राजीव रंजन झा :
हमारे शेयर बाजार में साल 2011 का समापन बड़े मायूस ढंग से हुआ है। नये साल के लिए जानकारों की टिप्पणियों में यह फैसला करना मुश्किल है कि उम्मीदों का पलड़ा भारी है या डर का। लेकिन मुझे लग रहा है कि भारतीय बाजार में फिलहाल एक ठीक-ठाक उछाल की संभावना बनने लगी है।
इस उछाल से आप बाजार की दिशा एकदम बदल जाने की उम्मीद लगा लें, यह मैं नहीं कह रहा। लेकिन अगर आपको निफ्टी में करीब 4500 से करीब 5200 तक की उछाल की गुंजाइश दिखती हो, तो इसे मौजूदा माहौल में कोई छोटी तेजी भी नहीं कह सकते।
अगर हम नवंबर 2010 से अब तक भारतीय शेयर बाजार की चाल देखें तो निफ्टी करीब 1000-1200 अंक तक की गिरावट के बाद करीब 700 अंक उछलने का रुझान दिखाता रहा है। नवंबर 2010 के शिखर 6339 से 11 फरवरी 2011 की तलहटी 5178 का फासला 1161 अंक का था। अगर आप 4 जनवरी के शिखऱ 6181 से 5178 तक की गिरावट देखना चाहें तो निफ्टी ने इसमें 1003 अंक गँवाये थे। इसके बाद निफ्टी ने सँभलना शुरू किया और 6 अप्रैल को 5944 तक चढ़ा। इस तरह यह बढ़त 766 अंक की रही।
अब अगर हम 5944 से 26 अगस्त की तलहटी 4720 तक की पूरी गिरावट देखें तो यह 1224 अंक की थी। लेकिन अगर आप 8 जुलाई के शिखर 5740 से देखें तो यह गिरावट 1020 अंक की थी। यह 1000-1200 अंक की गिरावट पूरी करने के बाद निफ्टी फिर से सँभला और 28 अक्टूबर को 5400 तक गया। यह ऊपर वाली चाल 680 अंक की रही, मोटे तौर पर फिर से 700 अंक की।
अक्टूबर के इस शिखर यानी 5400 से दिसंबर के निचले स्तर 4531 तक निफ्टी में 869 अंक की कमजोरी दिखी। इस लिहाज से निफ्टी ने इस बार 1000-1200 अंक गिरने का क्रम पूरा नहीं किया, क्योंकि 5400 से 1000 अंक की गिरावट का मतलब 4400 और 1200 अंक की गिरावट का मतलब 4200 है।
यहाँ दो संभावनाएँ बनती हैं। पहली यह कि निफ्टी 4531 की ताजा तलहटी को तोड़ दे और 4400-4200 तक फिसलने का अधूरा रह गया काम पूरा करे। दूसरी संभावना यह होगी कि निफ्टी 4531 से करीब 600-700 अंक तक की नयी उछाल फिर से भरे, यानी 5100-5200 के पास तक जाये और वहाँ से फिर 1000-1200 अंक की बड़ी गिरावट आये यानी 4200-4000 तक की।
लेकिन इस सारे गणित के बीच में हमें निफ्टी की उस बड़ी पट्टी का ध्यान रखना होगा, जिसके बीच नवंबर 2010 से अब तक की सारी उठापटक होती रही है। इस पट्टी की निचली रेखा अभी 4400 के पास है और अगले एक महीने में करीब 4325 के पास होगी।
