तरुण सिंह, सीएमडी, प्रीमिया ग्रुप :
बीता एक साल खरीदारों और डेवलपरों, दोनों के लिए बहुत असमंजस वाला रहा है।
इसका कारण बहुत सीधा है। भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र राजनीतिक स्तर पर हुए बदलाव के चलते पैदा उत्साह और जमीनी हकीकत के बीच संतुलन बना रहा है। लिहाजा इस क्षेत्र को बाहर से देखने पर कोई भी विश्लेषक भ्रमित हो सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों के बीच कोई सीधा संबंध ही नहीं है। एक आदर्श रियल एस्टेट बाजार में आवासीय क्षेत्र, रिटेल, कार्यालय क्षेत्र और अन्य श्रेणियों के बीच एक सीधा संबंध होना चाहिए।
कीमतों में कमी बस एक ऐसी इच्छा है, जो अक्सर रियल एस्टेट क्षेत्र के अर्थशा को नकारती है। यहाँ जमीन समेत सभी कच्चे माल की लागत निरंतर बढ़ रही है और एक निर्माता के लिए कीमतों को स्थिर रखना ही एक चुनौती है। बेशक, एक कंपनी की स्थिति दूसरी कंपनी से अलग हो सकती है। मीडिया में आने वाली खबरों में यह नजरअंदाज कर दिया जाता है कि कीमत में कमी आना क्या है और मजबूरी में बिक्री (डिस्ट्रेस सेल) क्या है। मजबूरी में की जाने वाली कुछ गिनी-चुनी बिक्री को मीडिया में अक्सर कीमत में कमी के रूप में दिखाया जाता है, जबकि कीमत में कमी सभी पर लागू होने वाली बात है जो बाजार के रुझान का संकेत देती है।
दक्षिण भारत में एंड यूजर यानी स्वयं उपयोग करने वाले ग्राहकों की अधिकता है, खास कर बेंगलूरु और कोयंबटूर में और वहाँ उचित संपत्ति उचित कीमत पर मिलने के कारण बीते 12 महीनों में बिक्री अच्छी रही है। मुंबई का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा और वहाँ सबसे ज्यादा अनबिके मकान हैं, क्योंकि माँग और आपूर्ति के बीच तालमेल नहीं है। उत्तर भारत में निवेशकों पर केंद्रित गुडग़ाँव जैसे बाजार संतृप्ति (सैचुरेशन) के बिंदु पर पहुँच रहे हैं। इसलिए नोएडा के कुछ हिस्सों समेत जो बाजार हकीकत के करीब हैं, वे ही बेहतर प्रदर्शन कर पा रहे हैं।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के कुछ हिस्सों में भूमि अधिग्रहण को ले कर कुछ मुद्दे रहे हैं, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि यहाँ के सभी स्थानों पर कानूनी मुद्दे हैं। दरअसल सस्ती श्रेणी में कुछ सबसे अच्छी संपत्तियाँ इन्हीं क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। इसलिए मेरी सलाह होगी कि खरीदने का फैसला करने से पहले तथ्यों को पूरी जाँच-परख लें। पूरी खोजबीन ही वह सुरक्षित तरीका है, जिससे सुनिश्चित किया जा सकता है कि खरीदार ने सही संपत्ति और सही स्थान को पसंद किया है।
निश्चित रूप से इस साल त्योहारी माँग पिछले वर्षों से ज्यादा रहेगी। इसके कारण बहुत सरल हैं। देश का आर्थिक परिदृश्य सुधर रहा है और निवेशक वापस भारतीय बाजार में लौट रहे हैं, जो सेंसेक्स में आयी तेजी से स्पष्ट है। रियल एस्टेट को इसका फायदा अवश्य मिलेगा। और त्योहारी मौसम खरीदारी के लिए सबसे अच्छा समय होता है। खरीदार भी समझते हैं कि कीमतें एक या दो तिमाहियों बाद इन्हीं स्तरों पर नहीं रुकी रहेंगी। निर्माता भी अपनी ओर से छूट, उपहार और अन्य आकर्षक मार्केटिंग प्रस्तावों के जरिये अपने मौजूदा अनबिके घरों को बेचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
अगले 12 महीनों में व्यावसायिक संपत्तियों में सबसे पहले तेजी शुरू होगी, क्योंकि रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) के प्रस्ताव ने इस श्रेणी में खुलापन ला दिया है, जिससे निवेशकों को आमदनी देने वाली संपत्ति में निवेश का मौका मिलेगा। कार्यालय और रिटेल श्रेणी में पहले से ही कुछ हलचल दिखने लगी है और 2015 में इसमें गति आने की उम्मीद है। आवासीय श्रेणी में स्थिरता के लिए जरूरी है कि महँगाई दर पर नियंत्रण हो सके, ब्याज दरें घटें और रोजगार संबंधी स्थिरता आये। मगर इस श्रेणी में अगले कारोबारी साल तक तेजी आने की उम्मीद है, क्योंकि तब तक ये तीनों ही बातें पूरी हो जायेंगी।
आवासीय श्रेणी के लिए मैं फिर से कहूँगा कि जो बाजार हकीकत के करीब हैं और स्वयं उपयोग करने वाले ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, उनका प्रदर्शन बेहतर रहेगा। निवेशकों के पास अब रीट के रूप में निवेश का एक बेहतर साधन उपलब्ध है, इसलिए उनका ध्यान अब व्यावसायिक संपत्तियों की ओर ज्यादा रहेगा।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)