सुशांत शेखर :
पिछले कुछ महीनों के दौरान भारतीय स्मार्टफोन उद्योग में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहे हैं।
ये बदलाव बहुआयामी हैं और भविष्य में स्मार्टफोन उद्योग की दिशा बिल्कुल बदलकर रख देने वाले हैं। इन बदलावों में सबसे अहम है कंपनियों का सस्ते, फिर भी बेहतर गुणवत्ता वाले स्मार्टफोन पर जोर देना। साथ ही स्मार्टफोन बिक्री के बदलते तरीकों और चीनी कंपनियों की धमक ने भी उद्योग में हलचल मचा दी है।
दरअसल भारत में स्मार्टफोन का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक मार्केट रिसर्च फर्म स्ट्रैटेजी एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 2019 तक अमेरिका को पीछे छोड़ कर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन जाने की उम्मीद है। एक और वैश्विक मार्केट रिसर्च फर्म आईडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत में कंपनियों ने कुल 1.84 करोड़ फोन बाजार में उतारे, जो पिछले साल की समान अवधि के लगभग 1 करोड़ फोन से 83% ज्यादा हैं।
छोटा पैकेट, बड़ा धमाका
भारत के बड़े बाजार पर कब्जे के लिए कंपनियाँ बड़े दाँव खेल रही हैं। इसी कड़ी में दुनिया की दो दिग्गज कंपनियों गूगल और मॉजिला ने सितंबर में अपने सस्ते फोन उतारे। गूगल ने अपने एंड्रॉयड वन प्लेटफॉर्म को पेश करने के लिए भारत को चुना। गूगल ने इसके लिए माइक्रोमैक्स, कार्बन, स्पाइस जैसी कंपनियों के साथ करार किया है, जो उसके मानदंड के मुताबिक फोन बना रही हैं। इनकी कीमत 6,349 रुपये से शुरू होती है। गूगल ने वादा किया है कि एंड्रॉयड के आगे आने वाले सभी अपडेट उसके अपने नेक्सस फोन के साथ एंड्रॉयड वन फोन पर भी मिलेंगे।
इसी तरह मॉजिला ने इंटेक्स और स्पाइस के साथ मिल कर सिर्फ 1999 रुपये से शुरू होने वाले स्मार्टफोन उतारे, जो फायरफॉक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं। फायरफॉक्स वाले फोन एंड्रॉयड जैसे तेज तो नहीं हैं, लेकिन इनसे रोजमर्रा के सभी काम हो जाते हैं। एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर भी जिवी जैसी कंपनी ने सिर्फ 1,999 रुपये में फोन उतार दिये हैं।
चीनी कंपनियों की धमक
भारतीय स्मार्टफोन उद्योग में चीन की दिग्गज मोबाइल कंपनियों के बढ़ते दबदबे ने दूसरी घरेलू और विदेशी कंपनियों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। यों तो लेनोवो, ह्युवाई, जेडटीई, ओपो जैसी दिग्गज चीनी कंपनियाँ पहले से ही भारतीय बाजार में हैं। लेकिन चीन की एक और दिग्गज कंपनी शिओमी ने भारतीय कंपनियों को हिला कर रख दिया।
शिओमी के दो फोन एमआई 3 और रेडमी 1एस को भारतीय ग्राहकों ने हाथों हाथ लिया और उसके फोन चंद सेकेंडों में ही बिक गये। कंपनी हर मंगलवार को दोपहर 2 बजे फ्लिपकार्ट पर अपने फोन बेचती है और उसके लिए बाकायदा रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। इन दोनों फोन की खासियत यह है कि इनमें जो हार्डवेयर और साफ्टवेयर मुहैया कराये गये हैं, किसी दूसरी कंपनी के उस तरह के फोन खरीदना चाहें तो शिओमी से कम-से-कम दोगुनी कीमत चुकानी पड़ेगी। कंपनियों ने शिओमी की लोकप्रियता देख कर दूसरी कंपनियों ने इसके मुकाबले में फोन उतारने की कोशिशें तेज कर दी हैं। शिओमी के बाद एक और दिग्गज चीनी कंपनी वन प्लस वन भी भारत में उतरने के लिए तैयार है।
केवल इंटरनेट पर
भारतीय स्मार्टफोन उद्योग में सिर्फ ऑनलाइन बिक्री का नया चलन शुरू हो गया है। शिओमी अपने फोन सिर्फ फ्लिपकार्ट पर बेच रही है तो इसके पहले मोटोरोला ने भारत में वापसी करते समय मोटो जी के सीरीज के सभी फोन सिर्फ फ्लिपकार्ट से बेचे। ताइवान की आसुस ने भारत में जेनफोन सीरीज के फोन के लिए सिर्फ फ्लिपकार्ट को चुना। गूगल एंड्रॉयड वन सीरीज के तीनों फोन फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अमेजन पर ही मिलते हैं। फिनलैंड की कंपनी योला ने भारत में प्रवेश करते हुए फोन बेचने के लिए स्नैपडील को चुना।
नये फोन सिर्फ ऑनलाइन बेचने के साथ पुराने फोन की ऑनलाइन और स्टोर पर उपलब्ध कीमतों में काफी फर्क नजर आता है। मसलन ऐप्पल ने आईफोन 6 के लॉन्च से पहले आईफोन 5 के लिए ऑनलाइन कंपनियों को ज्यादा मार्जिन दिया, जिससे ये स्टोर के मुकाबले 8,000-10,000 रुपये तक सस्ते हो गये।
कीमतों के इस फर्क से ऑनलाइन कंपनियों और खुदरा मोबाइल स्टोर चलाने वालों के बीच तनातनी बढ़ गयी। इसमें मोबाइल कंपनियों को भी पक्ष बनाया गया। खुदरा स्टोरों के दबाव के बीच सैमसंग ने तो ऐलान कर दिया है कि वो अपने फोन ऑनलाइन बेचेगी ही नहीं।
इस तकरार के बावजूद यह तो साफ है कि कैश ऑन डिलीवरी, 30 दिनों में वापसी, अगले ही दिन डिलीवरी जैसी सेवाओं की वजह से ऑनलाइन फोन खरीदारी भारतीय ग्राहकों को खूब भा रही है। फ्लिपकार्ट, अमेजन और स्नैपडील जैसी कंपनियों ने ऑनलाइन रिटेल में जिस तरह भारी निवेश किया है, उससे यही लगता है कि आगे आने वाला दौर ऑनलाइन रिटेल का ही है।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)