पूनम :
तमाम शेयर ब्रोकरों का रोना है कि इस समय बाजार से निवेशक गायब हैं, खरीद-बिक्री की मात्रा एकदम घट गयी है। लेकिन कम-से-कम मोबाइल फोन पर शेयरों की खरीद-बिक्री के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। मोबाइल फोन पर शेयरों की खरीद-बिक्री इस साल अप्रैल में शुरू की गयी थी। तब से इसमें लगातार बढ़त का ही रुख दिखा है। अप्रैल से अक्टूबर तक यह कारोबार लगभग चौगुना हो चुका है।
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले साल अगस्त में ही मोबाइल के जरिये शेयरों की खरीद-बिक्री की अनुमति दे दी थी। इसके तहत ब्रोकर मोबाइल फोन के लिए ऐसे ऐप्लिकेशन विकसित कर सकते हैं, जिन्हें अपने मोबाइल में डाल कर उनके ग्राहक मोबाइल के जरिये ही खरीद-बिक्री कर सकें। स्टॉक एक्सचेंज भी मोबाइल पर खरीद-बिक्री के अपने ऐप्लिकेशन उपलब्ध करा रहे हैं।
बहुत सी ब्रोकिंग फर्मों ने अपने ग्राहकों को मोबाइल पर सौदे करने की सुविधा छोड़ कर अन्य सुविधाएँ मुहैया करना पहले ही शुरू कर दिया था, मसलन शेयरों के ताजा भाव, चार्ट, पोर्टफोलिओ की स्थिति आदि दिखाना। जब सेबी ने मोबाइल पर सौदे करने की भी अनुमति दे दी तो उन्हें अपने मौजूदा ऐप्लिकेशन में ही थोड़ा सुधार करके केवल सौदों के आदेश की सुविधा जोडऩी पड़ी।
अब जीपीआरएस कनेक्शन वाले ज्यादातर मोबाइल फोन के लिए एक्सचेंजों और ब्रोकरों ने अपने ऐप्लिकेशन उपलब्ध करा दिये हैं। खास कर स्मार्टफोन पर ये ऐप्लिकेशन काफी सुविधाजनक ढंग से काम करते हैं। एंड्रॉइड, विंडोज और ब्लैकबेरी जैसे हर तरह के मोबाइल फोन के लिए ऐसे ऐप्लिकेशन उपलब्ध हैं। अगर 3जी नेटवर्क पर टैबलेट का इस्तेमाल किया जाये तो उसमें सौदे करने का अनुभव और बेहतर हो सकता है।
एंजेल ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक (इक्विटी ब्रोकिंग) विनय अग्रवाल बताते हैं कि लगातार नये और बेहतर मोबाइल फोन आने और सस्ते दामों पर स्मार्टफोन मिलने के चलते पहले की तुलना में कहीं ज्यादा हार्डवेयर क्षमता को ध्यान में रख कर ऐप्लिकेशन विकसित किये जा सकते हैं। अब जो फोन आ रहे हैं, उनमें बेहतर सीपीयू के साथ ज्यादा मेमोरी उपलब्ध है। साथ ही मोबाइल पर तेज रफ्तार इंटरनेट की सुविधा के लिए 3जी भी आ गया है। हालाँकि उनके मुताबिक ऐप्लिकेशन विकसित करते समय यह भी ध्यान में रखना पड़ता है कि सारे ग्राहकों के पास एकदम आधुनिक स्मार्टफोन नहीं होंगे। मगर विनय उम्मीद जताते हैं कि अगले 1-2 वर्षों में शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए कंप्यूटर और मोबाइल के ऐप्लिकेशन में कोई खास अंतर नहीं रह जायेगा।
चौगुना हो गया कारोबार 6 महीनों में
पिछले साल अक्टूबर में इसकी शुरुआत के समय तो मोबाइल पर कारोबार केवल 10-12 करोड़ रुपये प्रतिदिन का ही हो रहा था। लेकिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आँकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2011 में मोबाइल के जरिये खरीद-बिक्री कुल 715 करोड़ रुपये की हुई थी, जो बढ़ कर अक्टूबर 2011 में 2606 करोड़ रुपये पर पहुँच गयी।यानी इस कारोबारी साल के पहले महीने की तुलना में छठे महीने का कारोबार 264% ज्यादा रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने भी मोबाइल ट्रेडिंग की सुविधा दी है। लेकिन उसका मोबाइल कारोबार तुलनात्मक रूप से काफी कम है।
