आपका मकान एक नहीं, कई तरह से आपके कर का बोझ हल्का करता है। लोग आम तौर पर यही जानते हैं कि घर कर्ज (होम लोन) पर 1.50 लाख रुपये तक के ब्याज पर कर की छूट मिलती है। लेकिन इसके अलावा कई और तरह से भी मकान आपकी कर देनदारी घटा सकता है। देखते हैं एक मकान किन-किन तरीकों से दिलाता है कर में छूट:
घर कर्ज : घर कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) के दो हिस्से होते हैं - मूल धन (प्रिंसिपल) की वापसी और ब्याज। शुरुआत में ब्याज ज्यादा होता है और मूल धन कम। समय के साथ ब्याज का हिस्सा घटता जाता है और मूल धन की वापसी बढ़ती जाती है। मूल धन की वापसी पर धारा 80सी के तहत छूट मिलती है, यानी एक लाख रुपये तक के निवेश की सीमा में इसे भी दिखाया जा सकता है। वहीं 1.50 लाख रुपये तक ब्याज पर भी अलग से कर छूट तो मिलती ही है।
रजिस्ट्री पर खर्च : मकान खरीदते समय रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी पर होने वाला खर्च धारा 80सी के तहत आता है, यानी एक लाख रुपये की कर छूट पाने के लिए इसे भी जोड़ा जा सकता है।
एचआरए के साथ घर कर्ज : यह आम धारणा है कि मकान किराया भत्ता (एचआरए) और घर कर्ज के ब्याज पर छूट एक साथ नहीं ली जा सकती। लेकिन कई स्थितियों में दोनों फायदे एक साथ लिये जा सकते हैं। देखते हैं पाँच ऐसे मामले :
- रमेश दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करते हैं और दिल्ली में ही घर कर्ज से खरीदे अपने मकान में रहते हैं। वे एचआरए पर कर छूट नहीं ले सकेंगे। लेकिन इनके लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश गुप्ता एक रास्ता बताते हैं। रमेश अपना मकान उसी कंपनी को किराये पर दे दें, जिसमें वे नौकरी करते हैं। फिर वह कंपनी उन्हें एचआरए देने के बदले वही मकान मुफ्त आवास सुविधा के रूप में दे दे। इस मुफ्त आवास सुविधा पर 20% अनुलाभ (पर्क) उनकी आमदनी में जोड़ा जायेगा, जो कर के दायरे में आयेगा। लेकिन कुल मिला कर इस तरीके से रमेश फायदे में रहेंगे।
- मोहन दिल्ली में नौकरी करते हैं और वहाँ किराये के मकान में रहते हैं। उनका घर कर्ज से खरीदा हुआ मकान किसी और शहर में है। उन्हें एचआरए और घर कर्ज दोनों पर कर की छूट मिल जायेगी।
- शकील दिल्ली में नौकरी करते हैं और किराये के मकान में रहते हैं, क्योंकि दिल्ली में ही कर्ज लेकर खरीदा हुआ घर अभी बन ही रहा है। उन्हें घर का निर्माण चलते रहने के दौरान एचआरए का फायदा भी मिलेगा और 80सी के तहत मूल धन के भुगतान पर कर छूट भी। लेकिन इस दौरान ब्याज पर छूट नहीं मिलेगी। निर्माण पूरा होने तक वे जितना ब्याज चुकायेंगे, उसकी छूट निर्माण पूरा होने के बाद पाँच सालों में बराबर किस्तों में मिलेगी।
- सुमित दिल्ली में रहते और नौकरी करते हैं और यहीं घर कर्ज से खरीदा उनका अपना मकान है, जिसे खाली छोड़ कर वे किराये के मकान में रहते हैं। उन्हें एचआरए और घर कर्ज पर मूल धन और ब्याज दोनों की कर छूट मिल सकती है, लेकिन उन्हें इसी शहर में अपना मकान होने के बावजूद किराये के मकान में रहने का उचित कारण बताना होगा। साथ ही, उस खाली मकान पर एक अनुमानित किराया भी उनकी आमदनी में जोड़ा जायेगा, जिस पर उन्हें आय कर चुकाना होगा। दूसरी ओर अपने मकान पर लगा संपत्ति कर उस अनुमानित आय में से घट जायेगा। अब जो अनुमानित आय बचेगी, उसमें मरम्मत और रखरखाव के लिए 30% कटौती का फायदा भी मिलेगा। इसके अलावा, घर कर्ज के याज पर 1.50 लाख रुपये की सीमा भी हट जायेगी और समूचा ब्याज भुगतान कर योग्य आय में से घटेगा, भले ही वह 1.5 लाख रुपये से ज्यादा हो।
- विशाल दिल्ली में रहते हैं, यहीं नौकरी करते हैं। उन्होंने दिल्ली में ही घर कर्ज लेकर खरीदा हुआ मकान किसी को किराये पर दे रखा है और खुद दूसरे मकान में किराये पर रह रहे हैं। उन्हें एचआरए और घर कर्ज दोनों पर आय कर छूट मिलेगी। मगर अपने मकान पर मिल रहा किराया उनकी अन्य स्रोतों से आय में जोड़ा जायेगा और उस पर कर देनदारी बनेगी। मगर पिछले उदाहरण में सुमित को संपत्ति कर, 30% कटौती और ब्याज भुगतान पर जो राहत मिली है, वैसी ही राहत विशाल को भी मिलेगी।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)