राजीव रंजन झा :
शेयर बाजार : आर या पार:अभी टला नहींखतरा
सबसे पहले तो आपको निवेश मंथन के सितंबर 2011 अंक के राग बाजारी का शीर्षक याद दिला दूँ – ‘अगले दो महीनों में 5400 पर?’ उस समय निफ्टी 5000 के करीब था और 28 अक्टूबर को इसने ठीक 5400 का स्तर छू लिया। खैर, बाजार की कई बातें अभी अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के दौर की याद दिला रही हैं। बात केवल इतनी नहीं है कि मार्च 2009 में रुपये ने डॉलर की तुलना में अपना ऐतिहासिक निचला स्तर छू लिया था और हाल में एक बार फिर रुपया डॉलर की तुलना में ऐतिहासिक निचले स्तर पर चला गया। दरअसल बाजार में निराशा अपने चरम पर है।
यह निराशा मुझे मार्च 2009 की ज्यादा याद दिलाती है। अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के बीच भारतीय शेयर बाजार की सेहत का हाल बताने वाला सूचकांक निफ्टी एक दायरे के अंदर ही चल रहा था, लेकिन उस दौरान बाजार और ज्यादा गिरावट की आशंका से लगातार परेशान रहा था। जनवरी 2008 से अक्टूबर 2008 तक के नौ महीनों में भारतीय बाजार लगातार फिसलता रहा। नवंबर 2008 से फरवरी 2009 तक के 4 महीनों में यह एक दायरे में जमने की कोशिश करता रहा और मार्च में नयी तेजी शुरू हो गयी। हालाँकि उस तेजी पर बाजार लगातार अविश्वास करता रहा, उसे केवल वापस उछाल (पुल बैक) मानता रहा।
इस बार फिर नवंबर 2010 से अगस्त 2011 तक के नौ महीनों में भारतीय बाजार कमजोर होता गया। लेकिन अगस्त 2011 से अब तक यह करीब 500-700 अंक के बड़े दायरे में ही ऊपर-नीचे होता रहा है या एक तरह से जमने की कोशिश करता रहा है। नवंबर 2011 के आखिरी दिनों में बाजार ने अगस्त 2011 की तलहटी को छोटे अंतर से तोड़ा, लेकिन उसके बाद तेजी से उछल गया।ऐसे में यह सोचना क्या गलत होगा कि कहीं हम मार्च 2009 जैसी स्थिति में तो नहीं हैं? तब घबराहट काफी ज्यादा थी, लेकिन बाजार वास्तव में जबरदस्त तेजी की तैयार कर रहा था।
जनवरी 2009 में एक दिग्गज विशेषज्ञ ने शेयर मंथन को अपनी यह राय दी कि ‘आने वाले 18 महीनों में आपको कई बार गिरावट के दौर में सस्ते दामों पर खरीदारी के मौके मिलेंगे।' जनवरी-मार्च 2009 के दौरान यह मौका मिला भी, जब निफ्टी 3000-3150 के स्तरों से फिसल कर 2539 तक गिर गया। लेकिन उसके बाद के 20 महीनों तक बाजार ने आपको सस्ते दामों पर खरीदारी का कौन-सा मौका दिया?
फरवरी 2009 के अंत में जब सेंसेक्स 8,950 के पास था, तब एक जानकार का अनुमान था कि साल 2009 में सेंसेक्स 6,500 तक फिसलेगा। मगर मार्च 2009 की तलहटी बनाते समय सेंसेक्स ने 8,000 का स्तर नहीं तोड़ा और दिसंबर 2009 में 17,531 के ऊपरी स्तर को छूता नजर आया।
इन टिप्पणियों का जिक्र करने का मकसद जानकारों की खिल्ली उड़ाना नहीं है। मैंने केवल यह बताना चाहा है कि बेहद निराशा के क्षणों में ही बाजार आपको सबसे बड़े मौके दे रहा होता है। आपको बस इतना याद दिलाना है कि जब सारे लोग निराश होते हैं, उसी समय बाजार तलहटी बना रहा होता है। आशा-निराशा सबको एक तरह से प्रभावित करती है। हमारे दिग्गज जानकार भी उन्हीं भावनाओं के बीच झूलते हैं, जिनके बीच बाजार में शामिल हर छोटा-बड़ा निवेशक या कारोबारी झूलता है।
आर या पार की हालत से उबरे
हाल में शेयर मंथन में राग बाजारी नाम से ही अपने नियमित स्तंभ में मैंने लिखा कि ‘अगर हम अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के बीच जैसे दौर से नहीं गुजर रहे, तो हम निश्चित रूप से एक बड़े खतरे के सामने हैं। इस बार निफ्टी ने अगर 4700 का स्तर निर्णायक रूप से तोड़ा तो करीब 10% तक की गिरावट का साफ जोखिम दिखता है। अगर यह गिरावट उससे भी आगे 3800 तक चली जाये, तो इसमें कोई ताज्जुब नहीं होगा। इस समय बाजार का मूल्यांकन सस्ता हो जाने के बावजूद ऐसी गिरावट क्यों आयेगी, बाजार इसके तर्क आपको बाद में देगा। लेकिन इस खतरे को ध्यान में रखें और लगभग इन्हीं स्तरों से बाजार पलट जाने की उम्मीद को भी मन में रखें। अगर निफ्टी ने अगले कुछ हफ्तों में 4700 का स्तर नहीं तोड़ा तो शायद अगले 2 सालों में आप इसे 8800-9000 के पास देखेंगे।'
