भारतीय करदाताओं को कर बचाने के मुख्यत: दो तरीके उपलब्ध हैं- पहला, निवेश के जरिये और दूसरा, बीमा की खरीद के माध्यम से।
लेकिन इन दो तरीकों के तहत करदाताओं के पास इतने अधिक विकल्प उपलब्ध होते हैं कि वे इनके चयन के समय भ्रमित हो जाते हैं। दरअसल हर निवेश विकल्प की कुछ कमियाँ होती हैं और कुछ खूबियाँ। कर बचत के लिहाज से कोई निवेश विकल्प कितना अच्छा या खराब है, इसका पता लगाने के तीन आधार हैं- निवेशित राशि पर मिलने वाला लाभ, उसे भुनाने की सुविधा और कर-व्यवस्था। इन्हीं मानकों को आधार बनाते हुए पाठकों के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं आलोक द्विवेदी, ताकि पाठक कर बचत के लिए बेहतर निर्णय ले सकें।
ईएलएसएस : कर लाभ के साथ पूँजी निर्माण
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) ऐसी इक्विटी-केंद्रित म्यूचुअल फंड योजना होती है जिसका लक्ष्य कर बचत उपलब्ध कराने के साथ ही साथ निवेशकों की पूँजी में वृद्धि करना भी होता है। ये ऐसी इक्विटी-केंद्रित म्यूचुअल फंड योजनाएँ होती हैं जिनकी कुल पूँजी का 80-100% शेयरों में लगाया जाता है। ऊँचे रिटर्न देने की क्षमता इसे कर बचत के अन्य विकल्पों के मुकाबले अलग स्थान देती है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं, ‘कर बचत के लिहाज से इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय और सफल रही है।' बोनांजा पोर्टफोलिओ के एसोसिएट फंड मैनेजर हिरेन ढकान भी कहते हैं, ‘लंबी अवधि में शेयरों से मिलने वाले संभावित रिटर्न के मद्देनजर यह मध्यम से उच्च जोखिम ले सकने वाले करदाता के लिए सबसे बेहतर कर-बचत विकल्प है।‘
इससे मिलने वाले कर लाभ की बात करें तो आय कर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत ईएलएसएस में हर साल किया गया एक लाख रुपये तक का निवेश उस निवेशक की कर योग्य आय से घटा दिया जाता है। इसके अलावा धारा 10 (38) के तहत ईएलएसएस से होने वाला पूँजीगत लाभ कर-मुक्त होता है। साथ ही साथ धारा 10(35) के तहत इससे मिलने वाला लाभांश भी कर-मुक्त होता है।
इसके अलावा इसकी एक खास बात यह भी है कि कर बचत के विभिन्न उपलब्ध विकल्पों में इसकी लॉक-इन अवधि सबसे कम है। ढकान कहते हैं, %कर-बचत के बाकी विकल्पों के मुकाबले ईएलएसएस अपनी कम लॉक-इन अवधि की वजह से बेहतर है। इसकी लॉक-इन अवधि महज तीन साल है जो कर-बचत के विकल्पों में सबसे कम है।Ó लेकिन यह लॉक-इन अवधि इस लिहाज से पर्याप्त है कि शेयर बाजार में निरंतर आते रहने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम से अपने निवेशकों को बचा सके। सोलंकी भी इस मसले पर ढकान से सहमति जताते हैं। वे कहते हैं, %ईएलएसएस से संबंधित सबसे अहम बात है इसकी तीन साल की लॉक-इन अवधि। इस लॉक-इन अवधि की वजह से जहाँ निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, वहीं म्यूचुअल फंडों के फंड मैनेजर भी शेयरों के बारे में लंबी अवधि के नजरिये से सोचते हुए निवेश-निर्णय ले सकते हैं। इसकी वजह से निवेशकों को छोटी अवधि की ट्रेडिंग से दूर रहने में मदद मिलती है और निवेश से बेहतर लाभ हासिल करने की संभावना बढ़ जाती है।Ó
आखिर ईएलएसएस क्यों कर-बचत के अन्य विकल्पों के मुकाबले बेहतर है? इस सवाल के जवाब में ढकान कहते हैं, ‘इसके अलावा चूँकि ईएलएसएस एक इक्विटी म्यूचुअल फंड है ऐसे में इस पर लंबी अवधि का पूँजीगत लाभ कर शून्य होता है और यह मिलने वाला लाभांश कर-मुक्त होता है।' इसका मतलब यह कि ईएलएसएस से जो भी मुनाफा होता है वह पूरी तरह कर-मुक्त होता है। यदि एनपीएस को छोड़ दें तो ईएलएसएस धारा 80सी के तहत उपलब्ध एकमात्र ऐसा विकल्प है जिसमें शेयरों में निवेश की अनुमति है।
ईएलएसएस में निवेश के लिए शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड क्षेत्र की विशेषज्ञता की आवश्यकता न होना इसके पक्ष में काम करती है। सोलंकी के अनुसार, ‘इसमें शेयरों में सीधे निवेश की व्यवस्था नहीं होती जिसकी वजह से यह ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प साबित होता है, जिन्हें शेयरों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।' राजीव गाँधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम (आरजीईएसएस) से तुलना करते हुए सोलंकी कहते हैं, ‘यदि हम आरजीईएसएस की बात करें तो उसमें यह खूबी नहीं है। इसके अतिरिक्त निवेश के लिए उपलब्ध शेयरों के लिहाज से देखें तो ईएलएसएस का दायरा काफी बड़ा है, ईएलएसएस में निवेशकों की पूँजी का निवेश शेयरों के एक बड़े दायरे में होता है, वहीं दूसरी ओर आरजीईएसएस का दायरा सीमित कर दिया गया है।'
