अनुज पुरी, चेयरमैन, जेएलएल इंडिया :
रियल एस्टेट क्षेत्र धीमेपन के दौर से अब वापस सँभलने के दौर में आया है।
इस समय दफ्तरों के लिए माँग बढऩे लगी है, प्रमुख रिटेल मॉल अच्छा कर रहे हैं और आवासीय क्षेत्र में भी माँग धीरे-धीरे लेकिन जरूर बढऩे की उम्मीद है। त्योहारों के अवसर पर माँग में बहुत बड़ा सुधार दिखने की उम्मीद नहीं है। लेकिन डेवलपरों की ओर से दिये जाने वाले ऑफरों की भरमार और भविष्य की सकारात्मक उम्मीदों के मद्देनजर इस त्यौहारी मौसम से भविष्य की माँग के स्तरों का भी अंदाजा मिलेगा।
बीते साल कीमतों में गिरावट का रुझान रहा, क्योंकि जो सौदे हो रहे थे उनमें पूरे साल के दौरान छूट मिल रही थी। यह छूट परियोजना के अनुसार 3त्न से लेकर 10त्न तक थी। आवासीय बिक्री बीते साल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई, जबकि दफ्तरों की बिक्री पर साल 2013 की दूसरी छमाही में असर पड़ा था। दिल्ली एनसीआर में दफ्तरों के क्षेत्र में, जबकि गुडग़ाँव और नोएडा में आवासीय बिक्री में ज्यादा कमी देखने को मिली। दिल्ली-एनसीआर में हाल के कानूनी विवादों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि परियोजना को मिली स्वीकृतियों और विकासक (डेवलपर) की साख की पूरी पड़ताल करने की जरूरत है। इसके लिए किसी विश्वसनीय संपत्ति ब्रोकिंग फर्म के जरिये सबसे उपयुक्त परियोजना का चुनाव करें। छोटे आकार की ऐसी परियोजना में निवेश करें, जिसमें पहले ही अच्छी बिक्री हो चुकी हो, ताकि बाद में निर्माण पूरा होने से जुड़े मुद्दे उभर कर न आयें। पूरी होने जा रही परियोजना में अच्छे सौदों के लिए सेकेंड्री बाजार पर भी ध्यान दें।
अगले 12 महीनों में उन आवासीय इलाकों में माँग सुधरने और कीमतें बढऩे की संभावना है, जहाँ इन्वेंट्री यानी अनबिके घरों की संख्या कम है। कीमतें माँग में सुधार के साथ धीरे-धीरे बढ़ेंगी, लेकिन मोटे तौर पर छोटी अवधि में तुलनात्मक रूप से स्थिर ही रहेंगी। जिन इलाकों में कम क्षेत्रफल वाले अपार्टमेंट की परियोजनाएँ हैं, वहाँ खरीदारों और निवेशकों की दिलचस्पी ज्यादा रहेगी। सेकेंड्री बाजार में भी खरीद-बिक्री बढ़ेगी। महँगाई के दबाव में कमी आने और उसके बाद आवास-ऋण (होम लोन) में कमी होने पर मध्यम श्रेणी के मकानों की माँग उभरने की उम्मीद रहेगी।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)