जिगर शाह, रिसर्च प्रमुख, किम एंग सिक्योरिटीज :
भारती एयरटेल और आइडिया के शेयर रखे रहने की सलाह
अभी टेलीकॉम क्षेत्र के बारे में हमारा नजरिया तटस्थ है। इस क्षेत्र में माँग की प्रवृत्ति बदलेगी, पर यह धीरे-धीरे होगा। अभी डेटा से इन कंपनियों की आमदनी का 15-17% हिस्सा आता है। इसमें धीमे-धीमे बढ़ोतरी होगी और वॉयस से होने वाली आमदनी कम महत्वपूर्ण हो जायेगी। कंपनियों का मुख्य ध्यान प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) पर होगा। रिलायंस भी एआरपीयू के ही खेल में रहेगी, क्योंकि उसे भी पैसे बनाने हैं।
इस क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार होगा। लेकिन अभी सामने थोड़ी अड़चनें दिख रही हैं, क्योंकि पिछली कुछ तिमाहियों में डेटा के इस्तेमाल में बढ़ोतरी अच्छी नहीं रही है। साथ ही इस क्षेत्र की पुरानी कंपनियों पर जियो की रणनीतियों का जवाब देने का दबाव बढ़ रहा है। उन्हें अपने पूँजीगत खर्च को बढ़ाना पड़ेगा और ज्यादा स्पेक्ट्रम खरीदना होगा। डेटा के मामले में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्हें अन्य संपत्तियों में निवेश करना होगा। यह स्थिति अगली 3-4 तिमाहियों तक रहेगी।
मगर इन शेयरों के भाव इस दबाव को पहले से ही दिखा रहे हैं। आइडिया की तुलना में भारती कहीं ज्यादा मजबूत है क्योंकि भारती की बैलेंस शीट बेहतर है। इसका भारती इन्फ्राटेल में निवेश भी है। भारती अफ्रीका में अपने कुछ निवेशों को भी बेच रही है। साथ ही इसने पहले ही 4जी नेटवर्क विस्तार के मामले में प्रमुखता हासिल कर रखी है। इसलिए इन दोनों में भारती की स्थिति जरूर बेहतर है, लेकिन अभी हमें 3-4 तिमाहियों तक देखना होगा। कोई भी दावे से अभी कुछ नहीं कह सकता। यह देखना होगा कि पूरे क्षेत्र की वृद्धि दर कैसी रहती है, क्योंकि अगर वृद्धि दर अच्छी नहीं रही तो रिलायंस को भी अपनी रणनीति बदलनी होगी। अगर पूरे क्षेत्र में वृद्धि होती है, तभी वह अधिक उपभोक्ताओं को लुभाने में कामयाब होगी। लेकिन अभी तक बहुत ग्राहक कंपनियाँ बदलते नहीं दिख रहे हैं और मौजूदा कंपनियों पर बड़ा असर नहीं दिखा है। शायद तीसरी तिमाही में हमें बदलाव दिखे। रिलायंस के लिए इंटरकनेक्ट का मसला काफी बड़ा है।
अभी एक अनिश्चित सी स्थिति है। दूसरी तरफ टेलीकॉम शेयरों के दाम भी गिर चुके हैं, यानी जो जोखिम है, उसका असर इस गिरावट में दिख रहा है। पर ये शेयर अभी खरीदारी के लायक नहीं हुए हैं। हमने अभी भारती एयरटेल और आइडिया दोनों के लिए होल्ड रेटिंग रखी है यानी इन्हें रखे रहने की सलाह है। इनमें बिकवाली की सलाह भी नहीं है, अभी उदासीन रुख है और थोड़ा रुक कर देखना होगा।
अभी तक मौजूदा कंपनियों के ग्राहक खिसके नहीं हैं, इसलिए उनकी आमदनी पर खास असर नहीं होगा। अभी लोग रिलायंस को दूसरे विकल्प के रूप में देख रहे हैं और अपने पुराने टेलीकॉम ऑपरेटर के नंबर को ही मुख्य नंबर के रूप में चला रहे हैं। ऐसी स्थिति रहने पर उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। दिक्कत तब होगी जब लोग बड़े पैमाने पर कंपनी बदल लें। मगर अभी किसी आँकड़े से ऐसा नहीं दिख रहा है कि लोगों ने बड़े स्तर पर ऐसा बदलाव किया है। इसलिए हमें रुक कर देखना होगा।
(निवेश मंथन, नवंबर 2016)