सतकाम दिव्य, बिजनेस हेड, रूपीटॉप डॉट कॉम :
इस समय हर आदमी कर (टैक्स) बचत के लिहाज से अलग-अलग योजनाओं में निवेश के बारे में सोच रहा है। आय कर अधिनियम की धारा 80 सी और 10 (10)डी के तहत निवेश के कई आकर्षक विकल्प हैं। वहीं 80 सी और 80 सीसीसी के तहत जीवन बीमा प्रीमियम, ईपीएफ, पीपीएफ, एनएसी, यूलिप, होम लोन, ईएलएसएस, एलआईसी और अन्य बीमा कंपनियों की पेंशन योजनाएँ लोकप्रिय कर बचत विकल्पों में शामिल हैं।
बीमा योजनाओं में निवेश की बात करें तो 80सी के तहत चुनिंदा योजनाओं में निवेश करने से कर योग्य आय में से अधिकतम एक लाख रुपये की कटौती का लाभ मिलता है। हालाँकि प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) लागू हो जाने के बाद यह लाभ काफी बढ़ जाने की उम्मीद है।
अगर आप स्वयं, अपने जीवनसाथी और अपने बच्चों की बीमा योजना खरीदने के लिए एक लाख रुपये तक का प्रीमियम भरते हैं तो यह 80सी की कटौती में शामिल होगा। हालाँकि माता-पिता या सास-ससुर के बीमा के लिए प्रीमियम पर कटौती का लाभ नहीं मिलेगा। अगर आप एक से ज्यादा बीमा योजनाएँ लेते हैं तो सभी योजनाओं के प्रीमियम को जोड़ा जा सकता है। एंडॉवमेंट, टर्म प्लान, यूलिप और सभी तरह की मनी बैक योजनाएँ इस छूट के योग्य हैं। वहीं धारा 10 (10) डी के तहत किसी जीवन बीमा योजना की परिपक्वता पर मिलने वाली रकम पर कर छूट मिलेगी। बीमाधारक की मृत्यु होने पर नामांकित या परिजनों को मिलने वाली राशि पर भी कर देनदारी नहीं बनती।
जीवन बीमा की यूलिप योजनाएँ सुरक्षा के साथ लचीले निवेश का लाभ भी देती हैं। इसमें प्रीमियम का कुछ हिस्सा इसमें सुनिश्चित रकम (जीवन बीमा योजना के तहत मिलने वाली रकम) के लिए जाता है और बाकी हिस्से का निवेश आपकी पसंद के मुताबिक शेयर बाजार, ऋण बाजार या दोनों के मिश्रण में किया जाता है।
हालाँकि यूलिप की अवधि पूरी होने पर मिलने वाली रकम पर कर में छूट तभी मिलेगी, जब आपका सालाना प्रीमियम जीवन बीमा सुरक्षा के 20% से कम हो। दूसरे शब्दों में जीवन बीमा सुरक्षा की राशि प्रीमियम की कम-से-कम पाँच गुनी होनी चाहिए।
अगर कोई आपको सबसे बेहतरीन कर बचत योजना के नाम पर कोई खास बीमा पॉलिसी बेचने की कोशिश करता है तो कृपया याद रखें कि सबसे बेहतरीन कर बचत योजना जैसी अलग से कोई योजना नहीं होती है। सभी जीवन बीमा योजनाएँ एक समान कर छूट के योग्य हैं और आपको अपनी जरूरतों के हिसाब से जो भी बीमा योजना बढिय़ा लगे उसे ही चुनना चाहिए।
केवल कर बचत के लिए बीमा योजना खरीद लेना कोई अच्छा विचार नहीं है। इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में लोग प्रीमियम की तुलना करते हैं और उस हिसाब से सबसे सस्ती पॉलिसी चुन लेते हैं। लेकिन बीमा कंपनियाँ अपने संभावित नुकसान के अनुपात में प्रीमियम दरों में बदलाव करती रहती हैं, इसलिए बीमा योजना खरीदते समय प्रीमियम की राशि पर सबसे कम ध्यान देना चाहिए। व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से बीमा योजना लेनी चाहिए। ऐसे में किसी व्यक्ति के लिए यह तय कर लेना जरूरी है कि उसे अपने परिवार की देखभाल और अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए कितनी बीमा सुरक्षा की जरूरत है।