इसके बाद निफ्टी ने न केवल 52 हफ्तों का निचला स्तर तोड़ा, बल्कि पिछले साल 2010 के भी निचले स्तर 4675 को तोड़ कर दो सालों के निचले स्तर पर चला गया। तब मैंने लिखा, ‘बाजार में काफी बेचैनी और घबराहट है, कुछ वैसी ही जैसी हर बार तलहटी बनते समय होती है। सारे लोग निफ्टी में यहाँ से 10-20% तक की गिरावट की आशंका जता रहे हैं।'
यह एक लिहाज से अक्टूबर 2011 के पहले हफ्ते जैसी स्थिति थी। उस समय भी यह खतरा दिख रहा था कि 4720 की ताजा तलहटी कहीं टूट न जाये। हालाँकि उस समय नवंबर 2010 से चली आ रही पट्टी की निचली रेखा इसे करीब 4650 के पास सहारा देने के लिए मौजूद थी। लेकिन इस बार फर्क यह था कि अगर निफ्टी मोटे तौर पर 4700 के स्तर से फिसलता तो इस पट्टी की निचली रेखा इसे 4400-4500 से पहले सहारा नहीं दे पाती।
लेकिन चिंता केवल 4400-4500 तक फिसलने की नहीं थी। अगर हम अक्टूबर 2008 की तलहटी 2253 से नवंबर 2010 के शिखर 6339 तक की उछाल देखें, तो बाजार अब भी तेजी के दौर में ही नजर आयेगा। जब तक यह 38.2% वापसी यानी 4778 के स्तर को पक्के तौर पर न तोड़े, तब तक बाजार को मंदी की गिरफ्त में नहीं माना जा सकता।
लेकिन जब बाजार दो सालों के निचले स्तर पर हो तो डरना स्वाभाविक है। इसलिए तब मैंने लिखा था कि ‘अभी यह कहना मुश्किल है कि बाजार इस स्तर को तोड़ कर 50% वापसी के स्तर 4296 और 61.8% वापसी के स्तर 3814 की ओर बढऩा चाहता है, या थोड़ा छकाने के बाद इन्हीं स्तरों से पलटना चाहता है। इन दोनों में से किसी भी संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसीलिए बाजार अभी आर या पार वाली हालत में खड़ा है।'
बाजार को अब अपनी अगली दिशा तय करनी थी। लेकिन बाजार जब भी ऐसे आर या पार वाले मुकाम पर होता है, तो वह सबको खूब छकाता है। लिहाजा मैंने २४ नवंबर की सुबह लिखा कि ‘शायद कल निफ्टी का 4700 के नीचे जाना सबको छकाने का ही एक तरीका हो, क्योंकि इससे घबराहट फैली, लोगों के सौदे कटे, नये सौदे किये गये और कुल मिला कर पूरे बाजार के समीकरण बदल गये। संभव है कि निफ्टी कल के निचले स्तर 4641 के भी नीचे जाये और ऐसा होने पर मंदडिय़ों का भरोसा और भी बढ़े, लेकिन ऐसा होते ही बाजार चौतरफा घबराहट के बीच कोई नयी तलहटी बना कर पलट जाये। छकाने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि बाजार इन्हीं स्तरों से सँभलता दिखे और जब लोग फिर से आश्वस्त होने लगें कि गिरावट थम गयी है तो यह फिर से टूट जाये।'
कुछ ऐसी ही बात मैंने निवेश मंथन के अक्टूबर अंक में लिखी थी। मैंने कहा था, फिलहाल एक संभावना यह बनती है कि निफ्टी 4700-4800 के बीच फिर से सहारा ले या छकाने के लिए कुछ समय 4700 के नीचे भी जाये और वापस पलट कर सँभल जाये। इस समय 4720 या मोटे तौर पर 4700 पर सबकी नजर है। निफ्टी अगर 4700 के थोड़ा नीचे जाता दिखेगा तो बाजार में एकदम से घबराहट बढ़ेगी। वैसी हालत में लगभग सारे लोग नकारात्मक नजरिया अपना लेंगे। लेकिन ऐसे ही मौकों पर बाजार छकाता है, क्योंकि आम राय के उल्टे चलना इसकी आदत होती है।
बाजार ने बिल्कुल यही किया। निफ्टी 4641, 4739 की तलहटियाँ छूने के बाद जब पलटा तो सीधे 5050 के ऊपर चला आया। लोग यही मानते रहे कि यह केवल एक वापस उछाल है और शायद 4800 के पास या 4900 के पास रुक जायेगी।हालाँकि मंगलवार 29 नवंबर की सुबह मैंने लिखा, ‘अभी दारोमदार इस बात पर है कि निफ्टी 4800-4850 की पट्टी को पार कर आगे बढ़ पाता है या नहीं। वैसी हालत में यह 4930 और 5000-5050 के स्तरों की ओर बढ़ सकेगा।' शुक्रवार 02 दिसंबर का बंद स्तर रहा ठीक 5050 पर!
