नरेंद्र तनेजा, प्रवक्ता, भाजपा:
डिजिटल इंडिया से सरल होगा जीवन
डिजिटल इंडिया का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों को लंबी-लंबी लाइनों में खड़ा न होना पड़े और उनके लिए कामकाज सुविधाजनक हो जाये। कई विकसित देशों में देखा गया है कि अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण करने पर कतार-मुक्त व्यवस्था हो गयी है। दूसरी बात यह है कि जहाँ भी आपने कंप्यूटर-इंटरनेट को अपनाया है, वहाँ लोगों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिली है। तीसरा बड़ा उद्देश्य यह है कि डिजिटल साक्षरता से लोगों की भागीदारी होती है और उन्हें अपने हाथ में ताकत महसूस होती है। जो व्यक्ति पढ़ा-लिखा नहीं है, वह जन-धन योजना के तहत डेबिट कार्ड मिल रहा है तो वह स्वयं को सशक्त महसूस कर रहा है।
डिजिटल इंडिया की पहल एक क्रांतिकारी कदम है। इससे लोगों का जीवन सरल होगा। जहाँ भी सरकारी कामकाज होता है और जहाँ भी एक नागरिक को अपनी जिंदगी में सरकार से वास्ता पड़ता है, उन सारी जगहों पर डिजिटल माध्यम से उन्हें असुविधा से बचाया जा सकता है। ऐसी तमाम जगहों पर काफी बड़ा परिवर्तन आ जायेगा। यह सरकार और लोगों के बीच का माध्यम बन जायेगा।
ऐसी काफी चीजें पहले से भी हो रही हैं, जैसे इंटरनेट पर संपत्ति कर जमा करना। यह पहल उससे आगे जायेगी। यहाँ तक कि लोगों को कृषि के बारे में जानकारी देना हो, कृषि के रिकॉर्ड हों या कृषि संबंधी वितरण हो, इन सब चीजों को ई-प्रशासन में लाया जा सकता है। इसमें अदालतों का कामकाज भी शामिल है। अभी लोग अदालतों के कामकाज के लिए कई-कई दिन जाते हैं, तारीखें बदलती हैं, लोग पूरे दिन बैठे रहते हैं और पता चलता है कि उनका नंबर नहीं था।
विचार यह है कि ऐसी तमाम चीजों का डिजिटलीकरण हो, जिससे लोग अपने सरकारी काम कंप्यूटर-मोबाइल पर भी कर सकें। हमारा प्रयास है कि 2019 तक डिजिटल इंडिया की पहल में अच्छी सफलता मिल सके। हमारी कोशिश होगी कि हिंदी और तमाम भारतीय भाषाओं में यह काम हो।
राशिद अल्वी, नेता, कांग्रेस :
राज्य सरकारों की भी हो भूमिका
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार ने डिजिटल इंडिया का कोई ब्लूप्रिंट बनाया है? क्या सरकार ने इस तरफ कोई कदम उठाया है? सिर्फ भाषण में कह देने से क्या फर्क पडऩे वाला है? अभी तो सरकार ने इस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया है। लेकिन यह बात बहुत ठीक है कि जहाँ लंबी-लंबी कतारें लगती हैं, वो नहीं लगनी चाहिए। उसके लिए बहुत सारे तरीके इस्तेमाल किये जा सकते हैं। मिसाल के तौर पर कहीं आप कार से जा रहे हों तो टोल-टैक्स के लिए दो-दो किलोमीटर तक लंबी लाइनें लगती हैं।
ऐसे बहुत सारे कदम सरकार को उठाने चाहिए। सरकार अगर उनके बारे में विचार करेगी तो रास्ते निकाले जा सकते हैं। एकल-खिड़की (वन-विंडो) सुविधा मिलनी चाहिए, बजाय इसके लिए लोग पहले एक खिड़की पर जायें, फिर दूसरे पर, फिर तीसरे पर। सरकार के पास अगर विचार हो तो उसे लागू किया जा सकता है। आपकी पत्रिका का यह नजरिया बहुत अच्छा है।
डिजिटल इंडिया ठीक है, लेकिन आपने जो मुद्दा उठाया है वह इससे कैसे सुलझेगा? स्कूलों में कंप्यूटर लगाना अच्छा कदम है। लेकिन इससे क्या देश में कतारें खत्म हो जायेंगी? जो विषय उठाया गया है, उस पर ध्यान देना चाहिए। हम अपनी ओर से कोई सुझाव देंगे तो सरकार उसे सकारात्मक रूप से नहीं लेगी। अगर सरकार सुझाव लेना चाहे तो उसके लिए बैठक बुलाये।
वैसे जब राजीव गांधी ने देश में पहली बार कंप्यूटर लाने की बात की तो सबसे बड़ी मुखालफत भाजपा ने की थी। उनका कहना था कि कंप्यूटर से बेरोजगारी हो जायेगी। जो रास्ता हमने दिखाया है, उसी रास्ते पर यह सरकार चलना चाहती है। इनके पास नया कोई विचार नहीं है। इससे हम कब नाखुश हो रहे हैं! लेकिन जिनके हाथों में देश की सत्ता है, उनके पास अपना विचार तो होना चाहिए। अभी उन्होंने हर व्यक्ति का बैंक खाता खोलने की शुरुआत की, वह भी हमारी योजना है। यह तो यूपीए की योजना रही है कि हर व्यक्ति का बैंक खाता खुले और सब्सिडी सीधे उसके खाते में जाये।
(निवेश मंथन, सितंबर 2014)