अनिल चोपड़ा, समूह संपादक, पीसी क्वेस्ट :
स्मार्टफोन के बाजार में तरह-तरह के ढेरों विकल्पों के चलते मानो क्रांति सी आ गयी है।
जाहिर है कि इससे जबरदस्त प्रतिस्पर्धा का वातावरण बना हुआ है। बेहतर कीमत पर बेहतर मॉडल उतारने की स्पर्धा निरंतर जारी है। जाहिर है कि ग्राहकों को इस स्पर्धा का लाभ मिलता है। लेकिन अब उन्हें सतर्क भी रहना पड़ता है, क्योंकि सही स्मार्टफोन का चयन करना भी अब उतना ही मुश्किल हो गया है। तकनीकी दृष्टि से स्मार्टफोन की हार्डवेयर क्षमताएँ आसमान छूने लगी हैं। जो चूहा-दौड़ पर्सनल कंप्यूटर में चल रही थी, वही स्पर्धा अब स्मार्टफोन में आ गयी है। अब ज्यादा तेज प्रोसेसर हैं, जिनमें कोर की संख्या बढ़ती जा रही है, रैम बढ़ती जा रही है और संग्रह-क्षमता (स्टोरेज) भी पहले से ज्यादा है। इनमें बेहतर कैमरे हैं, ज्यादा रिजोल्यूशन वाले एचडी डिस्प्ले है, बड़े आकार की स्क्रीन है और कई सिम समेत बहुत सारी नयी खासियतें होती हैं।
यह देख कर बड़ा अच्छा लगता है कि स्मार्टफोन के कुछ भारतीय ब्रांडों ने बाजार में अपनी खास जगह बना ली है। हालाँकि उत्पाद की गुणवत्ता और बिक्री के बाद की सेवा एवं ग्राहक-सहायता का जहाँ तक सवाल है, तो उसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि ब्रांड भारतीय है या अंतरराष्ट्रीय। बिक्री के बाद की सेवा के मामले में हमने सभी ब्रांडों के संबंध में अच्छी-बुरी बातें सुनी हैं।
चीनी ब्रांडों ने भी बाजार में जबरदस्त प्रभाव बनाया है। उनकी कीमत संबंधी रणनीति काफी आक्रामक है, जिससे स्पर्धा करना दूसरों के लिए टेढ़ी खीर है। हालाँकि कीमत को लेकर आक्रामक रणनीति काफी समय तक नहीं चल पाती है। आपको उत्पाद की बेहतर गुणवत्ता, लगातार नयी खोजों और बेहतर सेवा एवं ग्राहक-सहायता नेटवर्क बनाये रखना पड़ता है। जो इन तीनों को साथ लेकर चलेगा, वही बाजार में बना रहेगा। बाकी कंपनियों का तो आया राम गया राम वाला ही हाल होगा।
प्रीमियम स्मार्टफोन की श्रेणी में मुकाबला केवल ऐप्पल और सैमसंग के बीच ही नहीं है। सोनी, एचटीसी, एलजी और मोटोरोला उच्च-श्रेणी के स्मार्टफोन में अपनी सक्रियता दिखा चुकी हैं। इनके उत्पाद भी लाजबाव हैं और ये सब कंपनियाँ अपने उत्पादों के लिए बाजार बनाने में पूरे जोर-शोर से जुटी हैं। हालाँकि मुझे लगता है कि सबसे प्रीमियम उत्पाद के तौर पर ऐप्पल ने अपनी बादशाहत बना रखी है और उसके बाद सैमसंग का स्थान आता है।
आईफोन 6 और 6 प्लस भारतीय बाजार में 17 अक्टूबर को उतारे जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रेस ने दोनों उत्पादों की काफी तारीफ की है। ऐप्पल ने आखिरकार बाजार की माँग को समझा है और आईफोन को एक ही हाथ से चलाने (सिंगल हैंड ऑपरेशन) की सोच पर अटके रहने की जगह नये आईफोन में बड़ा स्क्रीन दिया है।
(निवेश मंथन, अक्टूबर 2014)