सफल बैंकर के तौर पर नागपुर से न्यूयॉर्क तक पहुँचने वाले विक्रम पंडित ने भारत में अपनी दूसरी पारी की तैयारी कर ली है।
सिटीग्रुप के पूर्व सीईओ विक्रम पंडित जेएम फाइनेंशियल के जरिये भारत के बैंकिंग क्षेत्र पर बड़ा दाँव लगाने जा रहे हैं। विक्रम पंडित अपने पुराने दोस्त हरिहरन राममूर्ति अय्यर यानी हरि अय्यर के साथ मिलकर तीसरे दोस्त निमेश कंपानी की कंपनी जेएम फाइनेंशियल में 3% हिस्सेदारी खरीदेंगे। जेएम फाइनेंशियल फिलहाल विक्रम पंडित को 19.05 रुपये के भाव पर 1.16 करोड़ वारंट जारी करेगी, जिनकी कीमत करीब 22.6 करोड़ रुपये हैं। हरि अय्यर और उनकी पत्नी अपर्णामूर्ति अय्यर भी जेएम फाइनेंशियल में इतना ही निवेश कर रही हैं। अक्टूबर 2012 में सिटीग्रुप से विदाई के बाद विक्रम पंडित का यह पहला सार्वजनिक निवेश है।
जेएम फाइनेंशियल के मुताबिक वह बैंकिंग लाइसेंस के लिए अर्जी देने वाली है। लाइसेंस मिलने के बाद कंपनी विक्रम पंडित को नये बैंक का गैर-कार्यकारी चेयरमैन नियुक्त करेगी। बैंकिंग लाइसेंस मिलने के बाद विक्रम पंडित के पास नए बैंक में हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प रहेगा।
यही नहीं विक्रम पंडित जेएम फाइनेंशियल के लिए 10 करोड़ डॉलर का एक फंड बनाने में भी मदद करेंगे। इस फंड का इस्तेमाल संकटग्रस्त कंपनियों को खऱीदने के साथ जे एम फाइनेंशियल के वित्तीय कारोबार के विस्तार में किया जायेगा।
पंडित, अय्यर और कंपानी का गठजोड़
विक्रम पंडित, निमेश कंपानी और हरि अय्यर, तीनों भारतीय वित्तीय क्षेत्र के बड़े दिग्गजों में शुमार किए जाते हैं। तीनों एक दूसरे को लंबे समय से जानते हैं और एक साथ मिलकर पहले भी कारोबार किया है। विक्रम पंडित और हरि अय्यर पहले मॉर्गन स्टैनली में एक साथ काम करते थे। मॉर्गन स्टैनली और निमेश कंपनी की जेएम फाइनेंशियल के बीच भारत में संयुक्त उपक्रम था, जो 2007 में खत्म हो गया।
विक्रम पंडित मॉर्गन स्टैनली के साथ करीब 20 साल रहे। साल 2005 में विक्रम पंडित और उनके दोस्त हरि अय्यर ने मॉर्गन स्टैनली का साथ छोड़ दिया और ओल्ड लेन पार्टनर्स एलपी नाम से अपना हेज फंड शुरू किया। हरि अय्यर ओल्ड लेन पार्टनर्स की भारतीय इकाई ओल्ड लेन इंडिया के चेयरमैन बने।
बाद में सिटी ग्रुप ने ओल्ड लेन को 80 करोड़ डॉलर में खरीद लिया। इस सौदे के बाद विक्रम पंडित को सिटी ग्रुप का सीईओ बनाया गया, जो 2008 की मंदी में अमेरिकी सरकार से 45 अरब डॉलर का राहत पैकेज लेकर उबरने की कोशिश कर रहा था। विक्रम पंडित ने अपने शुरुआती कार्यकाल में ही ओल्ड लेन को बंद कर दिया और बैंक को इसमें 20.2 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ।
ओल्ड लेन की मुख्य टीम से सिटी ग्रुप ने एक इनवेस्टमेंट फर्म नैपियर पार्क ग्लोबल कैपिटल बनायी थी। विक्रम पंडित के दोस्त हरि अय्यर नैपियर पार्क की अग्रणी टीम का हिस्सा थे। सिटी ग्रुप ने नैपियर पार्क को एक सौदे के तहत इस साल की शुरुआत में अपने से अलग कर दिया। सौदे के तहत फर्म की 75 फीसदी हिस्सेदारी कंपनी के अधिकारियों को मुफ्त में मिल गयी। माना जाता है कि विक्रम पंडित ने पिछले साल सिटीग्रुप से अपनी विदाई से पहले ही इस सौदे का ताना-बाना बुन दिया था।
मॉर्गन स्टैनली से 2005 में अलग होने के बाद भी विक्रम पंडित और हरि अय्यर ने निमेश कंपानी के साथ कारोबार किया था। साल 2006 में ओल्ड लेन ने जेएम फाइनेंशियल के साथ एक प्राइवेट इक्विटी फंड बनाया था, जिसमें ओल्ड लेन मुख्य निवेशक और प्रायोजक था।
कितना रंग लायेगा तीन दोस्तों का गठजोड़
विक्रम पंडित, हरि अय्यर और निमेश कंपानी, तीनों दोस्त एक बार फिर साथ आ गये हैं। लेकिन इस गठजोड़ का भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर है कि जेएम फाइनेंशियल को बैंकिंग लाइसेंस मिलता है या नहीं। रिजर्व बैंक की शर्तों के मुताबिक 10 साल तक अच्छे कारोबार का रिकॉर्ड और अच्छी साख रखने वाली कंपनी बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती है। कंपनियों को एक जुलाई तक बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना है। निमेश कंपानी ने विक्रम पंडित और हरि अय्यर को अपने साथ जोड़ कर बैंकिंग लाइसेंस के लिए मजबूत दावेदारी पेश की है। निमेश कंपानी सिटी ग्रुप को संकट से निकालने में विक्रम पंडित की भूमिका को भुनाना चाहते हैं। हालाँकि सिटीग्रुप में विक्रम पंडित पर कुप्रबंधन के आरोप भी लगे थे। विक्रम पंडित के मैदान में उतरने से नये बैंक लाइसेंस की होड़ बड़ी दिलचस्प हो गयी है। बैंकिंग लाइसेंस की इस होड़ में कुमार मंगलम बिड़ला की बिड़ला सनलाइफ, एलऐंडटी फाइनेंशियल, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज, रेलिगेयर, रिलांयस कैपिटल, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज कंपनियाँ शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत में बैंक खोलने की निमेश कंपानी की महत्वाकांक्षा पूरी हो पाती है या नहीं।
(निवेश मंथन, जून 2013)