टैबलेट कंप्यूटर की लोकप्रियता धीरे-धीरे देश के बाजार में बढ़ रही है। भारतीय बाजार में उतरने के पहले 9 महीनों के भीतर ही इस साल जून के अंत तक 1.58 लाख से अधिक टैबलेट कंप्यूटर की खपत हो चुकी है। इनमें से 70% टैबलेट 3जी सुविधा से युक्त हैं, जबकि 30% में केवल वाईफाई सुविधा दी गयी है। अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2011 में टैबलेट बिक्री की कुल संख्या 2.75 लाख तक पहुँच सकती है।
टैबलेट कंप्यूटर एक तरह का मोबाइल फोन ही है, लेकिन इसमें कंप्यूटर जैसी ही अनेक सुविधाएँ होती हैं। साथ ही इन पर इंटरनेट का भी बखूबी मजा लिया जा सकता है। एक तरह से यह मोबाइल और लैपटॉप का मिश्रित रूप है। हालाँकि कुछ टैबलेट में कीबोर्ड अलग से लगाने की सुविधा होती है, पर आम तौर पर इनमें अलग से कीपैड नहीं होता। इनमें स्क्रीन पर ही दिखने वाले कीपैड को इस्तेमाल किया जाता है। इसमें स्क्रीन के जिस हिस्से को आप छूते हैं, वह एक बटन की तरह काम करता है। इसीलिए इन्हें टचस्क्रीन भी कहते हैं। इनमें स्क्रीन का आकार 5 इंच से बड़ा होता है। ज्यादातर लोकप्रिय टैबलेट मॉडल करीब 7 इंच के हैं।
वाईफाई टैबलेट में इंटरनेट से जुडऩे के लिए यह जरूरी है कि आप किसी वाईफाई नेटवर्क का इस्तेमाल करें, जो बिना किसी तार के ही आपके मोबाइल को अपने नेटवर्क का हिस्सा बना लेगा। यह वाईफाई नेटवर्क अपने घर में मौजूद इंटरनेट कनेक्शन के साथ वाईफाई मोडम जोड़ कर तैयार किया जा सकता है। कई होटलों और कॉफी शॉप वगैरह में भी वाईफाई नेटवर्क उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन उनके नेटवर्क से जुडऩे के लिए आपको अलग से भुगतान करना पड़ सकता है। लेकिन वाईफाई से इंटरनेट पर कोई वेबसाइट देखने या कुछ डाउनलोड करते समय आपको अपनी मोबाइल कंपनी को उसका कोई शुल्क नहीं देना होगा।
दूसरी ओर 3जी आपकी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क होता है और यह किसी खास परिसर तक सीमित नहीं रहता। जिस तरह आप पूरे शहर में घूमते-फिरते कहीं भी मोबाइल पर बातचीत करते हैं, एसएमएस पाते और भेजते हैं, उसी तरह 3जी नेटवर्क पर आप अपने मोबाइल पर पूरे शहर में जहाँ चाहें वहाँ इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सबसे पहले जुलाई 2010 में ओलिवपैड ने अपना टैबलेट भारतीय बाजार में उतारा था, लेकिन इस बाजार में आने वाला पहला प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड सैमसंग था। सैमसंग ने अक्टूबर 2010 में अपना गैलेक्सी टैब भारतीय बाजार में पेश किया। इसके बाद जनवरी 2011 में ऐप्पल आईपैड भी आ गया, जो टैबलेट की दुनिया में सबसे अधिक चर्चित नाम है।
ताजा आँकड़ों से साफ है कि टैबलेट के भारतीय बाजार में फिलहाल सैमसंग ने अपना दबदबा बना लिया है। सैमसंग ने यहाँ के बाजार में पाँव जमाने के लिए कीमत घटाने की रणनीति पर अधिक जोर दिया। वह अभी इस बाजार के 45.8% हिस्से पर काबिज है। दूसरे स्थान पर कनाडा की रिसर्च इन मोशन (रिम) है, जिसे लोग इसके प्रसिद्ध ब्रांड ब्लैकबेरी के नाम से ज्यादा जानते हैं। इसके पास टैबलेट बाजार का 21% हिस्सा है। तीसरे स्थान पर ऐप्पल है, जो 18.4% बाजार हिस्सेदारी ही हासिल कर सकी है। अन्य कंपनियों की हिस्सेदारी 14.8% है। यह बात साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) की एक ताजा रिपोर्ट में सामने आयी है। भारतीय बाजार की यह तस्वीर वैश्विक बाजार से एकदम उल्टी है। गार्टनर के आकलन के मुताबिक टैबलेट के वैश्विक बाजार में ऐप्पल की बाजार हिस्सेदारी 2010 में 83% थी और इस साल कुछ घटने के बाद भी 73.4% रह सकती है।
