राजीव रंजन झा :
पिछले अंक से अब तक भारतीय शेयर बाजार को दो बड़ी बातों ने प्रभावित किया। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित जीत हुई। इससे वैश्विक बाजारों में घबराहट फैली और भारतीय बाजार पर भी असर हुआ। पर वैश्विक बाजार तुरंत सँभल गये। ट्रंप के चुने जाने का भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर कोई दूरगामी असर नहीं लगता। यह नतीजा आने के बाद से अमेरिकी बाजारों और साथ ही वैश्विक बाजारों में स्थिरता है। अमेरिकी शेयर बाजार तो फिर से नयी रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छू रहा है।
पर भारतीय बाजार को एकदम हिला दिया नोटबंदी ने। सेंसेक्स 8 नवंबर 2016 की रात्रि को नोटबंदी की घोषणा से पहले 27,591 पर बंद हुआ था, जो 5 दिसंबर 2016 को 26,349 पर बंद हुआ है, यानी महीने भर में 1,200 अंक से ज्यादा या 4.5 % नीचे आ गया है। पिछले अंकों में मैंने जिक्र किया था कि सेंसेक्स और निफ्टी के लिए 50 दिन और 20 दिन के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) महत्वपूर्ण बाधा का काम करेंगे। नवंबर में ये सूचकांक इन एसएमए स्तरों के ऊपर नहीं लौट पाये।
पिछले अंक में मैंने लिखा था कि निफ्टी की तलहटियों को मिलाती रेखा पक्के तौर पर कटने से गिरावट बढ़ सकती है। ऐसा होने पर नीचे बड़ा सहारा 200 एसएमए पर होगा। मगर नवंबर के दौरान इसे 200 पर कोई खास सहारा नहीं मिला है। जाहिर है कि नोटबंदी ने बाजार को बुनियादी और तकनीकी दोनों लिहाज से हिला दिया है। पिछले अंक में मेरी राय थी कि अगर तिमाही नतीजों से निराशा और एफआईआई बिकवाली के बीच बाजार कुछ फिसले, जिसमें सेंसेक्स 26,000 के पास और निफ्टी 8000 के पास आ जाये, तो वह लंबी अवधि का निवेश करने के लिए अच्छा अवसर होगा। लेकिन अब ताजा स्थिति में कंपनियों की आय के बारे में बाजार विश्लेषकों के सारे पूर्वानुमान धरे रह गये हैं। लिहाजा बाजार कहाँ अपनी नयी तलहटी बनाता है, यह देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।
24 जून को 7,927 की जो तलहटी बनी थी, वह अब एक महत्वपूर्ण सहारे के रूप में सामने है। 21 नवंबर को लगभग वहीं 7,916 पर एक ताजा तलहटी बनी है। इसके बाद निफ्टी कुछ सँभल कर वापस 8,100 के ऊपर लौटा जरूर है, मगर यह देखना होगा कि लगभग 7,900 के पास की इन दो तलहटियों को यह आगे कितना सम्मान देता है।
जब ट्रंप नहीं जीते थे और भारत में नोटबंदी का फैसला नहीं हुआ था, उससे पहले अक्टूबर के दौरान ही मैंने अपने कुछ लेखों में कहा था कि शेयर बाजार का रुझान अब नीचे की ओर है। सेंसेक्स 21 नवंबर को 25,718 तक फिसल गया। तकनीकी लिहाज से बाजार का यहाँ तक गिरना कतई चौंकाने वाली बात नहीं है। फरवरी 2016 की तलहटी से सितंबर 2016 में बने 29,077 के शिखर तक की उछाल की 23.6% वापसी 27,500 के पास बनती थी। इसके आधार पर मैंने अक्टूबर में ही लिखा था कि इस संरचना में 27,500 के नीचे का सहारा लगभग 1,000 अंक नीचे 26,500 के पास होगा।
नजर इस बात पर रहेगी कि नोटबंदी से लगने वाला झटका एक-दो तिमाहियों तक सीमित रहता है या उसके आगे भी जाता है। फिलहाल मध्यम अवधि के लिए तो भारतीय बाजार की चाल कमजोर ही लगती है। छोटी अवधि में इसकी दिशा बदलने का संकेत तब मिलेगा, जब यह 20 एसएमए के ऊपर निकल सके, जो अभी 26,५00 के पास है। वहीं 27,500 के ऊपर लौटने पर मध्यम अवधि में इसकी चाल तेज होने की उम्मीद की जा सकेगी।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2016)