अक्टूबर-दिसंबर 2013 में इन्फोसिस की शुद्ध बिक्री में साल-दर-साल तो 25% बढ़ोतरी हुई है,
लेकिन तिमाही-दर-तिमाही केवल 0.5% वृद्धि हुई है। शुद्ध बिक्री लगभग सपाट रहने के बावजूद मार्जिन में सुधार और शुद्ध लाभ में वृद्धि दरअसल कामकाजी सुधार और खर्चों पर नियंत्रण का नतीजा है। कुछ हद तक इसमें अन्य आय में वृद्धि ने भी योगदान किया है, खास कर विदेशी मुद्रा लाभ ने। कंपनी ने एबिटा मार्जिन तिमाही-दर-तिमाही 1.64% अंक बढ़ा कर 27.8% कर लिया है। लेकिन बीती तिमाही में मार्जिन में सुधार का एक प्रमुख कारण खर्चों में कटौती है। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि अभी कंपनी पूरी तरह से आक्रामक वृद्धि की ओर बढऩा चाहती है। अगर इसने आक्रामक वृद्धि का लक्ष्य रखा होता तो कर्मचारियों की संख्या में शुद्ध रूप से 1823 लोगों की गिरावट नहीं आयी होती।
टीसीएस : मुनाफा बढ़ा, पर भारत में कामकाज में गिरावट
मुख्यत: अंतरराष्ट्रीय आय में वृद्धि और बेहतर विदेशी मुद्रा लाभ की वजह से अक्टूबर-दिसंबर 2013 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मुनाफे में साल-दर-साल 50.3% की वृद्धि दर्ज की गयी। कंपनी को इस तिमाही में 299 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा लाभ हुआ। इससे पिछले साल की इसी तिमाही में इसे इस मोर्चे पर 377 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसके अलावा बीती तिमाही में प्रत्येक सेगमेंट में अच्छी माँग दर्ज किये जाने की वजह से कंपनी का प्रदर्शन बेहतर रहा। कंपनी ने पाँच करोड़ डॉलर से अधिक के आठ ठेके हासिल किये।
लेकिन जहाँ अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर कारोबार बढ़ा, वहीं भारत में इसके कामकाज में गिरावट आयी। इसके अलावा कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन इस दौरान 0.42% की गिरावट के साथ 29.7% पर आ गया।
अल्ट्राटेक सीमेंट : माँग में कमी से मुनाफा फिसला
अक्टूबर-दिसंबर 2013 में खराब कामकाजी प्रदर्शन की वजह से अल्ट्राटेक सीमेंट के मुनाफे में 38.4% गिरावट आयी और यह फिसल कर 370 करोड़ रुपये रह गया। बिक्री की मात्रा के मोर्चे पर सपाट प्रदर्शन और ढीले-ढाले माँग की वजह से प्राप्तियों में कमी के कारण इस दौरान कंपनी की कामकाजी आय में साल-दर-साल 1.5% की गिरावट आयी और यह 4,786 करोड़ रुपये रहा। कच्चे माल और माल भाड़े आदि के मद में लागत में वृद्धि की वजह से कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 4.97% अंक फिसल कर 16.5% रह गया। जहाँ इस दौरान कच्चे माल की लागत में साल-दर-साल प्रति टन 2.9% की वृद्धि हुई, जबकि माल भाड़े में प्रति टन 4.1% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी।
यस बैंक : गैर ब्याज आय की वजह से बढ़ा लाभ
मुख्यत: गैर ब्याज आय के मद में बढ़ोतरी की वजह से अक्टूबर-दिसंबर 2013 में यस बैंक का शुद्ध लाभ साल-दर-साल 21.4% बढ़ गया। इस दौरान शुल्क आय की सभी श्रेणियों में वृद्धि के कारण बैंक की गैर ब्याज आय 23.9% बढ़ कर 387.9 करोड़ रुपये रही। बैंक के अग्रिम में सधी हुई बढ़ोतरी की वजह से इस दौरान इसकी शुद्ध ब्याज आय में साल-दर-साल 14% की वृद्धि हुई। हालाँकि बैंक की शुद्ध ब्याज मार्जिन में 0.10% अंक की गिरावट आयी और 2.9% रह गया। परिसंपत्तियों की गुणवत्ता के मोर्चे पर भी बैंक की चिंता बढ़ती नजर आयी। बैंक के सकल डूबे कर्ज अक्टूबर-दिसंबर 2012 के 0.17% के मुकाबले बीती तिमाही में 0.39% हो गये। इस दौरान बैंक का कुल व्यय 21.4% बढ़ा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज : अन्य आय ने लगायी नैया पार