बीमा सुरक्षा के लिए योजनाओं के विकल्प
अपने परिवार को जीवन की अनिश्चितताओं से सुरक्षित करने के लिए कई तरीके हो सकते हैं। लेकिन इनमें से कोई भी बीमा जैसा जोखिम घटाने का सबसे सुनिश्चित तरीका नहीं है। कामकाजी व्यक्तियों के लिए यह बचत को नियंत्रित करने का बेहतर तरीका भी है।
किसी बीमा योजना में निवेश से पहले उसमें मिल रही बीमा सुरक्षा (कवर), लंबे समय में लाभ, अवधि, प्रीमियम और अपनी आय पर गौर करना जरूरी है ताकि आपको आगे चल कर प्रीमियम के मामले में चिंता न करनी पड़े। विभिन्न बीमा योजनाओं और उनके लाभ के बारे में आगे बताया गया है:
1. आजीवन योजनाएँ : ये योजनाएँ किसी व्यक्ति की वित्तीय जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ आजीवन वित्तीय सुरक्षा देती हैं।
2. एकल प्रीमियम योजनाएँ : एकल प्रीमियम योजनाएँ परिपक्वता पर कर मुक्त फायदे की गारंटी और जीवन बीमा के जरिये वित्तीय सुरक्षा देती हैं। ऐसी कुछ योजनाएँ ग्राहकों को एक बार में एकल प्रीमियम की राशि चुनने का विकल्प देती हैं।
3. एंडॉवमेंट योजनाएँ : जीवन बीमा की एंडॉवमेंट योजनाएँ एक खास अवधि पूरी होने के बाद या मृत्यु की स्थिति में एकमुश्त रकम देती हैं। परिवपक्वता अवधि किसी खास उम्र सीमा तक 10, 15 या 20 साल होती है। ऐसी कुछ योजनाओं में गंभीर बीमारी की स्थिति में भी बीमाधारक को भुगतान किया जाता है। ये योजनाएँ पारंपरिक तौर पर लाभ या यूनिट लिंक्ड होती हैं।
4. उच्चतम एनएवी उत्पाद : एक सचेत निवेशक के तौर पर आप जानते हैं कि शेयर बाजार से लंबे समय में अच्छा पैसा बनाया जा सकता है। आप यह भी समझते हैं कि बाजार का उतार-चढ़ाव निवेश को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में आप ऐसी निवेश योजनाओं की तलाश करते हैं जो आपकी निवेश जरूरतों को पूरा करते हुए जोखिम घटाये। ये योजनाएँ लाभ को सुरक्षित रखते हुए संभावित उतार-चढ़ाव से आपके निवेश की रक्षा करती हैं।
लंबे समय में अच्छी संपदा हासिल करने के साथ-साथ ये योजनाएँ मृत्यु लाभ और परिपक्वता लाभ जैसे फायदे भी देती हैं। थोड़ा अतिरिक्त प्रीमियम देकर पॉलिसीधारक जीवन बीमा सुरक्षा के साथ कई तरह के राइडर यानी विशेष लाभ ले सकते हैं। कुछ जीवन बीमा योजनाओं पर कर्ज भी मिलता है।
जरूरत के मुताबिक योजनाएँ