इसलिए अगर हमें जनवरी के शुरुआती दिनों में कोई गिरावट दिखती है तो इसी रेखा पर अच्छा सहारा मिलने की उम्मीद रहेगी। इस रेखा ने सहारा दिया तो जहाँ भी तलहटी बनेगी, वहाँ से आप 700 अंक की नयी उछाल की उम्मीद कर सकते हैं। ऐसी उछाल निफ्टी को फिर इस पट्टी की ऊपरी रेखा के पास ले जायेगी। यह रेखा अभी करीब 5300 पर है और अगले महीने तक करीब 5200 पर होगी। मुझे लगता है कि निफ्टी जब करीब 5100-5200 के पास जायेगा तो वह इसके लिए एक निर्णायक मौका होगा। जैसा मैंने ऊपर लिखा, उसके मुताबिक वहाँ से फिर 1000-1200 अंक की गिरावट की संभावना तो होगी ही। शायद वह बाजार में कमजोरी के इस दौर की आखिरी बड़ी गिरावट हो।
लेकिन 5100-5200 के स्तर पर दूसरी संभावना यह भी होगी कि निफ्टी अपनी बढ़त को कायम रखे और नवंबर 2010 से चल रही गिरती पट्टी की ऊपरी रेखा को पार करके इसके ऊपर निकल जाये। ध्यान रखें कि निफ्टी जब भी इस पट्टी की ऊपरी रेखा को पक्के तौर पर पार करेगा, तो वह बाजार में कमजोरी का दौर पूरा होने का एक बड़ा संकेत होगा।
मोटी बात यह है कि इस पट्टी में रहते हुए भी निफ्टी एक तरफ 1000-1200 अंक तक की गिरावट तो दूसरी ओर करीब 700 अंक तक की उछाल के मौके देता रहा है। निवेशक और कारोबारी इस गिरावट और उछाल का फायदा उठा सकते हैं। मगर ध्यान रखें कि यह पट्टी आगे आपको ऐसे केवल 1-2 मौके ही देगी, इससे ज्यादा नहीं। आगे यह पट्टी यह टूटेगी और इसके टूटने की दिशा जिधर भी होगी, उधर एक नयी चाल बनेगी।
अगर साल 2012 में दुनिया खत्म नहीं होने वाली है, तो यह पट्टी ऊपर की ओर ही टूटनी चाहिए। नीचे की ओर अगर यह पट्टी कुछ समय के लिए टूटेगी भी तो मुझे यह संदेह रहेगा कि बाजार कुछ छकाने वाला है। मान लें कि करीब 4200-4000 पर यह पट्टी टूटी भी तो क्या होगा? शायद निफ्टी 3800 तक चला जाये। यह वही स्तर है, जिसकी चर्चा मैंने जुलाई 2011 के अंक में की थी। यानी नीचे की ओर पट्टी के टूटने पर नीचे की वह चाल 5-10% से ज्यादा बड़ी नहीं होगी। लेकिन अगर बाजार अपनी इस पट्टी को ऊपर की ओर तोड़े तो इसके लिए आगे बिल्कुल खुला आसमान होगा। इसलिए ऐसी कोई उछाल संभवत: अगले कई सालों की नयी तेजी की शुरुआत होगी।
हालाँकि बाजार में कई जानकार अभी कई महीनों या तिमाहियों तक भारतीय बाजार के एक बेहद छोटे दायरे में जमने की संभावना जताते रहे हैं। कुछ लोगों के हिसाब से तो अब 2014 तक भारतीय बाजार से कोई खास उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। शायद 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उनकी यह राय हो। लेकिन भारतीय बाजार का मिजाज बड़ा बेसब्र है। यह किसी सीधी पट्टी में ज्यादा समय गुजार नहीं पाता। इसलिए इसकी दिशा हमेशा या तो ऊपर होती है या नीचे।
बाजार के जिन निचले स्तरों की चर्चा ऊपर की गयी है, उससे ज्यादा नीचे जाने की गुंजाइश मुझे तो नहीं दिखती। अगर विश्व अर्थव्यवस्था में कोई नयी सूनामी आ जाये और कुछ महल फिर से ढह जायें तो कहना मुश्किल है। लेकिन अभी जितनी बुरी स्थितियों की कल्पना की जा सकती है, जिनमें यूरो क्षेत्र के बिखर जाने की संभावना भी शामिल है, उन सबके बावजूद निफ्टी के 3800 के नीचे जाने की बात सोचना मुश्किल है। ऐसे में तलहटी चाहे 4400 पर बने या 3800 पर, वहाँ से जब बाजार पलटेगा तो एक बड़ी उछाल लाजिमी होगी।
