निर्मल जैन, चेयरमैन, इंडिया इन्फोलाइन :
इस बात में संदेह नहीं है कि महँगाई दर साल 2013 की तुलना में नीचे आयी है,
लेकिन अब भी यह ऊपर-नीचे हो रही है। बाजार और उद्योग जगत के लिए यही उचित है कि ब्याज दरों में कटौती की जाये, क्योंकि इससे लोगों को वाजिब ब्याज दरों पर कर्ज मिल सकेगा। हालाँकि फरवरी-मार्च 2014 तक महँगाई दर का रुझान ज्यादा स्पष्ट दिखने लगेगा और आरबीआई सुनिश्चित हो सकेगा कि महँगाई दर पक्के तौर पर घटने लगी है। आरबीआई मानता है कि इस समय ब्याज दर में बदलाव करना समय से पहले उठाया गया कदम होगा। इसमें समझदारी दिखती है, क्योंकि इससे महँगाई दर के आँकड़ों पर ज्यादा सजग ढंग से निगरानी करने का समय मिलेगा।
दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर घट कर 5.3% रह जाना निश्चित रूप से वांछित नहीं है, लेकिन इसे फिर भी एक ठीक-ठाक विकास दर कहा जा सकता है। अगर विकास दर लगातार इससे नीचे रहे तो अर्थव्यवस्था धीमी हो जायेगी।
भले ही दूसरी तिमाही में विकास दर घटी है, मगर बारीकी से देखें तो विकास में क्रमिक सुधार जारी है। पहली छमाही में 5.5% की विकास दर रही है, जो बीते दो सालों में सबसे ज्यादा है। पूँजीगत खर्च की गतिविधियों में भी अब स्थिरता आ रही है। मगर इतना जरूर है कि विकास के आँकड़े अब भी कमजोर ही हैं और कमजोर मानसून के चलते कृषि उत्पादन में संभावित गिरावट के मद्देनजर दूसरी छमाही में इसके और घटने की संभावना है। हमारा आकलन है कि दूसरी छमाही में विकास दर 4.5% से 5% के बीच रहेगी, जिससे पूरे साल के दौरान विकास दर लगभग 5.2% होगी, जबकि हमारा पिछला अनुमान 5.6% का था।
अब तक सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) ने भारत की जीडीपी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। हमारी उम्मीदें नयी सरकार की ओर से सभी क्षेत्रों में सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए उठाये जा रहे उपायों पर टिकी हैं। रोजगार के अवसरों, सेवा गुणवत्ता, खपत पर खर्च, विश्व व्यापार में भारत के अनुकूल भुगतान संतुलन और ऐसी कई बातें विकास को बढ़ावा देंगी।
नयी सरकार ने देश में विकास और समृद्धि के बारे में लोगों की डूबती उम्मीदों को सहारा दिया है। इस सरकार के कदम ताजगी के झोंके की तरह हैं और हाल में इनसे काफी उत्साह बना है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इन उपायों पर अमल से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
हाल में सेंसेक्स और निफ्टी एक आकर्षक दौर में रहे हैं और मँझोली कंपनियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। हालाँकि बाजार का भविष्य हमेशा ही अनिश्चित होता है। अगर सरकार के सुधार ठीक से आगे बढ़ें, विदेशी निवेशक अपनी खरीदारी जारी रखें और घरेलू कंपनियाँ अच्छा प्रदर्शन करें तो बाजार निकट भविष्य में और भी ऊपरी स्तरों की ओर बढऩा जारी रखेगा।
बाजार में किसी संकेत के चलते नरमी जरूर आ सकती है। बाजार अगर इकतरफा ढंग से ऊपर बढ़ा है तो इसमें नरमी भी आयेगी ही। इसके लिए बाजार कभी कोई बहाना ले कर नीचे आ जाता है, लेकिन ऐसी गिरावट ज्यादा समय तक नहीं रहती है। बजट पेश होने में अभी तीन महीने का समय का बाकी है और उससे पहले बाजार में एक गिरावट आ सकती है।
अभी-अभी 2014-15 की दूसरी तिमाही में कंपनियों के जो कारोबारी नतीजे आये हैं, वे उम्मीदों से कुछ कमजोर रहे हैं। हमने अपनी समीक्षा में शामिल 182 कंपनियों की आय के अनुमानों को 2014-15 और 2015-16 दोनों वित्त वर्षों के लिए 1% घटाया है। अब हमारा अनुमान है कि इन कंपनियों की आय 2014-15 में 13.7% और 2015-16 में 15.0% बढ़ेगी। साल 2015-16 के अनुमान को जरा संकोची माना जा सकता है, जिसमें तेज सुधार की संभावना को नहीं लिया गया है। इसलिए अगर नतीजों में सुधार नजर आने लगा तो इन अनुमानों को बढ़ाने की संभावना रहेगी।
बाजार में अभी तेजी का दौर है। एक तेज बाजार (बुल मार्केट) में पेंडुलम निराशा से उत्साह और आशावाद की ओर झूलता है। हम एक ऐसे स्तर पर पहुँच रहे हैं, जहाँ मूल्यांकन अब तार्किक स्तरों पर आ चुके हैं, लेकिन तेज बाजार में मूल्यांकन और ऊँचाई पर जा सकता है। लोगों को अपना निवेश बनाये रखना चाहिए। बाजार अभी और बढ़ सकता है। हो सकता है कि आगे यह वृद्धि पिछले महीनों जितनी नहीं हो और न ही उस तेज गति से हो। लेकिन अभी मैं यही कहूँगा कि इस समय मूल्यांकन उचित स्तरों पर हैं। ये बहुत आकर्षक नहीं रह गये हैं, लेकिन उचित स्तरों पर हैं और बाजार अच्छा लग रहा है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2014)