आप अपनी जरूरतों के हिसाब से बीमा योजनाएँ ले सकते हैं। अगर आप अपने बच्चे के लिए बचत करना चाहते हैं तो शिशु बीमा योजनाएँ ले सकते हैं, जो बच्चे की शिक्षा और शादी जैसे अहम पड़ावों पर आपको पैसे देंगी। अगर आप सेवानिवृति (रिटायरमेंट) के लिए बचत करना चाहते हैं तो जोखिम उठाने की क्षमता के मुताबिक यूलिप पेंशन योजना या सामान्य एंडॉवमेंट योजना ले सकते हैं। अगर आप केवल सुरक्षा चाहते हैं तो टर्म प्लान सबसे अच्छे हैं जो बेहद कम दाम में काफी अधिक सुरक्षा देते हैं।
बहु निवेश विकल्प
संपदा और सुरक्षा देने वाली यूलिप योजनाओं में मुख्यत: दो तरह के निवेश विकल्प होते हैं। पहला स्वप्रबंधित (सेल्फमैनेज्ड) और दूसरा गांरटीड विकल्प। स्वप्रबंधित निवेश विकल्प आपको अपने प्रीमियम का निवेश तमाम तरह के फंडों में करने की आजादी देता है, 100% इक्विटी से लेकर 100% कर्ज तक के फंडों में। वहीं गारंटीड विकल्प में आपके निवेश का समूचा प्रबंधन बीमा कंपनी करती है। पारंपरिक विकल्पों के अलावा कंपनियाँ ट्रिगर पोर्टफोलियो (बाजार के हालात के मुताबिक शेयर या कर्ज डेट में बदलाव) और लाइफसाइकिल विकल्प (उम्र के हिसाब से शेयर या कर्ज में बदलाव) जैसे अनोखे विकल्प भी देती हैं।
बीमा योजना चुनने की कसौटियाँ
ऊपर बतायी गयी इन बातों के आधार पर आपके लिए अपनी जरूरतों के हिसाब से बीमा विकल्पों की तुलना करना आसान है। अब आगे दी गयी कुछ खास कसौटियों के आधार पर बीमा योजनाओं की तुलना करनी चाहिए :
कितनी सुरक्षा मिल रही है?
कर छूट कटौती और अन्य कर संबंधी लाभ के लिए जरूरी है कि बीमा राशि सालाना प्रीमियम की कम-से-कम 20 गुना होना चाहिए। हालांकि यह मानक काफी सख्त है। लेकिन फिर भी यह मानना तो वाजिब है कि अगर कोई बीमा योजना सालाना प्रीमियम के 10 गुने के बराबर बीमा सुरक्षा नहीं देती तो उसे आपके पोर्टफोलियो में रहने का कोई हक नहीं है। सामान्य तौर पर एकल प्रीमियम की स्थिति में 5 गुना और अन्य योजनाओं में 10 गुना बीमा सुरक्षा मिलनी चाहिए।
हालाँकि आप जल्दबाजी में किसी पॉलिसी को केवल कम बीमा सुरक्षा (कवर) की वजह से न ठुकरायें। अगर किसी योजना को समय से पहले भुनाया जाता है तो आपको सरेंडर शुल्क भी देना पड़ता है। अगर पॉलिसी नयी है तो शुल्क ज्यादा होगा, लेकिन समय के साथ शुल्क कम हो जायेगा। परिपक्वता के करीब आ चुकी योजनाओं को भी वापस नहीं करना चाहिए। ऐसी योजनाओं से छुटकारा पाने से क्या फायदा जो 2-3 साल में परिपक्व होने वाली हों? ऐसी योजनाओं को वापस करने के बारे में सोचें जो परिपक्वता के ज्यादा नजदीक न हों और ज्यादा चली भी ना हों। योजनाओं को घटती परिपक्वता और बाहर निकलने की लागत (सरेंडर शुल्क) के आधार पर चुनें।
इसी तरह यूलिप निवेशकों को अनिवार्य लॉक-इन अवधि के बाद योजनाओं को वापस नहीं करना चाहिए। अगर आपकी पॉलिसी दो साल से ज्यादा पुरानी है तो ऊँचे शुल्क का नुकसान हो ही चुका है। इसलिए बेहतर है कि आप उसे रखे रहें। एकल प्रीमियम वाली बीमा योजनाओं को भी बनाये रखना चाहिए।
क्या यह आपकी वित्तीय योजना में फिट बैठती है ?