वैसे यहाँ दिलचस्प पहलू यह है कि रिम ने जून 2011 में ही अपना टैबलेट बाजार में पेश किया, और साइबर मीडिया की यह रिपोर्ट जून के अंत तक की ही है। इसके बावजूद रिम को 21% हिस्सेदारी मिली है। दूसरी ओर जून के बाद कई कंपनियों ने अपने सस्ते टैबलेट बाजार में उतारे हैं, जो बाजार में काफी बदलाव ला सकते हैं। मतलब यह है कि आने वाले महीनों में तस्वीर एकदम बदल भी सकती है।
साइबर मीडिया रिसर्च के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च एंड एडवाइजरी सर्विसेस) अनिर्बान बनर्जी की राय है कि छह महीने पहले की तुलना में आज अलग-अलग कीमतों पर अनेक टैबलेट उपलब्ध हैं, जिनमें काफी तरह की सुविधाएँ दी जा रही हैं। लेकिन आम लोगों के बीच इसे और लोकप्रिय बनाने के लिए जरूरी है कि इन पर तेज रफ्तार इंटरनेट सेवा के शुल्क को कम किया जाये। साथ ही उनकी सलाह है कि भारतीय ग्राहकों के लिए उपयोगी और उनके काम की सामग्री (कंटेंट) उपलब्ध करायी जाये। साइबर मीडिया रिसर्च के नवीन मिश्र बताते हैं कि विश्व के दूसरे बाजारों में वीडियो चैट और लाइव टेलीविजन जैसे ऐप्लिकेशन लोकप्रिय हैं और यहाँ भी इन चीजों को लोग पसंद करेंगे। इसके अलावा जो अखबार अपनी वेबसाइट को पीसी के साथ-साथ मोबाइल के लिए भी विकसित करते हैं, वे टैबलेट के लिए अपनी वेबसाइट का अलग संस्करण बना सकते हैं।
नवीन की सलाह है कि टैबलेट निर्माता कंपनियों, सामग्री (कंटेंट) तैयार करने वालों और मोबाइल ऑपरेटरों को आपस में साझेदारी करके स्थानीय भाषाओं में ज्यादा सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही भारतीय बाजार को ध्यान में रख कर ऐसे टैबलेट विकसित किये जाने चाहिए, जिनमें ग्राहक अपने यूएसबी मोडम के जरिये इंटरनेट से जुड़ सकें। दरअसल लैपटॉप को इंटरनेट से जोडऩे के लिए मोबाइल कंपनियों ने यूएसबी मोडम बाजार उतारे हैं, जो काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। अगर वही मोडम टैबलेट के साथ भी इस्तेमाल किया जा सके तो ग्राहक टैबलेट को आसानी से अपना सकेंगे। दूसरी जरूरत यह मानी जा रही है कि टैबलेट में एसडी कार्ड का स्लॉट दिया जाये, ताकि लोग ज्यादा मात्रा में सामग्री को टैबलेट में डाल सकें।
इस समय भारतीय बाजार में ऊपरी श्रेणी के जो प्रमुख टैबलेट मॉडल उपलब्ध हैं, उनमें रिम के प्लेबुक, एप्पल के आईपैड 2, मोटोरोला के जूम और सैमसंग का गैलेक्सी टैब 7 को गिना जा सकता है। इनकी कीमत 15,000 रुपये से लेकर 47,000 रुपये तक जाती है। हालाँकि अब निचली श्रेणी में 8,000 रुपये से 15,000 रुपये की कीमत वाले टैबलेट भी उपलब्ध हैं। सीएमआर का मानना है कि आने वाले समय में ज्यादातर 7,000 रुपये से 15,000 रुपये की कीमत वाले टैबलेट मॉडल बाजार में उतारे जायेंगे। इस वर्ष के अंत तक 35 कंपनियों के कुल 90 मॉडल के बाजार में उपलब्ध हो जाने का अनुमान है।
टैबलेट के अंतरराष्ट्रीय बाजार की एक ताजा खबर यह है कि इंटरनेट पर किताबें बेचने वाली प्रमुख वेबसाइट अमेजन ने किंडल फायर नाम से अपना टैबलेट पेश किया है। उसकी कीमत करीब 10,000 रुपये होगी। इस वक्त टैबलेट के अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐप्पल के आईपैड की ही धाक है। अमेजन के किंडल फायर की खूबियाँ भी काफी आकर्षक हैं, इसलिए बहुत मुमकिन है कि टैबलेट कंप्यूटर के बाजार में कीमतों की नयी जंग शुरू हो जाये।
