एक गाइड से दुनिया के आईपीओ इतिहास में सबसे बड़ी कामयाबी हासिल करने वाले शख्स चीन के जैक मा की कहानी वाकई अलीबाबा की कहानी से कम रोचक नहीं है।
चीन की मशहूर ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने जब न्यूयॉर्क एक्सचेंज में अपना आईपीओ जारी किया तो वारेन बफेट और अश्वथ दामोदरन जैसे कई निवेश महारथी इसे निवेश के लायक नहीं समझ रहे थे। इसके आईपीओ की कीमत को भी ज्यादा बताया गया। लेकिन जब न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में यह शेयर सूचीबद्ध (लिस्ट) हुआ तो यह दुनिया के आईपीओ इतिहास का सबसे कामयाब आईपीओ बन गया। अलीबाबा ने आईपीओ से 14 लाख करोड़ रुपये (23.1 अरब अमेरिकी डॉलर) की रकम जुटा ली।
इसकी लिस्टिंग भी इश्यू भाव से करीब 36 ऊपर 92.70 डॉलर प्रति शेयर के भाव पर हुई। लिस्टिंग वाले दिन यह 99.70 डॉलर तक गया और 93.89 डॉलर पर बंद हुआ। इस तरह दो साल पहले फेसबुक के आईपीओ की कामयाबी को पीछे छोड़ते हुए अलीबाबा ने एक नया इतिहास रचा। अलीबाबा के चेयरमैन जैक मा की निजी संपत्ति अब करीब 130,800 करोड़ रुपये (21.3 अरब डॉलर) आँकी गयी है। यह कामयाबी रचने वाले चीन के जैक कोई पैदाइशी धनवान नहीं हैं। जैक ने जीवन चलने के लिए 13 साल की उम्र से गाइड का काम शुरू कर दिया। नौ साल तक विदेशियों के गाइड बन कर उन्होंने उनसे अंग्रेजी सीखी। फिर अंग्रेजी शिक्षक के रूप में काम करने लगे। इसके बाद जैक ने एक अनुवाद कंपनी खोली। इसी सिलसिले में जैक 1995 में अमेरिका गये और वहाँ इंटरनेट की ताकत से परिचित हुए। तब उन्होंने चाइना पेजेज नामक पहली इंटरनेट कंपनी बनायी, लेकिन कंपनी चली नहीं। तब उन्होंने चीन के वाणिज्य मंत्रालय में काम करना शुरू कर दिया। वर्ष 1999 में यह नौकरी छोड़ उन्होंने अपने गृह प्रदेश हैंगझू में अपने फ्लैट में अपने 17 दोस्तों के साथ अलीबाबा की शुरुआत की। यहीं से जैक की जिंदगी बदल गयी। उन्होंने सबसे पहले बी2बी कंपनी अलीबाबा ऑनलाइन शुरू की और चीन के छोटे निर्माताओं को विदेशी खरीदारों से जोडऩा शुरू किया। वर्ष 2000 तक अलीबाबा ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 2.5 करोड़ डॉलर जुटाये। वर्ष 2001 तक कंपनी लाभ में आ गयी। मई 2003 में उन्होंने ताओबाओ नमक उपभोक्ता ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू किया। दिसंबर 2004 में ताओबाओ पर ही अलीपे नाम से ई-भुगतान सेवा शुरू की गयी। इसके बाद अलीबाबा समूह एक के बाद एक, चाइना याहू व्यवसाय, ताओबाओ मॉल, अलीबाबा ग्रुप आर एंड डी इंस्टीट्यूट, अलीबाबा क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसे नये व्यवसायों में पाँव पसारता गया।
क्विकर ने जुटाये 6 करोड़ डॉलर