सभी बीमा योजनाएँ कुछ खास लक्ष्यों को पूरा करती हैं। मनी-बैक योजनाएँ समय-समय पर भुगतान करती हैं। एंडॉवमेंट योजनाएँ कर-मुक्त संपदा बनाने में मदद करती हैं। यूलिप की शेयर बाजार में निवेश के जरिये पैसे बनाने में अहम भूमिका है। किसी बीमा योजना पर विचार करते समय सोचें कि आपकी वित्तीय योजना में उसकी क्या अहमियत है? अगर आपकी नौकरी स्थिर है और आमदनी भी बढ़ रही है तो मनी-बैक योजना आपके लिए नहीं है। अगर आपको पहले से तय लेकिन कम लाभ पसंद नहीं है तो एंडॉवमेंट योजना आपकी जरूरत पूरी नहीं करती। अगर आप कम जोखिम वाला पोर्टफोलिओ चाहते हैं तो यूलिप योजनाएँ शेयर बाजार पर निर्भर होने की वजह से आपके अनुकूल नहीं हैं।
योजना कब परिपक्व हो रही है?
योजना की परिपक्वता का समय अनाज से भूसी अलग करने जैसा अहम पहलू है। आदर्श स्थिति यह है कि बीमा योजना किसी व्यक्ति को उस समय तक सुरक्षा दे, जब तक वह कमाई कर रहा होगा। अगर 25 साल का एक व्यक्ति 15 साल में परिपक्व होने वाली बीमा योजना खरीदता है तो वह योजना 40 साल में परिपक्व हो जायेगी और उसके उद्देश्य को ठीक से पूरा नहीं करेगी। वजह यह है कि उस व्यक्ति की वित्तीय जिम्मेदारियाँ 40 साल की उम्र तक खत्म नहीं होंगी। वास्तव में इस उम्र में उसकी जिम्मेदारियाँ चरम पर होती हैं और उसकी बीमा की जरूरत भी सबसे ज्यादा होती है। इसी तरह बीमा योजनाओं को सेवानिवृति (रिटायरमेंट) या उसके बाद तक के लिए रखें।
क्या आप प्रीमियम भर सकते हैं?
अपनी बीमा संबंधी जरूरतों के साथ-साथ यह भी देखें कि क्या आप उतने प्रीमियम का बोझ उठा सकते हैं। आप संभवत: यूलिप के जरिये इक्विटी में निवेश या एंडॉवमेंट योजना से तय लाभ चाहते होंगे। यहाँ हम खास तौर पर कर बचत के नजरिये से चर्चा कर रहे हैं। लिहाजा यह बताना अहम है कि एकल प्रीमियम वाली कई बीमा योजनाएँ कर बचत के लिहाज से अच्छी नहीं होतीं। संभव है आपको उसमें कर छूट मिले ही नहीं, और परिपक्वता लाभ पर भी आय कर देना पड़ सकता है। लेकिन आपका बीमा एजेंट यह सब नहीं बतायेगा। एकल प्रीमियम योजनाएँ उनके लिए बेहतर हैं, जिनकी आमदनी अनियमित है। मसलन, डॉक्टर, वकील, सलाहकार और कारोबारी जैसे स्व-रोजगार वाले पेशेवरों की आय अस्थिर होती है। उनके लिए सालाना प्रीमियम के बजाय एकल प्रीमयम कहीं बेहतर विकल्प है। अगर नियमित प्रीमियम नहीं भर पाये तो बीमा योजना रद्द हो सकती है। वित्तीय अनुशासन नहीं रख पाने वाले निवेशकों के लिए हर साल प्रीमियम भरने के बजाय एक बार प्रीमियम भरने का विकल्प ज्यादा बेहतर हो सकता है। अगर आपको विरासत या बँटवारे से बड़ी रकम मिली हो और तय नहीं कर पा रहे हों कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाये तो एकल प्रीमियम बीमा योजना लेना उपयोगी होगा। इससे आपको उस हद तक कर संबंधी लाभ तो नहीं मिलेगा, लेकिन इससे कम-से-कम आपको पर्याप्त बीमा सुरक्षा मिलेगी।
