगा। वैसी हालत में गिरावट थमने का इंतजार करना बेहतर होगा।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)