अन्य आय में वृद्धि की वजह से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के लाभ में साल-दर-साल के आधार पर मामूली बढ़त दर्ज की गयी। कंपनी की अन्य आय इस दौरान साल-दर-साल 32.5% बढ़ कर 2,305 करोड़ रुपये रही। लेकिन बीती तिमाही में भी केजी डी-6 से होने वाले उत्पादन में गिरावट का क्रम जारी रहा। हालाँकि उत्पादन में गिरावट की रफ्तार अब धीमी पड़ गयी है। परिशोधन सेगमेंट और तेल-गैस सेगमेंट से होने वाले मुनाफे में कमी के कारण इस दौरान कंपनी का एबिटा भी साल-दर-साल 9% फिसल कर 7,622 करोड़ रुपये रहा। परिशोधन सेगमेंट के एबिट में कमी की मुख्य वजह रही इसके सकल रिफाइनिंग मार्जिन में गिरावट। कंपनी का जीआरएम अक्टूबर-दिसंबर 2012 के 9.6 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले फिसल कर 7.6 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
बजाज ऑटो : माँग में कमी ने बिगाड़ा, निर्यात आय ने उबारा
बजाज ऑटो का शुद्ध लाभ 31 दिसंबर 2013 को समाप्त हुई तिमाही में साल-दर-साल 10.48% की वृद्धि हुई। यह कंपनी द्वारा किसी भी तिमाही में दर्ज किया गया सर्वाधिक लाभ है। लेकिन लाभ में यह बढ़ोतरी विदेशी मुद्रा लाभ और अन्य आय में वृद्धि के कारण हुई है। दरअसल मौजूदा साल की तीसरी तिमाही में कंपनी की कुल आमदनी में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले गिरावट आयी है। कंपनी ने माना है कि बीती तिमाही में इसकी बिक्री ढीली-ढाली रही। घरेलू मोटरसाइकिल बाजार में इसकी हिस्सेदारी घटती जा रही है। कंपनी को उम्मीद है कि नये उत्पादों के दम पर यह घरेलू बाजार में बिक्री बढ़ा सकती है। दूसरी ओर बीती तिमाही में निर्यात से होने वाली आय में साल-दर-साल 23% वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन निर्यात की मात्रा में इस दौरान लगभग 12% की गिरावट आयी है।
बायोकॉन : व्यय में कमी से दो अंकों में पहुँचा मुनाफा
अक्टूबर-दिसंबर 2013 में बायोकॉन की आमदनी में केवल 9% की बढ़ोतरी हुई। कंपनी की आय में कमतर बढ़ोतरी की वजह इसका बायोफार्मास्युटिकल्स कारोबार रहा जो इस दौरान महज 2% की दर से बढ़ा। कंपनी की कुल आय में इस श्रेणी का योगदान लगभग 60% होता है। बीती तिमाही में इसे वैश्विक निविदाएँ हासिल करने के अधिक मौके नहीं मिले। हालाँकि अच्छी बात यह रही कि इस दौरान ब्रांडेड फार्मुलेशंस सेगमेंट में 15% और कांट्रैक्ट रिसर्च सर्विसेज सेगमेंट में 31% वृद्धि हुई। अक्टूबर-दिसंबर 2013 में बायोकॉन का मुनाफा 14% की वृद्धि के साथ 105 करोड़ रुपये रहा। कंपनी के मुनाफे पर चोट पडऩी तय थी यदि इस दौरान इसके शोध एवं विकास (आरऐंडडी) व्यय में 50% कमी नहीं आयी होती।
एक्साइड इंडस्ट्रीज : माँग में जारी धीमेपन से घटा लाभ
माँग में धीमापन जारी रहने का सीधा असर बैटरी निर्माता कंपनी एक्साइड इंडस्ट्रीज के प्रदर्शन पर पड़ता दिख रहा है। अक्टूबर-दिसंबर 2013 में आमदनी और मुनाफा दोनों ही मोर्चों पर इसका प्रदर्शन अनुमान से खराब रहा है। कंपनी के मुनाफे में अक्टूबर-दिसंबर 2013 में 25.5% की गिरावट आयी और यह 77.5 करोड़ रुपये रह गया। औद्योगिक बैटरी सेगमेंट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, मोटिव पावर, टेलीकॉम और इन्वर्टर बैटरी की माँग ढीली-ढाली रही। ऑटोमोबाइल बैटरी सेगमेंट का भी कमोबेश यही हाल रहा। इसके अलावा क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पद्र्धा का खामियाजा भी इसे भुगतना पड़ा। मुख्यत: आय में कमी की वजह से एक्साइड इंडस्ट्रीज का एबिटा मार्जिन घट कर 10.9% रह गया।