हालाँकि अभी प्रतिशत के लिहाज से देखें को कुल निवेशकों का काफी छोटा हिस्सा मोबाइल पर खरीद-बिक्री कर रहा है। एंजेल ब्रोकिंग के लाखों ग्राहकों में से अब तक केवल करीब 10,000 ग्राहकों ने अब तक मोबाइल पर खरीद-बिक्री शुरू की है। लेकिन यह संख्या हर महीने बढ़ रही है और इसके साथ ही मोबाइल पर कारोबार की मात्रा भी बढ़ रही है। विनय अग्रवाल बताते हैं कि एंजेल ब्रोकिंग के लगभग 700 ग्राहक हर दिन मोबाइल के जरिये लॉगिन करते हैं।अप्रैल 2011 में उनके ग्राहकों का रोजाना केवल 1-2 करोड़ रुपये का ही कुल कारोबार मोबाइल के जरिये होता था। अब यह कारोबार बढ़ कर रोजाना 10 करोड़ रुपये पर पहुँच गया है।जहाँ तक किसी सौदे के औसत आकार का सवाल है, विनय के मुताबिक इसमें कंप्यूटर और मोबाइल पर होने वाले सौदों में उन्हें कोई खास फर्क नहीं दिखता।
समय के साथ मोबाइल पर शेयरों की खरीद-बिक्री का चलन और बढ़ेगा ही। कंप्यूटर या लैपटॉप की तुलना में जीपीआरएस मोबाइल फोन की उपलब्धता कई गुना ज्यादा है। देश में मोबाइल ग्राहकों की संख्या 87 करोड़ हो चुकी है। टेक्नोलॉजी क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय रिसर्च कंपनी गार्टनर का आकलन है कि इस साल भारत में मोबाइल हैंडसेट की बिक्री 8.5% बढ़ कर 23.1 करोड़ पर पहुँचेगी। इस समय हैंडसेट की कुल बिक्री में स्मार्टफोन का हिस्सा करीब 6% है, जो अगले साल बढ़ कर 8% हो जाने की उम्मीद है।
सौदे कभी भी, कहीं भी
साथ ही, कंप्यूटर या लैपटॉप हर वक्त अपने साथ रखना संभव नहीं होता।लैपटॉप साथ में हो भी तो उसे कहीं राह चलते निकाल कर चलाना आसान नहीं है। उसकी तुलना में स्मार्टफोन या टैबलेट को आप चलते-फिरते हुए कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालाँकि ध्यान रहे, सड़क पर चलते समय ऐसा करना खतरनाक हो सकता है - आपकी सेहत के लिए भी और आपके पोर्टफोलिओ की सेहत के लिए भी! अगर आप सक्रिय ढंग से शेयर बाजार में सौदे करना चाहते हैं तो अब यह जरूरी नहीं है कि आपको बाजार खुले रहने के समय लगातार कंप्यूटर के सामने बैठना पड़े। मोबाइल फोन पर सौदे करने की सुविधा ने अब यह संभव बना दिया है कि आप लगातार शेयर बाजार से जुड़े रहें और जब भी चाहें तब सौदे करें, भले ही आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप से दूर कहीं रास्ते में हों।
कई सक्रिय कारोबारी तो अपने ट्रेडिंग डेस्क पर कई स्क्रीन लगा कर रखते हैं। ऐसे सक्रिय कारोबारियों के लिए तो यह और भी जरूरी है कि वे अपने मोबाइल फोन पर सौदे करने की सुविधा को चालू रखें। इससे उन्हें बाजार के कारोबारी घंटों के दौरान लगातार अपने ट्रेडिंग टर्मिनल के सामने बैठने की मजबूरी से छुटकारा मिल जाता है। वे बीच में थोड़ा इधर-उधर भी आ-जा सकते हैं और उस दौरान अपने मोबाइल पर ही बाजार की स्थिति और अपने सौदों पर नजर रख सकते हैं।
और हाँ, अगर बाजार में लगातार 3-4 दिनों की छुट्टी के बीच अगर एक कामकाजी दिन हो, तो उसके चलते पूरी छुट्टी से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। आप छुट्टियों के बीच उस एक कामकाजी दिन के दौरान मोबाइल पर बाजार से जड़े रह सकते हैं। आपके सौदों की क्या स्थिति है, कौन-सा शेयर किन खास स्तरों को छू रहा है और बाजार किस ओर जा रहा है, यह सब जानने के लिए आपको छुट्टी के बीच बार-बार अपने ब्रोकर से फोन पर बात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके जरिये आप अपने निवेश और सौदों पर कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से निगरानी और नियंत्रण रख सकते हैं।