मार्च के पहले हफ्ते में विधानसभा चुनावों के नतीजे भी बाजार में कुछ हलचल पैदा करेंगे। अगर इन नतीजों से कांग्रेस को मजबूती मिलती है, या बदले राजनीतिक समीकरणों के चलते वह अपने गठबंधन में कुछ नये सहयोगी दल जोड़ पाती है, तो बाजार इसे सकारात्मक ढंग से ले सकता है। वहीं कांग्रेस के लिए कोई बड़ी निराशा बाजार को राजनीतिक अस्थिरता की चिंता में डाल देगी। बाजार पहले ही सरकारी जड़ता और राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर परेशान है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले भी राजनीतिक अनिश्चितता के मद्देनजर भारतीय बाजार ठिठकेगा। लेकिन शायद उससे पहले ही हमें एक बड़ी उछाल मिल चुकी होगी और चुनाव से ठीक पहले हम उस अनिश्चितता का खामियाजा भुगतेंगे।
बाजार में एक बड़ा तबका मौजूदा मूल्यांकन को आकर्षक मानने के बावजूद इसीलिए रुका हुआ है कि शायद और निचले स्तरों पर खरीदने का मौका मिल जाये। जब भी उन्हें तलहटी बन जाने का भरोसा होगा, तब वे वापस बड़े स्तर पर खरीदारी शुरू करेंगे। जब भी बाजार पलटेगा और निवेशकों को बस छूटने की घबराहट होने लगेगी, उस समय इस बस में चढऩे के लिए खरीदारों की धक्का-मुक्की भी दिखेगी।
राग बाजारी ने कितना पहचाना बाजार की धुन को
अब जरा राग बाजारी के पुराने पन्ने फिर से पलटते हैं। जरा देखें तो कि बीते साल भर हमने क्या सोचा, क्या कहा और अंत में क्या निकला। मैंने शेयर मंथन में अपने स्तंभ में 05 जनवरी की सुबह ही लिखा था कि ‘यह सावधान रहने का समय है। पहले-दूसरे हफ्ते में बनने वाले शिखर से 5-10% गिरावट के लिए तैयार रहना चाहिए।‘ चेतावनी तो सही रही, लेकिन नुकसान अनुमान से काफी ज्यादा ही रहा। भारतीय बाजार में आम तौर पर हर साल जनवरी से शुरू होने वाली कमजोरी 2-4 हफ्तों या ज्यादा-से-ज्यादा 2-4 महीनों में निपट जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया।
खैर, फरवरी 2011 की तलहटी पकडऩे में हम सफल रहे। फरवरी के दूसरे हफ्ते में बाजार की निराशा चरम पर थी। मैंने बुधवार 09 फरवरी की सुबह लिखा था कि ‘अगर बाजार को और बड़ी गिरावट नहीं झेलनी है, तो इसे यहीं से पलटना होगा। ...उम्मीद की आखिरी किरण इस चार्ट में लाल रंग की वह रुझान रेखा होगी जो निफ्टी को कई सालों से सहारा देती रही है।‘ यह रेखा उस समय 5200 के पास थी। निफ्टी ने 11 फरवरी को ही 5178 पर हाल की तलहटी बनायी। अगले कारोबारी दिन 14 फरवरी की सुबह मैंने लिखा था, ‘यह उम्मीद तो दिख रही है कि बाजार ने इस गिरावट की तलहटी बना ली है।‘
