विजय भंबवानी एक नयी मुसीबत में हैं। कुछ समय पहले उन्होंने माताजी को सलाह दे डाली कि वे रसोई में खाना पकाने के तेल कुछ ज्यादा इकट्ठा करके रख लें, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि डॉलर के दाम बढऩे से इन चीजों की कीमतें बढ़ेंगी। इनकी कीमतें बढ़ भी गयीं। लेकिन अब माताजी कह रही हैं कि वे सब्जी, फल, दूध, अनाज और मसालों के बारे में भी बतायें। हो गयी ना मुसीबत! अब तो भंबवानी साहब को भगवान ही बचायें। ठीक ही है, उन्होंने भगवान से ही मदद मांगी है! वैसे उनके फेसबुक मित्र भी कम नहीं हैं।
एक ने पूछा है कि कॉफी के दाम कब बढऩे वाले हैं। एक मोहतरमा चाहती हैं कि वे पेट्रोल, किराये, बिजली की दरों और जमीन की कीमतों के बारे में भी बतायें। वैसे खुद विजय को अपने उस मित्र का सुझाव पसंद आया, जिन्होंने कहा कि एक बड़ा सा खेत खरीद लें और टेक्सास की तरह तेल निकालना शुरू कर दें। विजय यह भी सोच रहे हैं कि इस काम के लिए आईएमएफ से हल्के ब्याज वाला कर्ज (सॉफ्ट लोन) ले लिया जाये। विजय जी, आईएमएफ से कर्ज लेना है तो यह प्रक्रिया जल्दी निपटायें, इससे पहले कि आईएमएफ ग्रीस को उबारने में खुद निपट जाये!
विजय ने एक और मजेदार किस्सा सुनाया है। मुंबई के दवा बाजार, कल्बा देवी में महालक्ष्मी स्टेशनर्स में कलम 5 लाख रुपये की मिलती है और लिखने की पुस्तिका 20 लाख रुपये की! और वहाँ ऐसी कीमतें दशकों से चली आ रही हैं। दरअसल इस दुकान में कीमत रुपये के बदले लाख रुपये में बतायी जाती है। किसी से 100 रुपये लेने हों तो एक करोड़ रुपये कहा जाता है। यह दुकान चलाने वालों का मानना है कि ऐसा करने से ग्राहकों को करोड़पति होने का एहसास होता है। कुछ इस तरह की बातें सुनायी पड़ती हैं, %%वो ब्लू शर्ट वाला करोड़पति सेठ ने 5 बॉलपेन लिया, 25 लाख लेना।ÓÓ विजय जी, महँगाई इसी रफ्तार से बढ़ती रही और रुपये की कीमत ऐसे ही घटती रही तो कुछ सालों में शायद इस दुकान को अपना दस्तूर बदलना पड़ेगा और सचमुच एक कलम 5 लाख रुपये में मिलेगी!
सुशील कुमार मोदी
सुशील कुमार मोदी फेसबुक पर मौजूद हैं। यहाँ उनकी एक टिप्पणी देखें - %%बिहार के माननीय उप-मुख्यमंत्री के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए कृपया देखेंÓÓ... आगे उनकी सरकारी वेबसाइट का पता दिया गया है। जाहिर है कि ये शब्द सुशील कुमार मोदी के लिखे नहीं हो सकते। अगर वे खुद इन शब्दों को लिखते तो अपने लिए %%बिहार के माननीय उप-मुख्यमंत्रीÓÓ लिखने के बदले शायद कहते कि मेरे बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए...
सुशील मोदी जी, फेसबुक पर आपका एक अलग फैन पेज भी तो है ना। वहाँ तो लोगों को अंदाजा रहता है कि ये बातें सीधे आप नहीं लिख रहे, आपका कोई सहायक लिख रहा है। और लोग जो जवाब देंगे, वे भी आप तक नहीं, बल्कि आपके किसी सहायक तक जायेंगी। लेकिन अपने निजी प्रोफाइल पर तो जरा खुद ही लिखते तो अच्छा रहता। फेसबुक पर जनता को समय नहीं दे सकते तो काहे झूट्ठे में... या फिर अपने दल के दूसरे मोदी जी से ही थोड़ा सीखिए इंटरनेट पर सोशल होने का तरीका!
राजीव चंद्रशेखर की धुआँ उगलती पिस्तौल
उद्योगपति सांसद राजीव चंद्रशेखर ने जब 2जी घोटाले के बारे में वित्त मंत्रालय के 12 पन्नों के नोट को पढ़ा तो फेसबुक पर उनकी पहली टिप्पणी थी - %%गजब! धुआँ उगलती पिस्तौल!ÓÓ आगे उनका कहना था, %%यह नोट इस मिथ्या धारणा को तोड़ता है कि राजा की करनी के बारे में सरकार में किसी को कुछ पता ही नहीं था। सच यह था कि सरकार में एमएमएस समेत चारों बड़े लोग हर कदम के बारे में सब कुछ जानते थे! इस (नोट) में कई बातें तो होश उड़ा देने वाली हैं। मुझे लगता था कि मैं इस घोटाले के बारे में सब जानता हूँ, लेकिन मेरे जैसे व्यक्ति को भी इस नोट से काफी नयी बातें पता चलीं। यह नोट सवाल खड़े करता है कि सत्ता में बैठे कुछ लोग अब तक कितने सच्चे रहे हैं।ÓÓ
राजीव जी, आपने तो टेबल के दोनों तरफ से चीजों को देखा है। फिर भी आपको नयी बातें पता चल रही हैं! वैसे राजीव चंद्रशेखर की टिप्पणी से यह भी तो पता चलता है ना कि गोली तो चल चुकी है। गोली एक बार चल जाये तो लौटती नहीं है। भले ही मादाम के दरबार से दो बड़े लोग हाथ मिला कर बाहर निकले हों...
