आदित्य बिड़ला समूह के मुखिया कुमार मंगलम बिड़ला मुंबई में थे और उनका क्रेडिट कार्ड उनके पास था, लेकिन उसी क्रेडिट कार्ड पर बेंगलूरु में खरीदारी हो रही थी। इसका पता तब चला, जब उन्हें अपने क्रेडिट कार्ड का 2.86 लाख रुपये का बिल मिला।
इस बिल के मुताबिक उन्होंने 15 सितंबर से लेकर कुल पाँच दिन तक बेंगलूरु में गहनों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी की, जबकि वास्तव में इस दौरान वे मुंबई में थे। इस दौरान क्रेडिट कार्ड भी उनके ही पास था।
दरअसल यह करामात क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग के चलते हुई। क्लोनिंग के जरिये किसी क्रेडिट कार्ड की सारी जानकारियाँ दूसरे कार्ड में डाल दी जाती हैं। मसलन इसमें अकाउंट में मौजूद रकम, कार्डधारक का नाम और उसके नंबर आदि को हूबहू दूसरे कार्ड में उतार दिया जाता है। जब आप किसी बिल का भुगतान करते हैं, उस समय अगर उस मशीन के साथ स्किमर जुड़ा हो तो कार्ड की स्वैपिंग के दौरान यह काम आसानी से हो जाता है। इस तरह आपके कार्ड का क्लोन तैयार किया जा सकता है। स्किमर के जरिए आपके कार्ड ली गयी जानकारियों को किसी बेकार हो चुके दूसरे कार्ड या नये कार्ड में डाल दिया जाता है। धोखाधड़ी करने वालों को नये खाली कार्ड बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस घटना ने यह दिखा दिया कि धोखाधड़ी करने वालों की नजर में छोटे-बड़े सब एक समान होते हैं! आपके अपने क्रेडिट कार्ड को क्लोनिंग से बचाने के लिए आप कार्ड को हमेशा अपने सामने ही स्वाइप करायें। ध्यान दें कि स्वाइप मशीन (ईडीसी) के साथ कोई अन्य मशीन न जुड़ी हो। यदि कोई अतिरिक्त मशीन लगी हो तो कार्ड स्वाइप न करायें।
मोबाइल एलर्ट के जरिये अपने हर लेनदेन का ब्योरा एसएमएस पर लें। ताज्जुब इस बात पर है कि क्या कुमार मंगलम बिड़ला ने अपने क्रेडिट कार्ड पर ऐसी सुविधा नहीं ली? और अगर ली थी तो शायद उन्होंने ऐसे एलर्ट पर ध्यान नहीं दिया! दुकानदार भी मशीन से मिलने वाली रसीद और कार्ड को मिला कर यह जाँचें कि दोनों पर समान नाम और नंबर है या नहीं। यदि नाम और नंबर रसीद से मेल नहीं खाये तो कार्ड को फर्जी समझें।
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2011)