इसके बाद बाजार सँभला, लेकिन निफ्टी 5600 के पास अटकता रहा। मैंने 14 मार्च की सुबह लिखा, ‘पहली संरचना के मुताबिक 5414 और दूसरी संरचना के हिसाब से 5342 को खतरे का निशान मानें, लेकिन ऊपरी स्तरों के लिए तैयार रहें।‘ निफ्टी 21 मार्च को 5348 की तलहटी बना कर उछल गया। इस उछाल की रफ्तार देख कर मैंने सोमवार 28 मार्च की सुबह ही लिखा कि ‘5798 निफ्टी का अगला स्वाभाविक लक्ष्य है।‘ सोमवार की सुबह यह लिखते समय निफ्टी 5675 के आसपास था और दो दिन बाद 30 मार्च को निफ्टी ने 5800 का स्तर छू लिया। यानी मार्च की तलहटी और शिखर पहचानने में भी हम सफल रहे।
बताये थे अप्रैल, जुलाई के शिखर
निफ्टी ने 6 अप्रैल को 5944 का शिखर बनाया था। राग बाजारी में 6 अप्रैल की सुबह ही मैंने लिखा था कि ‘बाजार में एक नरमी और मुनाफावसूली के लिए जरूरी सारी परिस्थितियाँ हैं... यह तीन बड़ी बाधाओं के मिलन स्थल के पास है।‘ इसके बाद 8 अप्रैल की सुबह ही मैंने लिखा था कि ‘फिलहाल निफ्टी ने 5944 पर एक शिखर बना लिया है।‘
अप्रैल में मैंने कई बार लिखा कि 5600 पर खतरे का निशान लगा कर रखना चाहिए। मई के पहले हफ्ते में निफ्टी इसके नीचे आ गया। मैंने 4 मई की सुबह लिखा कि ‘अगर निफ्टी 5565 के नीचे बना रह गया, तो मेरी नजर 5375 पर होगी।‘ निफ्टी 25 मई को 5329 तक फिसला। शुक्ररवार 27 मई की सुबह मैंने उन स्तरों के पास सहारा मिलने की उम्मीद जतायी। अप्रैल और मई के ऊपरी स्तरों को मिलाती रुझान रेखा के ऊपर टिकने पर मैंने 5562 तक चढऩे की उम्मीद रखी और 5562 का यह लक्ष्य 2 जून को मिल गया। इस बीच 30 मई को मैंने यह भी लिखा था कि 5562 पार होने पर 5600-5625 के दायरे में इसे कई बाधाएँ मिलेंगी। निफ्टी की यह उछाल 3 जून को 5604 पर अटक गयी, यानी 5600-5626 के बताये दायरे के बीच ही।
इसके बाद निफ्टी ने 20 जून को 5196 पर तलहटी बनायी। बाजार में और गिरावट का डर था, लेकिन 23 जून की सुबह मैंने लिखा ‘कहीं बाजार इन्हीं स्तरों पर थोड़ा छकाने के बाद एकदम से ऊपर की ओर पलट न जाये।‘ ठीक उसी दिन बाजार ने नयी चाल पकड़ी। फिर 28 जून को मैंने लिखा, ‘उम्मीद रहेगी कि अगले कुछ दिनों में निफ्टी 5561 के स्तर को पार करके 5652 की ओर बढ़ेगा। मुमकिन है कि वह उछाल 5746 तक चली जाये।‘ निफ्टी 8 जुलाई को 5740 के ऊपरी स्तर पर दिखा।
जब निफ्टी ने मानी बात, 2 माह में चढ़ा 5400 तक
लेकिन यह स्तर आने से पहले ही हमने वहाँ बाधा मिलने की चेतावनी भी दी थी। मैंने 4 जुलाई को लिखा था, ‘इस समय 200 दिनों का एसएमए 5749 पर है और एक तरह से निफ्टी को ऊपर का लक्ष्य दे रहा है। लेकिन इसे आप निफ्टी की एक महत्वपूर्ण बाधा भी मानें।‘