आनंद महिंद्रा काम क्यों करते हैं...
आनंद महिंद्रा से किसी ने ट्विटर पर पूछा कि आपके पास तो इतना पैसा है, फिर आप काम क्यों करते हैं? इस सवाल को उन्होंने अपनी ट्विटर बिरादरी के बीच ही उछाल दिया। जवाब तो काफी मिले और आनंद ने कहा कि उन जवाबों से उन्हें खुद को समझने में काफी मदद मिली। यह है ना दिलचस्प कि दूसरों के जवाबों से खुद को समझने में मदद मिलती है! खैर, आनंद को सबसे बेकार यह जवाब लगा, ‘और पैसा बनाने के लिए।‘ उनके हिसाब से सबसे मजाकिया जवाब यह था, “अगर आनंद महिंद्रा काम नहीं करेंगे तो मैं अपनी गर्लफ्रेंड को मूवी, पार्टी, पिकनिक, आउटिंग वगैरह पर किसी जाइलो/एक्सयूवी में कैसे ले जाऊँगा?” लेकिन सबसे गंभीर जवाब उन्हें यह लगा, “यह केवल पैसे की बात नहीं है। यह अपने-आप से, अपने संगठन से और समाज से प्रतिबद्ध होने की बात है।“
आनंद ट्विटर पर वैसे ही बड़े सक्रिय रहते हैं। जब एक्सयूवी को बाजार में उतारने का समय हो तो ऐसी जरूरत और भी बढ़ जाती है। लिहाजा सितंबर के आखिर 2-3 दिनों में उन्होंने ट्विटर पर एक्सयूवी के बारे में काफी टिप्पणियाँ की। एक बंधु ने पूछ लिया, एक्सयूवी कब लांच हो रही है? इस पर किसी ने सलाह दे डाली, उनसे पूछें कि उनका ग्रह (पृथ्वी से) कितनी दूरी पर है! लेकिन आनंद को एक अन्य मित्र हेमंत सिंह की यह बात पसंद आयी कि सवाल पूछने वाले व्यक्ति का मजाक उड़ाना ठीक नहीं, कभी-कभी लोगों तक खबर नहीं पहुँचती। इस लिए जवाब में आनंद ने बिल्कुल ठीक कहा - हर एक फ्रेंड जरूरी होता है...
कोई लेगा सोने का मुफ्त सिक्का!
इंडसव्यू के चेयरमैन बंदीप सिंह रांगर ने अपनी प्रोफाइल पर एक मजेदार वीडियो डाला है, जिसमें एक अमेरिकी रिपोर्टर लोगों को एक औंस का सोने का सिक्का बेचने की कोशिश कर रहा है। सिक्के की असली कीमत करीब 1100 डॉलर है और वह इसे 50 डॉलर में बेचना चाहता है। अरे, उसे कोई खरीदार नहीं मिल रहा। उसने कीमत घटा दी, 20 डॉलर कर दी, 5 डॉलर भी कर दी, और यहाँ तक कि एक मोहतरमा को तो मुफ्त में ही दे देने की पेशकश कर दी। पर किसी ने वह सिक्का नहीं लिया। बंदीप, आप उस रिपोर्टर को भारत के किसी भी शहर में भेज दें। और हाँ, उसे सावधान कर दें कि एक सिक्के से उसका काम नहीं चलेगा, बोरियाँ भर कर लाये! खैर, बंदीप यह दिखाना चाहते थे कि लोगों को कोई शानदार मौका तश्तरी में रख कर पेश किया जाये, तो भी वे उसे पहचान नहीं पाते।
सुहेल सेठ के 32 रुपये
सुहेल सेठ को आप शायद उनके विज्ञापनों से ज्यादा टीवी पर हर संभव विषय पर बहस के लिए जानते होंगे। उनके निशाने पर हाल में कसाब भी रहा और योजना आयोग पर भी उन्होंने तीर छोड़े। लेकिन उन्हें पता है कि एक तीर से कई निशाने कैसे लगाये जाते हैं। आप खुद ही उनकी यह टिप्पणी देख लें, “कसाब को खत्म करने का सरल तरीका यह होगा कि उसे योजना आयोग की सीमा के मुताबिक 32 रुपये में गुजारा करने के लिए छोड़ दिया जाये। वह भूखा ही मर जायेगा!”
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2011)