सुशांत शेखर :
आम आदमी के घर के सपने को पूरा करने और प्रॉपर्टी बाजार में रौनक बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक और सरकार ने बड़े कदम उठाये हैं।
रिजर्व बैंक ने जहाँ किफायती घरों के लिए बैंकों को रकम जुटाने में सहूलियतें दी हैं, वहीं सरकार ने बजट में अपने कब्जे वाले मकानों के आवास ऋण (होम लोन) के ब्याज पर आय कर में छूट डेढ़ लाख रुपये से बढ़ा कर दो लाख रुपये कर दी है। दोनों कदम आम आदमी के साथ रियल एस्टेट उद्योग को भी फायदा पहुँचाने वाले माने जा रहे हैं।
मकान के लिए कर्ज होगा सस्ता
बजट में सरकार की ओर से किफायती घरों पर जोर देने की बात से संकेत लेते हए रिजर्व बैंक ने ऐसे मकानों के लिए कर्ज देने के मामले में बैंकों को एक नया रास्ता दे दिया है। आरबीआई ने 15 जुलाई के सर्कुलर में बैंकों को इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड जारी करके पैसा जुटाने की इजाजत दी है। बैंक फिक्स या फ्लोटिंग दरों पर इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करके रकम जुटा सकेंगे। इन बॉण्डों से रकम जुटाने की कोई सीमा तय नहीं की गई है। इनकी परिपक्वता अवधि कम-से-कम सात साल होगी।
आरबीआई ने इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड के जरिये जुटायी गयी रकम पर नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर, वैधानिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर और प्राथमिकता वाले कर्ज के नियम लागू नहीं होंगे। बाकी दूसरी रकम के मामले में बैंकों को 4% सीआरआर और 22.5% एसएलआर के तौर पर सुरक्षित रखना पड़ता है। अगर बैंक के पास 100 रुपये हैं तो वह सिर्फ 73.5 रुपये तक के ही ऋण दे पाता है।
कितना सस्ता हो सकता है कर्ज
सीआरआर और एसएलआर के लिए पैसा अलग न रखने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम तो रहेगी ही, साथ ही उनके लिए रकम जुटाने की लागत घटेगी। इसका फायदा बैंक रियल एस्टेट कंपनियों और ग्राहकों को भी देंगे। बैंकों के मुताबिक किफायती घरों के लिए कर्ज नियम आसान होने से ग्राहकों और रियल एस्टेट कंपनियों के लिए 0.5% से 1% तक ऋण सस्ता हो सकता है। हालांकि कर्ज सस्ता होने और ग्राहकों को इसका फायदा मिलने में 3-4 महीने का वक्त लग सकता है।
रिजर्व बैंक के नियमों में नरमी का फायदा दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों के लोगों को ज्यादा मिलेगा। इन शहरों में 60 से 70 लाख रुपये से कम में मकान मिलना मुश्किल होता है। लेकिन आरबीआई ने किफायती मकानों की परिभाषा बदल दी है। नयी परिभाषा के मुताबिक अब मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बैंगलूरू और हैदराबाद में 65 लाख रुपये तक के मकान पर 50 लाख रुपये तक का आवास ऋण किफायती घर का ऋण माना जाएगा। बाकी शहरों में 50 लाख तक के मकान पर 40 लाख रुपये का ऋण इस श्रेणी में शामिल होगा।
वहीं सरकार ने इस बार के बजट में घर खरीदने को बढ़ावा देने के लिए आवास ऋण के कर्ज के ब्याज पर मिलने वाली छूट बढ़ा दी है। बजट में आवास ऋण ब्याज पर कटौती की सीमा डेढ़ लाख रुपये से बढ़ा कर दोलाख रुपये कर दी गयी है। इससे करदाताओं को 5,000 से 15,000 रुपये तक का फायदा होगा। हालाँकि आवास ऋण पर ब्याज में छूट ऐसे मकानों पर लिए ऋण पर ही मिलती है, जिसमें आप स्वयं रहते हों।
कितना घटेगा ईएमआई का बोझ
वित्तीय सलाहकार कंपनी केपीएजी इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक के कदम से मकानों की मांग बढ़ेगी और कुछ हद तक वे सस्ते भी होंगे। इस कदम से आवास ऋणों की मासिक किश्तों यानी ईएमआई का बोझ 8-10% तक कम हो सकता है। इसके साथ ही बजट में करमुक्तआय की सीमा में 50,000 रुपये की बढ़ोतरी और आवास ऋण के ब्याज में भी इतनी ही छूट से हर साल एक लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।
केपीएमजी के अनुमान को ही आगे बढ़ाते हुए यह समझते हैं कि ईएमआई का बोझ कितना कम हो सकता है? मान लीजिए आपने 20 लाख रुपये का आवास ऋण लिया है। मोटे तौर पर अभी बाजार में आवास ऋण पर 10.25% ब्याज दर चल रही है। अगर 25 साल के लिए इतना ऋण लें तो आपकी ईएमआई करीब 18,527 रुपये बैठती है। अगर ब्याज की दर 1% घटती है तो आपको 17,127 रुपये ही चुकाने होंगे, मतलब हर महीने करीब 1,400 रुपये की बचत।
रियल एस्टेट कंपनियों का भी मानना है कि सरकार के किफायती मकानों पर जोर से ज्यादा लोगों के लिए सिर पर छत मुहैया होगी। वहीं घरों की मांग बढऩे से रियल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े सीमेंट, स्टील जैसे मुख्य क्षेत्रों (कोर सेक्टर) में हलचल बढ़ेगी। इसका फायदा पूरी अर्थव्यवस्था को होने की उम्मीद है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2014)