रमेश नायर, सीओओ- बिजनेस एंड इंटरनेशनल डायरेक्टर, जेएलएल इंडिया :
बारिश के महीने रियल एस्टेट क्षेत्र में नरमी के महीने होते हैं,
लेकिन इस वर्ष दफ्तर (ऑफिस स्पेस) श्रेणी में पर्याप्त चहलकदमी देखी गयी। साल 2013 के मानसून के महीनों - जुलाई, अगस्त और सितंबर की तुलना में 2014 की इस तिमाही में दफ्तरों के लिए जगह की मांग में 58% की जोरदार वृद्धि दर्ज की गयी। साल 2014 की तीसरी तिमाही के दौरान इस श्रेणी में कुल मिला कर 93 लाख वर्ग फुट स्थान की बिक्री हुई, जो साल 2013 की तीसरी तिमाही की तुलना में 1.58 गुणा अधिक है। किसी एक तिमाही में इससे बेहतर प्रदर्शन सिर्फ 2011 में दर्ज किया गया था।
ग्रॉस लीजिंग वॉल्यूम (जीएलवी) के मामले में भी बाजार की गतिविधियाँ काफी अधिक रही और जीएलवी 1.06 करोड़ वर्ग फुट तक पहुँच गयी। इससे साफ है कि व्यावसायिक जमीन-जायदाद के दिन बेहतर होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र में विश्वास के संचार के लिए अच्छे कदम उठाये हैं, जो एक बार फिर अपनी विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने में जुट गया है। गौरतलब है कि भारत के ग्रेड ए ऑफिस स्पेस पर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा है। लीज लिये गये स्थान का 45% से भी अधिक उनके पास है।
अमेरिकी कंपनियों और इस श्रेणी में 15% भागीदारी रखने वाली यूरोपीय कंपनियों में नयी सरकार के आने के बाद भारत में अपने व्यावसायिक विकास के बारे में एक बार फिर बेहद उत्साह दिख रहा है। वहीं 30% भागीदारी रखने वाली भारतीय कंपनियाँ अपनी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में अभी थोड़ा पीछे दिख रही हैं।
लीजिंग के मामले में बेंगलूरु में 90% और दिल्ली-एनसीआर में 250% का जोरदार इजाफा हुआ है। ऑफिस रियल्टी के मामले में कोलकाता के नतीजे भी बेहद उत्साहवर्धक रहे हैं। मुंबई, चेन्नई, पुणे और हैदराबाद में भी कमोबेश अच्छी विकास दर दर्ज की गयी है।
दिल्ली में बढ़ा फ्लोर एरिया रेश्यो
केंद्र सरकार ने दिल्ली में एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेश्यो में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 750 वर्गमीटर और इससे ज्यादा के आवासीय भूखडों (प्लॉट) के लिए एफएआर 150% से बढ़ा कर 200% कर दिया गया है। वहीं 1,000 वर्गमीटर और इससे बड़े भूखडों के लिए एफएआर 120% से बढ़ा कर 200% कर दिया गया है। इसी तरह 1,000 और इससे ज्यादा वर्गमीटर के भूखडों के लिए ग्राउंड कवरेज 40%से बढ़ कर 50% हो गया है, जबकि 750-1,000 वर्गमीटर भूखडों के लिए ग्राउंड कवरेज 50% ही है। बड़े भूखंडों पर आवासीय इकाइयों में बढ़ोतरी पर कोई स्पष्टता नहीं आयी है। हालाँकि दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के एक प्रावधान के तहत आवासीय इकाइयों की संख्या में बढ़ोतरी की अनुमति है। इस फैसले से सामूहिक आवासीय (ग्रुप हाउसिंग) भूखंडों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जहाँ ग्राउंड कवरेज 33.3% की तुलना में अब बढ़ कर 50% हो जायेगा। ऐसे में बड़े अपार्टमेंट्स बनाये जाने की जरूरत होगी।
फ्लैट्स की डिलीवरी जनवरी से
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) का ड्रॉ खुलने के साथ ही 25,035 लोगों की किस्मत का ताला भी खुल गया। जिन खुशकिस्मत लोगों के लिए दिल्ली में अपना घर किसी सपने से कम नहीं था, उन्हें जनवरी 2015 से फ्लैट की डिलीवरी शुरू हो जायेगी। इससे पहले स्कीम के ड्रॉ को दो बार स्थगित कर दिया गया था। डीडीए को इस योजना के तहत 10 लाख से अधिक फॉर्म प्राप्त हुए थे। दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश मंजू गोयल, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर अंशुल कुमार और नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर के महानिदेशक महेश चंद्र को ड्रॉ के लिए जज बनाया गया था और उनकी निगरानी में सीडैट के अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर ने इस कार्य को अंजाम दिया। इन फ्लैटों में करीब 90% फ्लैट एक बेडरूम वाले हैं और उनमें अधिकांश रोहिणी, द्वारका और नरेला में हैं। एक बेडरूम फ्लैट की कीमत 14.55 लाख से लेकर 22 लाख के बीच है और तीन बेडरूम फ्लैट की अधिकतम कीमत 1.21 करोड़ है, जो केंद्रीय दिल्ली में हैं।
काले धन पर रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ जाँच
कुछ रियल एस्टेट कंपनियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खबरों के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आय कर विभाग को उन रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ जाँच का आदेश दिया है, जिन्हें हाल में खोजी पोर्टल कोबरापोस्ट की पड़ताल में कथित रूप से कालाधन स्वीकार करने के लिए तैयार दिखाया गया था। सीबीडीटी ने देश भर में आय कर विभाग की सभी जाँच इकाइयों को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
अपनी रिपोर्ट में आय कर विभाग सीबीडीटी को बतायेगा कि पोर्टल में जिन कंपनियों को दिखाया गया है, उनके खिलाफ उसने कोई कार्रवाई या जाँच संचालित की है या नहीं, और अगर कोई कार्रवाई या जाँच नहीं की गयी है तो क्या ऐसा करने का आदेश दिया गया है? जाँच इकाइयों को दिसंबर के पहले पखवाड़े तक जाँच रिपोर्ट सीबीडीटी को सौंपने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई समेत देश के कई हिस्सों की रियल एस्टेट कंपनियों में काले धन के उपयोग के बारे में कोबरापोस्ट ने खुलासा किया था।
पोर्टल ने अपनी खोजबीन की वीडियो रिकॉर्डिंग भी पेश की थी, जिनमें दिखाया गया था कि किस तरह इन कंपनियों के सीईओ और सीएमडी तक संपत्ति के मूल्य की 10-80% तक राशि काले धन के रूप में लेने के लिए तैयार थे। जाँच के दायरे में आने वाली 35 रियल एस्टेट कंपनियों में से कुछ ने तो इस खबर का खंडन करते काला धन स्वीकार करने की बात से साफ इन्कार किया, वहीं कुछ ने कहा कि उन्होंने अपने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, जिन्हें काले धन की स्वीकृति देते हुए दिखाया गया है।
ये कंपनियाँ दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की हैं। %ऑपरेशन ब्लैक निंजाÓ नामक इस स्टिंग अभियान के दायरे में आने वाले अधिकांश अधिकारियों ने हवाला के जरिये दुबई, बैंकॉक, सिंगापुर और अमेरिका समेत विदेशी ठिकानों पर काला धन स्वीकार करने की रजामंदी जतायी। सनद हो कि केंद्र सरकार विदेशों में जमा काला धन लाने के लिए व्यापक प्रयास कर रही है और इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2014)