बाजार में उपलब्ध बीमा योजनाएँ
टर्म प्लान, मासिक आय योजना, एन्युइटी योजना, युलिप आदि से संबंधित तमाम योजनाएँ उपलब्ध हैं।
इसी तरह सबसे ज्यादा एनएवी गारंटीड रिटर्न योजनाएँ लेते समय ध्यान रखें कि ये अतिरिक्त शुल्क काटती हैं। शुल्क के मोर्चे पर सबसे ज्यादा एनएवी वाली योजनाएँ अलग तरीके से काम करती हैं। ये योजनाएँ गारंटीड रिटर्न के लिए अतिरिक्त शुल्क लेती हैं। आगे कुछ कंपनियों के गारंटी शुल्क की संकेतात्मक सूची दी गयी है।
गारंटी शुल्क :
एचडीएफसी एसएल क्रेस्ट : 0.50%
आईसीआईसीआई पिनैकल सुपर : 0.25%
रिलायंस हाइएस्ट एनएवी : 0.15%
एसबीआई स्मार्ट वेल्थ एश्योर 0.35%
टाटा एआईजी इन्वेस्ट एश्योर एपेक्स : 0.25%
एसबीआई स्मार्ट परफॉर्मर : 0.50%
साथ ही ज्यादातर योजनाओं में सबसे ज्यादा एनएवी परिपक्वता की स्थिति में ही लागू होती है। यह इन हालात में मान्य नहीं होती:
- मृत्यु लाभ
- आंशिक निकासी
- सरेंडर लाभ
प्रमुख बीमा निवेश योजनाएँ (यूलिप)
- एवीवा फ्रीडम लाइफ एडवांटेज
- एसबीआई लाइफ-स्मार्ट एलीट
- बजाज आलियांज लाइफ आईगेन
- एसबीआई लाइफ-स्मार्ट हॉरिजन
- टाटा एआईजी लाइफ इन्वेस्ट फ्लेक्सी सुप्रीम
प्रमुख एकल प्रीमियम योजनाएँ (यूलिप)
- एसबीआई लाइफ-स्मार्ट वेल्थ एश्योर
- आईसीआईसीआई प्रु लाइफलिंक वेल्थ एसपी
- अवीवा लाइफ बॉन्ड एडवांटेज
- टाटा एआईजी लाइफ इन्वेस्ट एश्योर प्लस सुप्रीम
- आईएनजी प्रॉस्पेरिंग लाइफ एसपी
प्रमुख बाल योजनाएँ (युलिप)
- एसबीआई स्मार्ट स्कॉलर
- मैक्स न्यूयॉर्क शिक्षा प्लस
- टाटा एआईजी लाइफ यूनाइटेड उज्ज्वल भविष्य सुप्रीम
- कोटक हेडस्टार्ट चाइल्ड एश्योर
- एसयूडी लाइफ प्रभात तारा 3
ऊपर दी गयी योजनाओं का चुनाव बाजार में प्रदर्शन, लागत (शुल्क), पारदर्शिता, लचीलापन और सेवाओं (कंपनी के दावा निपटान अनुपात) के आधार पर किया गया है। विभिन्न मदों में कंपनी के शुल्कों का आकलन करके यह देखा गया है कि वह ग्राहकों के लिए कितनी फायदेमंद है। किसी बीमा कंपनी की पारदर्शिता आँकने के लिए हमने यह देखा कि उसकी वेबसाइट/ब्रोशर में दी गयी जानकारी कितनी विस्तृत है। इस खोजबीन के दौरान हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि बहुत-सी बीमा कंपनियों ने सभी शुल्कों के बाद 6% और 10% रिटर्न के हिसाब से कुल आय का अंदाजा लगाने के लिए ऑनलाइन कैलकुलेटर नहीं दिये हैं।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)