सुभाष लखोटिया, कर सलाहकार :
सबसे पहले हम यह देखते हैं कि मार्च 2012 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए आप नये निवेश के जरिये कैसे कर में छूट पा सकते हैं। सबसे पहले करदाताओं को यह देखना चाहिए कि धारा 80सी में जो एक लाख रुपये की सीमा है, उसका पूरा इस्तेमाल कर लें।
इस एक लाख रुपये की सीमा में वे चाहें तो पीपीएफ करें, पीएफ करें, बीमा (इंश्योरेंस) पॉलिसी लें, इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड लें, एफडीआर लें, या ईएलएसएस में निवेश करें। कुल मिला कर यह देखना है कि एक लाख रुपये की सीमा का पूरा इस्तेमाल हो गया या नहीं।
लेकिन मेरी सलाह है कि एक लाख रुपये की सीमा पूरी करने के लिए अगर नयी बीमा पॉलिसी खरीदना चाहते हैं तो सोच विचार कर करें। आप इतनी बड़ी बीमा पॉलिसी नहीं लें कि आने वाले समय में आपको संकट का सामना करना पड़े। संभव है कि आगे के सालों में किसी कारण से उतना पैसा हाथ में नहीं रहे। जैसे, हो सकता है कि महँगाई ज्यादा हो जाये। आपकी आमदनी की स्थिरता देखनी होगी, कहीं यह कम-ज्यादा न हो। यह सब देख कर आपको निवेश करना चाहिए नयी बीमा पॉलिसी में। अभी बड़ी पॉलिसी लेने से धारा 80सी का लाभ इस साल तो मिल जायेगा। पर इसके बाद से हर साल चाहे उतनी आमदनी हो या नहीं, लेकिन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम अदा करना आपके लिए अनिवार्य हो जायेगा। अगर आपने प्रीमियम देना अगले साल जारी नहीं रखा तो पॉलिसी रद्द हो जायेगी। फिर आपका नुकसान हो जायेगा, इसलिए कोई फायदा नहीं है। मेरे हिसाब से आप बीमा पॉलिसी लें, मगर छोटी-छोटी लें। बड़ी रकम, जैसे पूरे एक लाख रुपये केवल बीमा प्रीमियम के लिए न दें।
इस साल निवेश में ध्यान रखने वाली दूसरी महत्वपूर्ण चीज यह है कि एक नया निवेश विकल्प आ गया है दिसंबर से, जिसका नाम है एएससी नाइंथ इश्यू। यह भी एक अच्छा विकल्प है। इसमें 10 साल की मियाद है। इस पर 8.7% ब्याज मिलेगा और कर में छूट आयकर की धारा 80सी के तहत प्राप्त होगी। मगर इसमें ब्याज पर छूट बिल्कुल नहीं है। साथ में ध्यान रखें कि इसका ब्याज तो आपको 10 साल बाद ही एक साथ मिलेगा। परंतु हर साल आपको हासिल ब्याज के रूप में इस राशि को अपनी आय में दिखलाना होगा और उस पर आयकर भी देना होगा। यह ऐसी चीज है, जो लोग अक्सर भूल सकते हैं। हालाँकि यह अच्छा विकल्प इस मायने में है कि ब्याज थोड़ा-सा ज्यादा है।
पर निवेशकों के लिए इससे भी बेहतर विकल्प मैं मानता हूँ पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड को। अगले वर्ष कमाई ज्यादा हो या कम हो, इन सब से भी कोई परेशानी इसमें नहीं होती। कोई जरूरी नहीं है कि हर साल आपको ज्यादा रुपये लगाने पड़ें। पीपीएफ में भी अब एक लाख रुपये तक की सीमा हो गयी है। सरकार ने यह सीमा एक दिसंबर से बढ़ा दी है। यह एक अच्छी बात है। अब कुल मिला कर साल भर में हर व्यक्ति एक लाख रुपये तक की राशि पीपीएफ में जमा करा सकता है। पीपीएफ की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे मिलने वाला ब्याज पूर्ण रूप से कर मुक्त है। इस ब्याज पर कोई आयकर नहीं लगेगा। साथ ही इसमें निवेश पर आपको आय कर की धारा 80 सी की छूट भी मिलेगी। अब इस पर ब्याज दर भी बढ़ गयी है और 8.6% ब्याज मिलेगा। यह निवेश का सुरक्षित विकल्प है और इसमें आपको लंबी अवधि तक चिपके रहना पड़ेगा, जो एक तरह से अच्छी ही बात है। जो छोटे वेतनभोगी कर्मचारी हैं, नयी-नयी नौकरी लगी है, उनके लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है। उनको अनिवार्य रूप से बचत हो जायेगी और पैसा तुरंत नहीं निकाल पायेंगे, लंबी अवधि तक पैसा चिपक करके रहेगा जो आपको भविष्य में काम आयेगा। इसलिए पीपीएफ को मैं सबसे अच्छा विकल्प मानता हूँ। इसमें 15 साल बँध कर रहना है, पर यह बेहतर है। आने वाले समय में 15 साल बाद जो बड़ी जिम्मेदारियाँ होंगी घर-परिवार की, या बुजुर्ग लोगों के लिए अवकाश प्राप्ति का समय होगा, उस समय उन्हें सब सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा।
जब आपने 80 सी की धारा का पूरा लाभ ले लिया तो उसके बाद 80 सीसीएस के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में 20 हजार रुपये का अतिरिक्त निवेश जरूर करना चाहिए। विशेष तौर से ऐसे करदाता, जिनकी सालाना आय रुपये पाँच लाख से ज्यादा है, उनको तो जरूर यह निवेश करना चाहिए।
