भारतीय शेयर बाजार किधर जा रहा है - यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर किसी को चाहिए लेकिन किसी के पास है नहीं! अभी बाजार में हर तरफ निराशा है। भविष्य बड़ा अनिश्चित लग रहा है। लोगों ने उम्मीदें छोड़ दी हैं। सबको लगता है कि शेयर बाजार अभी उनके लिए गलत जगह है। लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का कोई भविष्य नहीं है। इतिहास हमें बताता है कि ऐसे ही मौकों पर ही शेयर बाजार अपनी तलहटी बनाता है, जो अगली तेजी के दौर का आधार बनता है।
भारतीय शेयर बाजार में कीमतों में जितनी गिरावट आनी थी, वह लगभग आ चुकी है। अब बाजार इन्हीं स्तरों के आसपास समय बिता सकता है। इस प्रक्रिया में बाजार दिशाहीन भटकता रहता है, कीमतें एक दायरे में ऊपर-नीचे होती रहती हैं। कारोबार की मात्रा एकदम से घट जाती है और सबकी रुचि खत्म हो जाती है। ऐसा दौर अमूमन एक तिमाही से लेकर तीन तिमाहियों तक चलता है।
इस समय हम रुपये की कमजोरी का भी सामना कर रहे हैं। वहाँ भी स्थिति वैसी ही खराब है, जैसी शेयर बाजार में। कमजोर रुपये के चलते आपके शेयर बाजार को कम मूल्यांकन मिलता है। इसका उल्टा भी सच है, यानी कमजोर शेयर बाजार के चलते रुपया कमजोर हो जाता है। रुपये में अभी छोटी अवधि के नकारात्मक रुझान का मुख्य कारण चालू खाते (करेंट एकाउंट) का घाटा है। निकट भविष्य में रुपया इन्हीं स्तरों के आसपास घिसट सकता है या और भी फिसल सकता है।
बाजार अक्सर आम राय के विपरीत चलने की प्रवृति रखता है। अभी लोग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई उम्मीद नहीं रख रहे हैं। इसलिए संभव है कि बाजार सबको चौंका दे, क्योंकि काफी शेयर बड़े सस्ते भावों पर हैं। निवेशकों को यह समझना चाहिए कि अच्छी कीमतें और अच्छी खबरें एक साथ कभी नहीं मिलतीं। इसलिए बुनियादी रूप से मजबूत ऐसी अच्छी कंपनियों को चुनना शुरू करें, जिनके कारोबार में लगातार नकदी का अच्छा प्रवाह है, कारोबारी मॉडल अच्छा है और पिछला प्रदर्शन ठीक रहा है। समय बीतने के बाद आपको ये शेयर इन भावों पर नहीं मिलेंगे। ऐसे शेयर आगे चल कर आपको शानदार मुनाफा दे सकते हैं।
शेयर बाजार में नयी तेजी के लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं है। अभी पैसा लगाने पर पैसा बनेगा, यह उम्मीद नहीं बन पा रही है।
- जितेंद्र पांडा,
सेल्स हेड - ब्रोकिंग, फ्यूचर कैपिटल सिक्योरिटीज
कीमतों में जितनी गिरावट आनी थी, वह लगभग आ चुकी है। अच्छी कीमतें और अच्छी खबरें एक साथ कभी नहीं मिलतीं। इसलिए बुनियादी रूप से मजबूत अच्छी कंपनियों को चुनना शुरू करें।
- पशुपति सुब्रमण्यम
निवेश सलाहकार
(निवेश मंथन, मई 2012)