ड्यूल स्क्रीन टैबलेट
सितंबर 2011 में सोनी ने ड्यूल स्क्रीन टैबलेट कंप्यूटर पेश किया है, जिसमें 5.5 इंच की दो टचस्क्रीन हैं। इस टैबलेट को आसानी से जेब में रखा जा सकता है। इसकी खास बात यह है कि इसकी दोनों स्क्रीनों को अलग-अलग इस्तेमाल किया जा सकता है। मतलब यह कि एक पर इंटरनेट का मजा लिया जा सकता है, तो दूसरी स्क्रीन पर वीडियो गेम खेली जा सकती है। अगर आप चाहें तो दोनों स्क्रीनों को एक स्क्रीन के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस टैबलेट में सोनी के प्लेस्टेशन गेम और ई-रीडर बुक्स पहले से डले होंगे। इसकी मेमोरी 16 जीबी की होगी। इसका वजन 372 ग्राम है। सोनी के इस टैबलेट की कीमत एप्पल आईपैड से थोड़ी कम है। सोनी ने इसकी कीमत 479 पाउंड (35,586 रुपये) तय की है।
महज 6250 रुपये में टैबलेट कंप्यूटर
अगस्त 2011 में अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 13,000 रुपये की कीमत में टैबलेट पेश किया। इसके बाद भारती समूह की कंपनी बीटेल ने केवल 10 हजार रुपये का टैबलेट पेश किया। बैंगलूरु की लक्ष्मी ऐक्सेस कम्युनिकेशंस सिस्टम्स ने टैबलेट की कीमत 6250 रुपये तक गिरा दी। हालाँकि यह इसके शुरुआती मॉडल की कीमत है। कंपनी ने अपने महँगे मॉडल भी उतारे हैं, जिनकी अधिकतम कीमत 35,000 रुपये तक है।
और अब केवल 2200 रुपये का टैबलेट
भारत सरकार ने पहले भी कई बार छात्रों के लिए सस्ते कंप्यूटर बनाने की घोषणा की। लेकिन ऐसे कंप्यूटर जब भी पेश किये गये, वे किसी काम के नहीं थे और लोगों को अपनी ओर खींच नहीं सके। इसी कड़ी में सस्ता टैबलेट पेश करने की भी घोषणा की गयी थी। लोगों ने यही सोचा कि यह भी सरकारी किस्म का टैबलेट ही होगा। लेकिन हाल में जब यह टैबलेट लोगों के सामने रखा गया तो इसने वाकई लोगों को प्रभावित किया। अभी बाजार में उपलब्ध टैबलेट के दाम भले ही काफी गिरे हैं, लेकिन अब अगर 2,200 रुपये में वाकई एक कारगर टैबलेट आया तो इससे पूरे बाजार के समीकरण उलट-पुलट सकते हैं।
भारत सरकार जो टैबलेट बाजार में लाने की तैयारी कर रही है, वह किंडल फायर से भी काफी ज्यादा सस्ती है। इस बाजार में कीमतें कम करने और तकनीक को बेहतर बनाने की जंग चल रही है। इस नये टैबलेट के आने से यह तो साबित हो गया कि भारतीय वैज्ञानिक और तकनीक विशेषज्ञ दुनिया में सबसे कम कीमत पर विश्वस्तरीय उत्पाद बना सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सस्ते कंप्यूटर की पहल सिर्फ एक सरकारी आयोजन न रह जाये। अगर यह एक विश्वस्तरीय उत्पाद बन सका और इसकी ठीक से मार्केटिंग हो पायी तो शायद अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसकी जगह बनेगी।
बीडब्लूए से बदल सकती है तस्वीर
गौरतलब है कि मुकेश अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल देश के 23 में से 22 सर्किलों के लिए ब्रॉडबैंड वायरलेस ऐक्सेस (बीडब्लूए) का लाइसेंस ले रखा है। क्वालकॉम, एयरसेल, भारती, तिकोन और ऑगेरी भी कुछ-कुछ सर्किलों में बीडब्लूए लाइसेंस हासिल किये हैं। इन लाइसेंसों के लिए पिछले साल बोलियाँ लगी थीं। बीडब्लूए के तहत 4जी, वाईमैक्स और एलटीई जैसी तकनीकों के जरिये काफी तेज रफ्तार इंटरनेट सुविधा दी जा सकती है। नवीन मिश्र मानते हैं कि सस्ते टैबलेट के साथ 3जी और बीडब्लूए के सस्ते डेटा पैकेज पेश किये जाने पर साल 2012 और उसके बाद के वर्षों में टैबलेट बाजार में धूम मच सकती है।
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2011)