म्यूचुअल फंडों में कम उम्र में निवेश करना कई तरह से फायदेमंद होता है, लिहाजा यह अवसर नहीं गँवाना चाहिए।
निवेश का फलसफा एकदम सीधा है कि वर्तमान में इसे जितनी जल्दी शुरू किया जाये, भविष्य उतना ही बेहतर बन सकता है। आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करते हैं, उस पर हासिल होने वाला प्रतिफल आपके लिए और व्यापक प्रतिफल का आधार तैयार करता है। निवेश की भाषा में कहें तो इससे चक्रवृद्घि ब्याज हासिल होता रहता है।
एक मशहूर कहावत है कि चक्रवृद्घि ब्याज दुनिया का आठवाँ अजूबा है और जो इसका लाभ नहीं उठाता, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। लिहाजा भविष्य के निवेश की बेहतर बुनियाद रखते हुए उसकी मियाद बहुत मायने रखती है और खास तौर से यह तब और अहम हो जाता है, जब आप निवेश की शुरुआत करने जा रहे हों।
जल्द आगाज के फायदे
आम तौर तौर पर पेशेवर जीवन 30 से 35 वर्षों का माना जाता है। जाहिर है कि इसी अवधि में सेवानिवृत्ति के बाद की अपनी जरूरतों का भी इंतजाम करना होता है। साथ ही भविष्य में किसी जरूरत के लिए भी कोष की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी होगी। इसमें म्यूचुअल फंड खासे मददगार होते हैं। कोई भी वित्तीय सलाहकार यही सलाह देता है कि निवेश का आगाज जितनी जल्दी किया जाये, उतना बेहतर होता है। सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि एक तो कम मात्रा में निवेश करना होता है और दूसरा यही कि निवेश पर प्रतिफल भी अधिक होता जाता है। मान लीजिए कि अगर निवेश पर सालाना 12% का प्रतिफल मिलता है और किसी व्यक्ति को 60 वर्ष की आयु तक 1 करोड़ रुपये का कोष बनाना है तो उम्र के हिसाब से उसके निवेश की राशि तय होगी। इस गणित से देखें तो अगर व्यक्ति 25 वर्ष की आयु से यह शुरू करता है तो उसे 1,555 रुपये का मासिक निवेश करना होगा। पाँच वर्ष बाद शुरू करने पर मासिक निवेश की राशि बढ़ कर लगभग 2,900 रुपये हो सकती है। वहीं 35 वर्ष की अवस्था में निवेश शुरू करने पर हर महीने लगभग 5,400 रुपये का निवेश करना होगा। इसी तरह 40 वर्ष की उम्र में निवेश का मासिक दायरा 10,000 रुपये से भी ऊपर चला जाएगा। यानी उम्र बढऩे के साथ निवेश की राशि भी बढ़ती जायेगी। बढ़ती उम्र के साथ आपकी आमदनी तो बढ़ती है, लेकिन अन्य जिम्मेदारियाँ बढऩे के चलते बचत की गुुंजाइश भी सीमित होती जाती है। कम उम्र में निवेश करने से आपके निवेश की अवधि भी लंबी हो जाती है, जिसमें अर्जित प्रतिफल पर उसी अनुपात में प्रतिफल बढ़ता जाता है। यानी आपको जो कमाई हो रही है, वह कमाई बढ़ाने के रास्ते खोलती जाती है।
कहाँ करें निवेश
निवेश के उपलब्ध तमाम विकल्पों के बीच अपने निवेश का रास्ता चुनना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसमें भी निवेश का वही पैमाना लागू होता है कि प्रतिफल के पैमाने पर आपकी अपेक्षा क्या है और आप उसके मुताबिक कितना जोखिम लेने के लिए तैयार हैं। अगर सीधे-सीधे इक्विटी की बात करें तो उसमें जोखिम काफी ज्यादा होता है। अगर इक्विटी म्यूचुअल फंड की बात करें तो उसमें जोखिम होता जरूर है, लेकिन थोड़ा कम होता है। इससे भी कम जोखिम के लिए डेब्ट म्यूचुअल फंडों का रुख किया जा सकता है। हालाँकि इनकी तुलना में डेब्ट, सार्वजनिक भविष्य निधि, कर्मचारी भविष्य निधि में जोखिम कम होता है लेकिन उसी अनुपात में प्रतिफल भी सीमित होता जाता है। बॉन्डों में भी जोखिम बना रहता है। लिहाजा म्यूचुअल फंड जोखिम और प्रतिफल का उचित संतुलन पेश करते हैं।
निवेश की जल्दी शुरुआत करने का यह भी फायदा होता है कि ऊँचे जोखिम के हिसाब से पोर्टफोलिओ तैयार किया जा सकता है। जैसे अगर कम उम्र में निवेश की शुरुआत की जाती है तो निवेश के अधिकांश हिस्से को इक्विटी में लगाया जा सकता है, जिसके समायोजन के बाद बेहतर प्रतिफल मिल सके। हालाँकि उम्र बढऩे के साथ ही डेब्ट आधारित उत्पादों का रुख करने की ही सलाह दी जाती है, जिससे पोर्टफोलिओ बाजार के उतार-चढ़ावों से महफूज रहता है। साथ ही पोर्टफोलिओ जितना विविधीकृत होता है, उतना ही बेहतर माना जाता है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2016)