देश की प्रमुख क्लासीफाइड साइट क्विकर ने अपने मौजूदा निवेशकों से 6 करोड़ डॉलर की राशि जुटायी है। धनराशि जुटाने की इस प्रक्रिया में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट के साथ क्विकर के मौजूदा निवेशक वारबर्ग पिनकस, किनेविक, मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया, नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स, नोकिया ग्रोथ पार्टनर्स, ओमिडर नेटवर्क और ई-बे भी शामिल थे। कंपनी इस राशि का इस्तेमाल अपने उत्पादों के विकास और तेजी से बढ़ रहे मोबाइल कारोबार के विस्तार में करेगी। कंपनी अब तक कुल 30 करोड़ डॉलर जुटा चुकी है। इसमें मई 2012 में ई-बे इंक, वारबर्ग पिनकस और अन्य से हासिल 3 करोड़ डॉलर शामिल हैं। कंपनी ने मई 2011 में नोकिया ग्रोथ पार्टनर्स, नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स और इबे इंक से 80 लाख डॉलर और मार्च 2010 में नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स, ओमिडर नेटवर्क, मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया और इबे इंक से 60 लाख डॉलर की धनराशि जुटायी है।
हल्दीराम ने चुना फ्रेंचाइजी का रास्ता
मिठाइयों और नमकीन के लिए प्रसिद्ध कंपनी हल्दीराम ने पहली बार फ्रेंचाइजी के माध्यम से पश्चिमी और दक्षिणी भारत में अपने विस्तार की योजना बनायी है। इस योजना के लिए हल्दीराम ने फ्रेंचाइज इंडिया के साथ तालमेल किया है। कंपनी ने दक्षिणी भारत के शहरों में अपने मास्टर फ्रेंचाइजी बनाने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित कर रही है। कंपनी ऐसे लोगों को मास्टर फ्रेंचाइजी बनाना चाहती है, जो अपने क्षेत्र में 2-3 वर्षों में कम-से-कम पाँच रेस्टोरेंट और एक वेयरहाउस बना सकें। फ्रेंचाइजी को एक शहर में पाँच रेस्टोरेंट खोलने के लिए एक करोड़ रुपये का शुल्क चुकाना होगा। हल्दीराम के एमडी नीरज अग्रवाल का कहना है कि अब तक वे कंपनी के स्वामित्व वाले स्टोर ही खोलते रहे हैं, लेकिन अब दक्षिण और पश्चिम भारत के बाजारों में प्रवेश के लिए उन्होंने फ्रेंचाइजी का रास्ता चुना है।
कॉमनफ्लोर ने जुटाये 181 करोड़ रुपये
रियल एस्टेट पोर्टल कॉमनफ्लोर डॉट कॉम ने अपने मौजूदा निवेशकों से पूँजी जुटायी है। कॉमनफ्लोर ने अपने मौजूदा निवेशक टाइगर ग्लोबल से तीन करोड़ डॉलर (लगभग 181 करोड़ रुपये) जुटाए हैं।
कंपनी ने इससे पहले जनवरी में टाइगर ग्लोबल और एसेल इंडिया से 64 करोड़ रुपये जुटाये थे। कंपनी इस राशि का उपयोग अपने उत्पादों, तकनीक और मार्केटिंग नीतियों में सुधार के लिए करेगी। कॉमनफ्लोर डॉट कॉम विभिन्न शहरों में प्रॉपर्टी रिसर्च के लिए अपनी डेटा रिसर्च टीम पर भी निवेश करेगी। कॉमनफ्लोर द्वारा जुटायी गयी यह अब तक की सबसे बड़ी राशि है। कंपनी अगले छह से 12 महीने में 18 शहरों में अपनी मार्केटिंग और संचालन का दायरा बढ़ायेगी। कंपनी का कहना है कि उसके पोर्टल की खासियत लिस्टिंग की गुणवत्ता, लिस्टिंग की संख्या और उपबलब्ध कराये जा रहे टूल हैं। कॉमनफ्लोर.कॉम के पोर्टल पर एक लाख से अधिक परियोजनाएँ दर्ज है और चार लाख से अधिक सक्रिय लिस्टिंग हैं। कंपनी मार्च 2016 तक 10 लाख लिस्टिंग का लक्ष्य लेकर चल रही है। कंपनी 200 शहरों में प्रॉपर्टी की लिस्टिंग उपलब्ध कराती है, जिनमें से 18 शहरों में इसके कार्यालय हैं। कंपनी 2016 तक अपने कार्यालयों की संख्या बढ़ा कर 40 करने की योजना बना रही है।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)