खुदरा क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने का सरकारी फैसला आते ही देश के छोटे-बड़े व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया। वे इसे कॉर्पोरेट घरानों के लिए बेलआउट पैकेज करार दे रहे हैं।
उनका कहना है कि इससे देश के खुदरा कारोबार में असंतुलित प्रतिस्पर्धा होगी, जिसका सीधा फायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुँचेगा। उनका तर्क है कि इससे देश में महँगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने कहा है कि सरकार ने खुदरा व्यापार में लगे लगभग 5 करोड़ व्यापारियों और इस क्षेत्र से रोजी-रोटी कमाने वाले अन्य 20 करोड़ लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा। सीएआईटी का आरोप है कि जिन देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अनेक वर्षों से व्यापार कर रही हैं, उन देशों में खुदरा कारोबार की हालत और वहाँ किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं की हालत पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया।सरकार को अपनी ताकत और विरोध की तीव्रता का अहसास कराने के लिए व्यापारी संगठनों ने एक दिसंबर को भारत बंद का भी आयोजन किया, जिसे कहीं व्यापक और कहीं आंशिक समर्थन मिला।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)