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- Category: अक्तूबर 2011
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
लक्ष्मी को सभी पाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रसन्न करने का सही तरीका अपनाने में लोग चूक जाते हैं। भारतीय परंपरा कहती है कि लक्ष्मी की पूजा गणेश और सरस्वती को साथ रखे बिना नहीं होती। बुद्धि और विद्या की संगत के बिना लक्ष्मी आयेंगी नहीं, और अगर कभी आ गयीं तो ज्यादा समय तक रुकेंगी नहीं। इस अंक में रवि बुले का लेख धन, बुद्धि और विद्या के इस साहचर्य को बखूबी समझा रहा है।
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सुशांत शेखर :
एक अक्टूबर से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तर्ज पर स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी लागू हो गयी है। मतलब यह कि अब अगर आप चाहें तो अपनी पॉलिसी बदले बिना बीमा कंपनी बदल सकते हैं। बीमा क्षेत्र के नियामक आईआरडीए के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर कोई ग्राहक अपनी मौजूदा बीमा कंपनी से संतुष्ट नहीं है और नयी बीमा कंपनी चुनना चाहता है तो उसे पॉलिसी नवीनीकरण की तिथि के 45 दिनों से पहले नयी कंपनी को आवेदन देना होगा।
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देश के अर्थशास्री प्रधानमंत्री के राज में गरीबों के साथ इतना घटिया मजाक किया जायेगा। यह शायद ही किसी ने सोचा होगा। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले योजना आयोग ने गरीबी रेखा की नयी परिभाषा दी।
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आदित्य बिड़ला समूह के मुखिया कुमार मंगलम बिड़ला मुंबई में थे और उनका क्रेडिट कार्ड उनके पास था, लेकिन उसी क्रेडिट कार्ड पर बेंगलूरु में खरीदारी हो रही थी। इसका पता तब चला, जब उन्हें अपने क्रेडिट कार्ड का 2.86 लाख रुपये का बिल मिला।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खान और खनन (नियंत्रण और विकास) विधेयक 2011 को मंजूरी दे दी है। यह 1957 में बने विधेयक की जगह लेगा। संभावना है कि यह विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जायेगा।
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सुशांत शेखर :
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 21 सितंबर को हुई बैठक से वैश्विक बाजारों को बहुत उम्मीदें थीं। लोग सोच रहे थे कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नांके कुछ ऐसा जरूर करेंगे, जिससे मंदी के मुहाने पर खड़ी अमेरिकी अर्थव्यस्था को राहत मिलेगी।
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रवि बुले :
यह ऐसी बात है जिसे हम फिल्मों में देखते हैं। कहानियों में सुनते हैं। पुराणों में पाते हैं। नायक अभावों में पैदा होता है, पलता है, बढ़ता है। वह सत्य के लिए, समृद्धि के लिए संघर्ष करता है, जबकि खलनायक तमाम बुराइयों के बाद भी ऐश्वर्य के शिखर पर रहता है।
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संजय सहाय एक सरकारी बैंक में मैनेजर हैं। मई में जब से उनके पड़ोसी रमण परमार ने कार खरीदी थी, तब ही से संजय की इकलौती बेटी ने ऐसी जिद ठानी कार खरीदने की कि उन्हें झुकना ही पड़ा। तब संजय ने किसी तरह उसे समझा लिया था कि केवल चार महीने रुक कर अगर वह कार खरीदेंगे तो यह फायदे का सौदा साबित हो सकता है क्योंकि तब त्योहारी मौसम की शुरुआत हो चुकी होगी और तमाम कार कंपनियाँ अपने नये-नये प्रस्तावों के साथ ग्राहकों को लुभाने की जी-तोड़ कोशिशें कर रही होंगी। लेकिन अब वह समय आ जाने पर संजय को समझ में ही नहीं आ रहा क्या किया जाए।
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टैबलेट कंप्यूटर की लोकप्रियता धीरे-धीरे देश के बाजार में बढ़ रही है। भारतीय बाजार में उतरने के पहले 9 महीनों के भीतर ही इस साल जून के अंत तक 1.58 लाख से अधिक टैबलेट कंप्यूटर की खपत हो चुकी है। इनमें से 70% टैबलेट 3जी सुविधा से युक्त हैं, जबकि 30% में केवल वाईफाई सुविधा दी गयी है। अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2011 में टैबलेट बिक्री की कुल संख्या 2.75 लाख तक पहुँच सकती है।
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पूनम :
पिछले कुछ महीने सोने और चाँदी के भावों में जबरदस्त उतारचढ़ाव के रहे हैं। पहले तो सोना नयी रिकॉर्ड ऊँचाई को छू गया। लेकिन हाल में जब विश्व में फिर से यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं को लेकर घबराहट बढ़ी तो निवेशकों ने इस बार सोने का सुरक्षित दामन थामने के बदले डॉलर को चुनना ज्यादा पसंद किया।
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राजीव रंजन झा :
वैश्विक बाजारों में घबराहट बढऩे के बीच निफ्टी 26 सितंबर को 4759 तक फिसल गया था। अगस्त की तलहटी 4720 के बेहद पास जाने से भारतीय बाजार में भी घबराहट बढ़ गयी थी। हालाँकि उसी दिन यह निचले स्तरों से अच्छी वापसी करने में भी कामयाब रहा, लेकिन बाजार इसकी दहशत से उबरा नहीं था।
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आपके सवाल, पी.एन. विजय के जवाब
मुझे जुबिलैंट फूडवक्र्स में काफी नुकसान झेलना पड़ा है। क्या मुझे इससे निकल जाना चाहिए या इसमें निवेश बनाये रखना चाहिए?
- विकास अग्रवाल (ईमेल)
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