अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में सुस्ती के बीच भारतीय बाजार में त्यौहारी मौसम में माँग बढ़ती दिख रही है।
आभूषण कंपनियों का कहना है कि नवरात्रि और धनतेरस-दीवाली के मौके पर माँग में 25-30% तक माँग बढऩे की उम्मीद है। पीसी ज्वेलर के एमडी बलराम गर्ग का कहना है कि इस बार कीमतें कम रहने के कारण श्राद्ध के दौरान भी माँग की स्थिति बेहतर ही थी। उनके मुताबिक नवरात्रि शुरू होने के बाद माँग और बेहतर हुई, क्योंकि सोने के भाव पिछले साल से कम हैं।
राजेश एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन राजेश मेहता के अनुसार भी इस बार त्यौहारों में माँग अच्छी आ रही है। लेकिन उनका कहना है कि कीमतों पर खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि कीमतें अंतरराष्ट्रीय भाव के हिसाब से तय होती हैं। वे कहते हैं, ‘दीवाली तक हम माँग अच्छी बनी रहने की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले साल से करीब 25% तक ज्यादा माँग दिखने की उम्मीद है।‘
बलराम गर्ग और ज्यादा सकारात्मक उम्मीदें कर रहे हैं। उनके मुताबिक पिछले साल की नवरात्रि की तुलना में इस बार माँग करीब 30% तक ज्यादा रहनी चाहिए। वे कहते हैं कि अगर इसी तरह का रुझान धनतेरस-दीवाली तक भी चला तो उस समय तक भी लगभग इसी दर से माँग तेज रहेगी।
गर्ग बताते हैं कि नवरात्रि शुरू होने के बाद कीमतें थोड़ी बढ़ीं, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। उनके शब्दों में, ‘भाव 200-300 रुपये ऊपर-नीचे तो चलते ही रहते हैं। अभी भी 22 कैरेट सोने की कीमत 26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे ही है। स्टैंडर्ड की कीमत अभी 27,000 रुपये के आसपास है। पहले तो सोने की कीमत 30,000 रुपये के ऊपर भी चली गयी थी। अभी दो महीने पहले तक भी इसकी कीमत 29,000 रुपये के पास थी। वहाँ से भाव नीचे आने के कारण माँग सुधरी है।'
राजेश मेहता ने बताया कि हाल में सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत 1208 डॉलर प्रति औंस तक फिसली। साथ में डॉलर की कीमत 60.80 रुपये से 61 रुपये के आसपास चल रही थी। इसके चलते भारतीय बाजार में भी भाव कम हुए थे। अब डॉलर कुछ महँगा हो गया है और 61.20-61.50 के आसपास आ गया है। अंतरराष्ट्रीय भाव भी 1220 के आसपास आ गये हैं। इसके चलते यहाँ भी भाव कुछ बढ़े हैं। मेहता का मानना है कि भारतीय बाजार में सोने के भाव कुछ समय तक 26,000 से 28,000 रुपये के दायरे में रहेंगे।
गहनों की खरीदारी के नये रुझानों के बारे में गर्ग बताते हैं कि ग्राहकों की दिलचस्पी अब सोने के साथ-साथ हीरे के गहनों में भी बढ़ रही है। वे कहते हैं, ‘सोने में हल्के वजन वाले आभूषणों की माँग ज्यादा है। पिछले 10 सालों में जिस तरह से सोने के दाम बढ़े हैं, उसके चलते लोगों के रुझान को देखते हुए हम ऐसे गहने बना रहे हैं जो दिखने में भारी लगते हैं, लेकिन होते हल्के हैं। ऐसे गहनों की माँग ज्यादा चल रही है।'
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में सुस्ती की बड़ी वजह यह है कि सोने के दो बड़े खरीदार देशों - चीन और भारत में कुछ समय से भौतिक (फिजिकल) माँग घटी है। सोने की सबसे ज्यादा खपत करने वाले देश चीन चीन में आयात अगस्त में घट कर मई 2011 से अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। पिछले साल से ही भारत ने सोने के आयात पर बंदिशें लगा रखी हैं, ताकि देश का चालू खाता घाटा (करंट एकाउंट डेफिसिट या सीएडी) कम रहे। इसके अलावा, प्रमुख पश्चिमी देशों में शेयर बाजार के बेहतर प्रदर्शन की वजह से भी निवेशकों की दिलचस्पी सोने से हट कर शेयरों की ओर बढ़ रही है।
संपदा की सुरक्षा के लिहाज से सोने में निवेश से जुड़ी माँग हाल में घटी है, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आने की उम्मीदें बनी हैं। इसी कारण डॉलर में भी मजबूती आयी है। डॉलर में मजबूती और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाये जाने के अंदेशे की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें दबाव में रही हैं। लेकिन एसएमसी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में त्यौहारी माँग और इराक एवं सीरिया में तनाव की खबरों से सोने की कीमतों को सहारा भी मिलता रहेगा। घरेलू बाजार में रुपये की कमजोरी के कारण भी सोने की गिरावट सीमित ही रहेगी, क्योंकि एक डॉलर की कीमत 61-62.50 रुपये के दायरे में रहने की संभावना है। इन सबके मद्देनजर एसएमसी का अनुमान है कि एमसीएक्स में सोने का भाव आने वाले दिनों में 26,200-27,700 रुपये के दायरे में रह सकता है। वहीं चाँदी की कीमत फिलहाल 38,000 से 42,000 रुपये के दायरे में रहने की संभावना है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्लूजीसी) के मुताबिक साल 2014 के शुरुआती छह महीनों में भारत में आभूषण और निवेश से संबंधित माँग 34% घट कर 394.4 टन रह गयी। पिछले साल आयात पर लगी बंदिशों के चलते यह गिरावट देखने को मिली। डब्लूजीसी का आकलन है कि इस साल भारत में कुल माँग 850-950 टन के बीच रहेगी। हालाँकि अगस्त के महीने में भारत में सोने के आयात में 176% की तेज उछाल दर्ज की गयी है, लेकिन इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले साल अगस्त में अचानक लगी बंदिशों की वजह से सोने का आयात अचानक काफी घट गया था।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)