आईटीसी : बेहतर प्रॉडक्ट मिक्स ने बढ़ायी आमदनी
एग्रीबिजनेस सेगमेंट के जोरदार प्रदर्शन की वजह से अक्टूबर-दिसंबर 2013 में एफएमसीजी कंपनी आईटीसी का शुद्ध लाभ साल-दर-साल 16.3% की वृद्धि के साथ 2,385 करोड़ रुपये रहा। बीती तिमाही के दौरान बेहतरीन प्रॉडक्ट मिक्स के कारण कंपनी के एग्रीबिजनेस सेगमेंट की आमदनी में साल-दर-साल 9.5% और इसके मुनाफे में 19% बढ़ोतरी हुई। आईटीसी के सिगरेट कारोबार की बात करें तो हालाँकि बिक्री की मात्रा में लगभग 2% की गिरावट आयी, लेकिन कंपनी द्वारा कीमतों में की गयी वृद्धि की वजह से इसकी बिक्री 12.5% बढ़ कर 4,116 करोड़ रुपये रही। इसके इस सेगमेंट का एबिट मार्जिन साल-दर-साल 32.8% से बढ़ कर 37.2% हो गया। आईटीसी के होटल कारोबार ने भी इस दौरान शानदार प्रदर्शन किया।
एलऐंडटी : अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन ने उबारा
अंतरराष्ट्रीय कारोबार के बेहतर प्रदर्शन और एकमुश्त अपवादात्मक आय के कारण अक्टूबर-दिसंबर 2013 में एलऐंडटी के मुनाफे में साल-दर-साल 22.4% वृद्धि हुई और यह 1,241 करोड़ रुपये रही। इस दौरान कंपनी की सकल आय 11.7% बढ़ कर 14,534 करोड़ रुपये हो गयी। कंपनी ने लागत में कमी, क्रियान्वयन और कामकाजी दक्षता के मोर्चे पर अधिक प्रयास कर रही है। निवेश के कमजोर माहौल के बावजूद कंपनी को ठेके मिलने की दर में साल-दर-साल 21% की वृद्धि हुई है। धीमेपन और पीपीपी परियोजनाओं में यथास्थिति कायम रहने की वजह से एलऐंडटी ने कारोबारी साल 2013-14 में अपने ऑर्डर बुक में वृद्धि के अनुमान को 20% से घटा कर 15% कर दिया है। हालाँकि इसने अपनी आमदनी और मुनाफे के अनुमान नहीं बदले हैं।
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस : मार्जिन में सुधार से बढ़ा लाभ
कमतर प्रावधानों और मार्जिन में बेहतरी की वजह से बीती अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के मुनाफे में साल-दर-साल 38% की वृद्धि हुई। इसके अलावा कंपनी के पोर्टफोलिओ में निरंतर बढ़ोतरी का रुझान बना हुआ है। अक्टूबर-दिसंबर 2013 में कंपनी की शुद्ध ब्याज आय साल-दर-साल 24% की वृद्धि के साथ 458 करोड़ रुपये रही। इस दौरान कंपनी का शुद्ध ब्याज मार्जिन 2.09% से बढ़ कर 2.16% हो गया। लेकिन इसका शुद्ध एनपीए अक्टूबर-दिसंबर 2012 के 0.45% से बढ़ कर अक्टूबर-दिसंबर 2013 में 0.51% हो गया। ऐसे में डेवलपरों को कर्ज देने में कंपनी एहतियात बरत रही है और इनको दिया गया कर्ज कंपनी के कुल कर्ज का महज 3% है।
हिंदुस्तान जिंक : बिक्री में वृद्धि, रुपये में कमजोरी से बढ़ी आय
आमदनी में बढ़ोतरी और बेहतर मार्जिन के कारण अक्टूबर-दिसंबर 2013 में हिंदुस्तान जिंक का मुनाफा साल-दर-साल 7% बढ़ा। मुख्यत: जस्ते की बिक्री की मात्रा में वृद्धि के कारण कंपनी की आमदनी इस दौरान साल-दर-साल 9% की वृद्धि के साथ 3,410 करोड़ रुपये रही। हालाँकि बीती तिमाही के दौरान खनन की मात्रा में कमी आयी, लेकिन इसके बावजूद कंपनी द्वारा परिशोधित जस्ते की मात्रा में साल-दर-साल 17% की वृद्धि दर्ज की गयी। समेकित बिक्री मात्रा में वृद्धि और रुपये में कमजोरी की वजह से इसका एबिटा मार्जिन 21% की बढ़ोतरी के साथ 1,828 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का मुनाफा और बढ़ सकता था, यदि कंपनी की अन्य आय कम न हुई होती और कर अदायगी में वृद्धि न हुई होती।
(निवेश मंथन, फरवरी 2014)