सवाल यह है कि कोई करदाता किस तरह ईएलएसएस का बेहतर इस्तेमाल कर सकता है ताकि अधिकतम लाभ उठाया जा सके। सोलंकी कहते हैं, ‘ईएलएसएस योजनाओं के भीतर भी निवेशकों को कई प्रकार के विकल्प उपलब्ध होते हैं। वे चाहें तो दिग्गज कंपनियों पर अपना दाँव लगा सकते हैं या फिर मँझोले शेयरों में निवेश कर सकते हैं। इस तरह की विविधता वाली योजनाओं के एक समूह में निवेश कर कोई निवेशक एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलिओ बना सकता है ताकि वह बाजार में उपलब्ध मौकों का भरपूर लाभ उठा सके।'
किसी भी म्यूचुअल फंड योजना में निवेश से पहले निवेशक जिन बातों पर ध्यान देता है उनमें से प्रमुख है उस योजना से मिलने वाले रिटर्न और उस योजना का एक्सपेंस रेशियो। यदि हम तीन साल के रिटर्न के आधार पर देखें तो ऐक्सिस लॉन्ग टर्म इक्विटी ने 12.21%, बीएनपी पारिबा टैक्स एडवांटेज प्लान ने 9.58%, आईडीएफसी टैक्स एडवांटेज (ईएलएसएस) ने 8.11%, रेलिगयेर इन्वेस्को टैक्स प्लान ने 7.38% और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टैक्स प्लान ने 7.28% का सालाना लाभ (एनुअलाइज्ड रिटर्न) दिया है। पाँच सालों के रिटर्न के आधार पर देखें तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टैक्स प्लान ने 27.18%, केनरा रोबेको इक्विटी टैक्स सेवर ने 24.4%, एचडीएफसी लॉन्ग टर्म एडवांटेज ने 23.54%, एचडीएफसी टैक्स सेवर ने 22.8% और रेलिगेयर इन्वेस्को टैक्स प्लान ने 22.69% का एनुअलाइज्ड रिटर्न दिया है। एक्सपेंस रेशियो की बात करें तो ऐक्सिस लॉन्ग टर्म इक्विटी का 2.85%, बीएनपी पारिबा टैक्स एडवांटेज प्लान का 2.92%, आईडीएफसी टैक्स एडवांटेज (ईएलएसएस) का 2.93%, रेलिगयेर इन्वेस्को टैक्स प्लान का 2.88% और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टैक्स प्लान का एक्सपेंस रेशियो 2.4% है। इसके अलावा केनरा रोबेको इक्विटी टैक्स सेवर का एक्सपेंस रेशियो 2.65%, एचडीएफसी लॉन्ग टर्म एडवांटेज का 2.57% और एचडीएफसी टैक्स सेवर का एक्सपेंस रेशियो 2.30% है।
प्रश्न यह है कि करदाताओं को कर बचाने के लिए इनमें से कौन सी योजनाओं पर दाँव लगाना चाहिए? करदाताओं को इनमें से वे योजनाएँ चुननी चाहिए जिनसे मिलने वाले रिटर्न में निरंतरता हो और जिनका एक्सपेंस रेशियो तुलनात्मक तौर पर बाकी योजनाओं से कम हो।
इन ईएलएसएस योजनाओं में से सोलंकी की पहली पसंद है फ्रैंकलिन इंडिया टैक्स शील्ड, जिसने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वे कहते हैं, ‘पिछले पाँच सालों के प्रदर्शन को देखते हुए जिन अन्य योजनाओं को चुना जा सकता है, वे हैं - आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टैक्स प्लान, एचडीएफसी लॉन्ग टर्म एडवांटेज फंड, रिलायंस टैक्स सेवर और एचडीएफसी टैक्स सेवर।‘
जानकारों का कहना है कि जो करदाता कर बचाना चाहते हैं, पूँजी सुरक्षित रखना चाहते हैं और साथ ही अपनी पूँजी में वृद्धि भी चाहते हैं, वे अपने पोर्टफोलिओ में ईएलएसएस के साथ पीपीएफ को शामिल कर सकते हैं। जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर वे इन दोनों का अनुपात घटा-बढ़ा सकते हैं।
आईसीआईसीआई प्रू. टैक्स प्लान
इस योजना ने लंबी अवधि में निवेशकों को लगातार बेहतर रिटर्न दिया है। इसने मल्टीकैप निवेश नजरिया अपनाया है जिसके कारण यह बाजार की दशाओं के अनुरूप पूँजी को विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज और छोटे-मँझोले शेयरों में लगाती रहती है। अगस्त 1999 में आरंभ इस योजना का बेंचमार्क सीएनएक्स 500 है। इसका एक्सपेंस रेशियो 2.4% है और इसकी परिसंपत्ति 1,511 करोड़ रुपये है। वित्तीय क्षेत्र, ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा इसके पसंदीदा क्षेत्र हैं।
एचडीएफसी लॉन्ग टर्म एडवांटेज
दिसंबर 2000 में आरंभ इस योजना का बेंचमार्क सेंसेक्स है। इसका एक्सपेंस रेशियो 2.57% है और इसकी परिसंपत्ति 836 करोड़ रुपये है। इक्विटी में इसके निवेश की बात करें तो इसने वृहद कंपनियों में 54.26%, बड़ी कंपनियों में 8.98%, मँझोली कंपनियों में 22.14% और छोटी कंपनियों में 10.61% निवेश कर रखा है। वित्तीय क्षेत्र, तकनीकी क्षेत्र और ऑटो इसके पसंदीदा क्षेत्र हैं।
(निवेश मंथन, फरवरी 2014)