जुलाई के दौरान यह उम्मीद बनी रही कि अगर निफ्टी ने 200 दिनों के एसएमए को ठीक से पार कर लिया तो तेजी आगे बढ़ सकती है। यह उम्मीद इसलिए भी थी कि निफ्टी नवंबर 2010 से तब तक के शिखरों को मिलाती रुझान रेखा को पार करने की बार-बार कोशिश कर रहा था। ब्याज दरों पर आरबीआई की बैठक से पहले 26 जुलाई की सुबह मैंने लिखा, ‘5740-5770 के दायरे के ऊपर जाने के बाद निफ्टी के लिए लगभग 5900-5940 तक जाने का रास्ता खुल जायेगा।‘ लेकिन निफ्टी अपनी तेजी आगे बढऩे की इस शर्त को पूरा नहीं कर सका। आरबीआई की बैठक के बाद बाजार टूट गया।
मैंने 2 अगस्त को लिखा कि ‘नीचे की ओर 5450-5400 के दायरे पर नजर रखें, इसके टूटने पर बाजार में बड़ी कमजोरी की संभावना बन जायेगी।‘ उस समय निफ्टी 5500 के ऊपर था। अगस्त के पहले हफ्ते में ही 5450-5400 का दायरा टूटा और 20 अगस्त तक निफ्टी 4720 की तलहटी पर था। दरअसल 7 फरवरी की सुबह ही मैंने लिखा था कि ‘अगर निफ्टी 5300-5250 से नीचे फिसला तो 25 मई 2010 की तलहटी 4786 ही इसके लिए अगला बड़ा सहारा होगी।‘ यहाँ वह लक्ष्य पूरा होता दिखा और उसके थोड़ा नीचे ही सहारा भी मिला।
इसके बाद 30 अगस्त की सुबह मेरा सवाल था, ‘क्या अब निफ्टी जा रहा है 5400 की ओर?’ मैंने यह लक्ष्य डेढ़-दो महीने में मिलने की बात लिखी थी। वाकई 2 महीने बाद 28 अक्टूबर को निफ्टी ने ठीक 5400 का शिखर बनाया।
अभी खुली है 4300 तक फिसलने की संभावना
निफ्टी 28 अक्टूबर को 5400 पर चले जाने के बाद सवाल था कि आगे क्या होगा। जिस गिरती पट्टी की निचली रेखा से ऊपरी रेखा तक जाने की संभावना से यह लक्ष्य मिला था, उसकी वही ऊपरी रेखा अब बाधा थी। इसीलिए 31 अक्टूबर को मैंने लिखा - ठीक सामने बाधाएँ, पर आगे बड़ी उम्मीदें। उस समय जुलाई के शिखर 5740 से अगस्त की तहलटी 4720 तक की गिरावट, वहाँ से 5169 तक की उछाल और उसके बाद की हलचल से लग रहा था मानो अंग्रेजी के डब्लू अक्षर जैसी संरचना बन सकती है। इससे निफ्टी वापस जुलाई के शिखर 5740 तक जाने की संभावना दिख रही थी। लेकिन अमेरिका में एफएम ग्लोबल के ढहने की खबर के बाद निफ्टी ने 5350 का स्तर तोड़ दिया, जिससे डब्लू संरचना बनने की उम्मीद भी टूटी और नयी गिरावट शुरू हो गयी।
नवंबर में बाजार में चरम निराशा देख कर 23 नवंबर को मैंने लिखा, ‘यह निराशा मुझे मार्च 2009 की ज्यादा याद दिलाती है। अगर हम अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के बीच जैसे दौर से नहीं गुजर रहे, तो हम निश्चित रूप से एक बड़े खतरे के सामने हैं। इस बार निफ्टी ने अगर 4700 का स्तर निर्णायक रूप से तोड़ा तो करीब 10% तक की गिरावट का साफ जोखिम दिखता है।‘ इस अनुमान की परीक्षा अभी बाकी है और यह संभावना अभी खुली हुई है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2012)