इससे उनकी कर बचाने की क्षमता ज्यादा हो जायेगी, क्योंकि अगर पाँच लाख रुपये से कम की आय है तो उस पर मात्र 10% का ही कर लाभ होगा। अगर यह निवेश नहीं करें, तो भी 10% ही आयकर लगेगा। लेकिन पाँच लाख रुपये से ज्यादा आय वाले व्यक्तियों के लिए 20-30% का फायदा होगा। इसलिए यह अच्छा विकल्प है। यह भी सुरक्षित विकल्प है और इसमें 9% या इससे थोड़ा ज्यादा ही ब्याज मिलेगा। इसलिए करदाताओं को इसका लाभ लेना चाहिए।
इसके बाद मार्च 2012 तक अगर कर्ज (होम लोन) लेकर कोई मकान खरीदने का विचार हो तो खरीद लें। इस पर जितने ब्याज का भुगतान इस वित्त वर्ष के अंदर करेंगे, उस ब्याज पर आपको कर में छूट का लाभ मिलेगा। साथ ही उस घर कर्ज के मूलधन की जितनी वापसी (प्रिंसिपल रिपेमेंट) करते हैं, उस पर भी आपको छूट मिलेगी। हालाँकि केवल कर छूट के लिए जल्दबाजी में फैसला नहीं करें। अगर मार्च तक मकान नहीं लिया या तो बेहतर है कि इंतजार करें और अगले वित्त वर्ष में शांति से लें। आज अगर अभी मकान ले भी लेते हैं तो ब्याज का भुगतान केवल दो-तीन महीने का ही होगा। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। घर कर्ज की मूलधन वापसी पर कर में छूट एक लाख रुपये की सीमा के अंदर ही है। लेकिन सरकार को चाहिए कि जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश पर 20,000 रुपये की अलग से छूट मिलती है, उसी तरह सरकार घर कर्ज की मूलधन वापसी पर कुछ अलग प्रावधान बनाये। नये मकान में निवेश करने वाले लोग बढ़ती हुई ब्याज दरों से परेशानियाँ झेल रहे हैं। उनको थोड़ी राहत देने और थोड़ा उत्साह दिलाने के लिए सरकार उन्हें एक लाख रुपये या 1.20 लाख रुपये तक की अलग से छूट दे तो बड़ा अच्छा होगा।
इन विकल्पों का लाभ लेने के बाद आपको देखना है कि चिकित्सा बीमा (मेडिकल इंश्योरेंस) करवाया है कि नहीं। आयकर की धारा 80 बी के तहत आप 15 हजार तक सालाना प्रीमियम पर कर छूट पा सकते हैं। इसके अलावा अगर बुजुर्ग माँ-बाप हों तो उनके लिए चिकित्सा बीमा पर 20,000 रुपये तक की अतिरिक्त मिलेगी। इसे केवल कर नियोजन (टैक्स प्लानिंग) की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उसको सुरक्षा के नजरिये से देखना चाहिए कि आने वाले समय में कहीं कोई बड़ी बीमारी लग जाये घर में किसी सदस्य को तो इलाज के खर्च की चिंता नहीं रहेगी। अपने थोड़े से पैसे निवेश किये, चिकित्सा बीमा ले लिया, तो कर में भी छूट मिली और चिंता भी नहीं रही।
अंत में एक और चीज है, जिसका ध्यान वेतनभोगी कर्मचारियों को विशेष तौर से रखना चाहिए। अगर उन्होंने आयकर की धारा 80 सी अथवा 80 सीसीएस का लाभ उठाने के लिए इस वित्त वर्ष के लिए निवेश का ब्योरा अपने नियोक्ता को अभी तक नहीं दिया हो तो जरूर दे दें। चेष्टा करें कि इस ब्योरे के मुताबिक उनका निवेश अति शीघ्र हो जाये। सबसे बड़ी बात हर व्यक्ति के लिए यह है, चाहे वेतनभोगी कर्मचारी हों या गैरवेतनभोगी व्यक्ति या सेवानिवृत व्यक्ति, सभी यह निवेश मार्च तक कर सकते हैं। मार्च तक के निवेश पर कर की छूट हमें मिलेगी। पर इस बात को भी जरूर ध्यान रखना है कि जो भी निवेश आपने किया है कर बचाने की दृष्टि से, उसके चेक का भुगतान निश्चित रूप से आपके बैंक खाते में से 31 मार्च के पहले निकल जाये। मान लें आपने 30 मार्च को चेक दिया और चेक का भुगतान आपके खाते से हुआ 1 अप्रैल या इसके बाद, तो ऐसी अवस्था में आपको कर में छूट का लाभ नहीं मिलेगा।
अभी बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल भी है कि प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड या डीटीसी) के कैसे प्रावधान होंगे और उनसे क्या असर पड़ेगा। लेकिन अभी डीटीसी के लिए कुछ भी कहना मुश्किल है। इसके एक अप्रैल से लागू होने की बात है। लेकिन अभी तो इसका अंतिम मसौदा ही नहीं आया है। यह कब आयेगा किसी को नहीं पता। अभी पता नहीं कि यह इस बजट में आयेगा और एक अप्रैल से लागू हो पायेगा, या अभी नहीं आयेगा। यह इस साल से लागू होगा या 2013 से, यह भी साफ नहीं है। मेरा मानना है कि यह चाहे जब से भी लागू हो, लेकिन मौजूदा समय में करदाताओं के निवेश की राशि पर बाद में कर लगाये जाने की आशंका नहीं है। इस बात से डरने की जरूरत नहीं है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2012)