खतरा भी और उम्मीदें भी
बाजार बिल्कुल आर या पार वाली हालत से अभी एकदम बच कर भले लौट आया हो, लेकिन यह मानना जल्दबाजी होगी कि खतरा पूरी तरह टल गया है। आगे जब भी निफ्टी 4700 के करीब जायेगा, एक बार फिर से बड़ी गिरावट के अंदेशे बढ़ जायेंगे। इस बार अगर नवंबर की तलहटी 4639 टूटी तो बाजार का उन स्तरों के आसपास सहारा ले पाना मुश्किल होगा। तब लंबी अवधि के लिहाज से बाजार कमजोर हो जायेगा। वैसी स्थिति में 4,296 और 3,814 निफ्टी के अगले स्वाभाविक लक्ष्य होंगे।
अगर निफ्टी को ऐसी गिरावट से बचना है तो इसे 5100 के ऊपर टिकना होगा। नवंबर 2010 के शिखर 6,339 से अगस्त 2011 की तहलटी 4,720 तक की गिरावट देखें, तो अक्टूबर-नवंबर में निफ्टी ने इसकी 100% वापसी के स्तर से कई बार सहारा लिया। इस गिरावट की 23.6% वापसी 5,102 पर है। जब तक निफ्टी इसके ऊपर नहीं जाता, तब तक बाजार में फिर से गिरावट का खतरा बरकरार रहेगा।लेकिन इस स्तर के ऊपर जाने पर अगला स्तर यानी 38.2% वापसी 5,338 पर है। लिहाजा 5100 पार होने पर करीब 5300-5350 तक जाना स्वाभाविक होगा। वहाँ फिर एक बड़ी बाधा होगी, क्योंकि नवंबर 2010 से चल गिरती पट्टी की ऊपरी रेखा वहाँ रास्ता रोकेगी। एक दिलचस्प पहलू यह है कि अभी 200 एसएमए और नवंबर 2010 से अब तक के सारे महत्वपूर्ण शिखरों को मिलाती रुझान रेखा लगभग साथ-साथ हैं। दरअसल 6339-4720 की गिरावट की 38.2% वापसी, नवंबर 2010 से अब तक की गिरती पट्टी की ऊपरी रेखा और 200 दिनों के एसएमए का संगम बन रहा है। यह संगम पार किये बिना बाजार खतरे से बाहर नहीं हो सकेगा। मतलब यह कि इन तीनों के मेल से बनी तगड़ी बाधा को पार करना बाजार के लिए आसान नहीं होगा। लेकिन अगर वह बाधा पार हो गयी तो यह बाजार में कमजोरी का दौर पूरा होने का भी संकेत होगा।
हमें इस बात पर खास नजर रखनी होगी कि निफ्टी हाल की 5400 से 4639 तक की गिरावट की 61.8% वापसी यानी 5109 के ऊपर जा कर टिक पाता है या नहीं। इसके ऊपर टिकने पर यह 100 एसएमए को भी छू ही लेगा। अगर निफ्टी की मौजूदा चाल इससे आगे जा सकी, तब 200 एसएमए को आप अपना अगला स्वाभाविक लक्ष्य मान सकते हैं। शुक्रवार 20 दिसंबर की उछाल में निफ्टी ने 20 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज 4978 के साथ-साथ 50 दिनों के एसएमए 5020 को भी पार कर लिया। इसलिए अब 100 एसएमए यानी 5131 और 200 एसएमए 5345 पर नजर रखना स्वाभाविक है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)