ट्रेडिंग डेस्क का संपूर्ण विकल्प नहीं
हालाँकि ध्यान रखने वाली एक जरूरी बात यह है कि मोबाइल पर सौदे करना पेशेवर कारोबारियों के लिए उनके लिए ट्रेडिंग डेस्क का संपूर्ण विकल्प नहीं बन सकता। यह उस समय आपकी मदद करता है, जब आप अपने ट्रेडिंग डेस्क से दूर हों। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने सौदों के लिए मोबाइल पर ही पूरी तरह निर्भर हो जायें। मोबाइल पर सौदे करने को नियमित रूप से सौदे करने के कंप्यूटरी तरीके का ऐसा विकल्प ही समझना चाहिए जो आपको कहीं आते-जाते अपने कंप्यूटर से दूर रहने पर भी सौदे करने का एक मंच उपलब्ध कराता है।
मोबाइल फोन पर सौदे करना अब अगर संभव है तो स्मार्टफोन पर सौदे करना कहीं और ज्यादा आसान है। स्मार्टफोन की लगातार विकसित होती तकनीक ने इसे पर्सनल कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करने के अनुभव के बेहद करीब ला दिया है। इसके बावजूद मोबाइल और स्मार्टफोन की कुछ सीमाएँ तो हैं हीं। संभव है कि कंप्यूटर पर उपलब्ध बहुत सी सुविधाएँ आपको मोबाइल या स्मार्टफोन पर न मिलें। एक कंप्यूटर की तुलना में मोबाइल या स्मार्टफोन की क्षमता काफी कम होती है। लिहाजा मोबाइल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में केवल ऐसी सुविधाएँ ही दी जाती हैं, जो सौदे पूरे करने के लिए एकदम जरूरी हैं। जब आप मोबाइल ट्रेडिंग की तुलना कंप्यूटर पर अपने ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से करेंगे तो आपको कई सुविधाएँ गायब मिलेंगी।
विनय अग्रवाल बताते हैं कि अब शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए जरूरी लगभग सारी सुविधाएँ मोबाइल ऐप्लिकेशन में दी जा रही हैं, मगर स्क्रीन के आकार और हार्डवेयर की क्षमता और इंटरनेट नेटवर्क की रफ्तार को ध्यान में रखते हुए मोबाइल पर एक समय में दिखने वाले शेयरों की संख्या सीमित रहती है।
आप मोबाइल पर शेयरों के ठीक उसी समय के ताजा भाव, अपने पोर्टफोलिओ का सारा ब्योरा, किसी शेयर का चार्ट वगैरह सब कुछदेखतो सकते हैं, लेकिन एक बार में कोई एक चीज ही देखी जा सकती है। उनके मुताबिक मोबाइल पर दिखने वाला चार्ट भी काफी शुरुआती किस्म का रहता है, जबकि कंप्यूटर पर उनके ऐप्लिकेशन में दिखने वाले चार्ट में तकनीकी विश्लेषण की ढेर सारी सुविधाएँ उपलब्धरहती हैं।लिहाजा मोबाइल पर चार्ट देख कर तकनीकी नजरिये से कोई फैसला करने में आपको दिक्कत हो सकती है।
और फिर एक कंप्यूटर की तुलना में मोबाइल पर सौदे करने में आपको ज्यादा समय तो लगेगा ही। अगर आप 3जी इस्तेमाल करें और आपको मोबाइल पर इंटरनेट की काफी तेज गति मिल जाये, तो भी आप मोबाइल पर उस फुर्ती से सौदे नहीं कर सकते, जिस तरह आप अपने कंप्यूटर पर काम करते हैं। और फिर अगर मोबाइल फोन के नेटवर्क में कोई दिक्कत आयी तो आप बीच में ही अटक भी सकते हैं। मोबाइल पर चाहे जितनी भी तेज रफ्तार का इंटरनेट कनेक्शन हो, उसकी तुलना तार वाले फोन पर उपलब्ध ब्रॉडबैंड इंटरनेट से नहीं की जा सकती।इसलिए अगर आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप के पास हैं, तो उसके जरिये सौदे करना ही बेहतर है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)