आपको आश्चर्य होगा कि सालाना साढ़े पाँच लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर भी आप की आय कर देनदारी शून्य हो सकती है। आइये देखें यह कैसे संभव होगा। कुमार को वेतन-भत्तों से सालाना 5.62 लाख रुपये मिलते हैं। उनका मूल (बेसिक) वेतन 2.50 लाख रुपये है।
उन्हें एचआरए एक लाख रुपये, परिवहन भत्ता 9,600 रुपये, चिकित्सा खर्च भुगतान, 15,000 रुपये, एलटीए 20,000 रुपये और बच्चों की छात्रवृति के मद में 2,400 रुपये मिलते हैं। यह सब घटाने पर सकल (ग्रॉस टोटल) आय 3.95 लाख रुपये रह जाती है। इसके बाद उन्होंने 80सी के तहत और बुनियादी ढाँचा बांडों में कुल 1.20 लाख रुपये के निवेश किये।
फिर उन्होंने 15,000 रुपये तक का चिकित्सा बीमा (मेडिकल इन्श्योरेंस) कराया। घर कर्ज के ईएमआई में उनका ब्याज भुगतान केवल एक लाख रुपये का ही था।
इन सबको घटाने पर उनकी कुल कर योग्य आय रही 1.80 लाख रुपये। लेकिन इस सीमा तक की आय कर मुफ्त है, यानी उनकी कर देनदारी हो गयी शून्य। लेकिन ध्यान रखें कि ये उदाहरण कर बचाने के ज्यादा-से-ज्यादा रास्ते समझाने के लिए हैं।
हकीकत में ऐसे उदाहरण शायद न मिलें, क्योंकि इनमें तो लगभग सारी कमाई कर बचाने के उपायों में ही चली जा रही है और हाथ में काफी कम पैसे बच रहे हैं। हाँ, अगर किसी के जीवनसाथी की भी कमाई हो और घर खर्च उससे चले, तब तो सचमुच इतना कर बचा ले जाना मुमकिन है!
(निवेश मंथन, मार्च 2012)