राजीव रंजन झा :
पिछले दो लोक सभा चुनावों की कहानी तो यही है कि चुनाव के समय बाजार जिस मुकाम पर था,
वहाँ से वह आगे ही चढ़ता गया और भविष्य में लौट कर उस मुकाम पर वापस नहीं आया। साल 2004 में चुनावी नतीजों के समय 14 मई और 17 मई को भारी गिरावट आयी थी। उस गिरावट का कारण यह था कि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को हार मिली थी और यह निश्चित नहीं दिख रहा था नयी सरकार में प्रधानमंत्री किसे बनना है। लेकिन यूपीए की सरकार बनने और मनमोहन सिंह को कमान सौंपे जाने के बाद से बाजार सँभलता दिखा। सेंसेक्स ने मई 2004 में 4,228 की तलहटी बनायी थी। उसके बाद से वह स्तर दोबारा कभी नहीं मिला।
इसी तरह की कहानी 2009 की है। उस समय बाजार साल 2008 की भयानक मार से उबरने की कोशिश कर रहा था। मार्च 2009 से बाजार ने जरा सँभलना शुरू कर दिया था। लेकिन मई 2009 में चुनावी नतीजों में यूपीए को उम्मीदों से कहीं ज्यादा अच्छी सफलता मिलने के बाद बाजार ने ऊपरी सर्किट छू लिया। मई 2009 के महीने में सेंसेक्स ने 11,621 से 14,931 तक की छलांग लगायी थी। सेंसेक्स ने मई 2009 की तलहटी को उसके बाद से अब तक कभी पलट कर नहीं देखा। गौर करें कि साल 2011 में जब बाजार ने बड़ी कमजोरी दिखायी भी थी तो मई 2009 के ऊपरी स्तर के पास ही सहारा ले लिया था। सेंसेक्स दिसंबर 2011 में 15,000 के ऊपर ही रुक गया था।
अगर एक बार फिर इसी तर्क को माना जाये तो यह संभावना बन सकती है कि सेंसेक्स अब 22,000 के नीचे लौट कर न जाये। मई 2014 में सेंसेक्स ने 22,277 से 25,376 तक की लंबी छलांग लगायी है। संभव है कि बाजार की उठापटक में यह इस दायरे के अंदर तो कुछ समय के लिए दिखे, लेकिन इसके निचले स्तर को तोडऩे की कोशिश न करे।
सेंसेक्स मासिक चार्ट
सेंसेक्स का अगला बड़ा लक्ष्य अब 30,000 का दिख रहा है। इसने साल 2008 के शिखर 21,207 को निर्णायक ढंग से पार करने के बाद साल 2011 से अब तक की ऊपर चढ़ती पट्टी को भी ऊपर की ओर तोड़ दिया है। अगर हम साल 2008 के शिखर 21,207 से साल 2008 की ही तलहटी 7,697 तक की गिरावट की वापसी की संरचना देखें तो 100% वापसी पूरी होने के बाद 138.2% वापसी का स्तर 26,367 पर और फिर 161.8% वापसी का स्तर 29,556 का है। यानी मोटे तौर पर इसे 30,000 का लक्ष्य माना जा सकता है। मगर इस लक्ष्य को हासिल करने की एक प्रमुख शर्त यह होगी कि सेंसेक्स 2011 के अंत से हाल तक चली आयी चढ़ती पट्टी के अंदर फिर से वापस लौट न आये। ऐसा होना बाजार के लिए काफी नकारात्मक हो सकता है। आने वाले समय में यह ध्यान रखें कि सेंसेक्स अगर किसी भी उठापटक में वापस 22,000-21,000 की ओर लौटे तो वह खरीदारी का शानदार मौका होगा। हालाँकि आपको सेंसेक्स वापस उन स्तरों के करीब मिलेगा ही, यह बात पक्के तौर पर नहीं कही जा सकती।
इसी ढंग से अब निफ्टी के लिए लगभग 8,000 और 9,000 अगले बड़े मनोवैज्ञानिक और तकनीकी लक्ष्य बन रहे हैं। साल 2008 के शिखर 6,357 से उस साल की तलहटी 2,253 की 100% वापसी पूरी करने के बाद 138.2% वापसी का स्तर 7,924 पर और 161.8% वापसी का स्तर 8,893 पर है।
सेंसेक्स साप्ताहिक चार्ट
सेंसेक्स के साल 2010 के शिखर 21,109 से साल 2011 की तलहटी 15,136 तक की गिरावट की 100% वापसी पिछले साल पूरी हो गयी थी। इस साल यह इस बाधा को पार करके इसके ऊपर नयी तेज चाल बनाने में सफल रहा, जिसके चलते यह मई 2014 में 161.8% वापसी के स्तर 24,800 को भी छू चुका है। यानी यह अपने एक महत्वपूर्ण लक्ष्य को पा चुका है। इस लक्ष्य को पाने के बाद यह अटकता हुआ भी दिखा है, यानी 24,800 का वही स्तर अब एक बाधा के रूप में सामने है।
बाजार में यहाँ से और आगे तेजी की गुंजाइश बने, इसके लिए जरूरी है कि सेंसेक्स पहले 24,800 और फिर 16 मई 2014 को बने नये उच्चतम स्तर 25,376 को पार करके इसके आगे निकले। ऐसा करने में नाकाम रहने पर यह मई 2014 में नयी चाल शुरू होने के स्तर 22,277 से लेकर 25,376 के बीच में ही ऊपर-नीचे होते रह कर समय गुजार सकता है।
सेंसेक्स के साप्ताहिक चार्ट में जो सीधी लाल रेखा है, वह साल 2011 से 2014 के शुरुआती महीनों के शिखरों को मिलाती रुझान रेखा है। इस रेखा को पार करने के बाद ही बाजार में नयी तेज चाल बनी। आगे के उतार-चढ़ाव में सेंसेक्स के लिए इस रेखा के ऊपर टिके रहना महत्वपूर्ण होगा, जबकि इसके नीचे फिसल जाना खतरनाक हो सकता है।
इस चार्ट में 20 और 50 हफ्तों के सिंपल मूविंग एवरेज भी दिख रहे हैं। इस साल मार्च में सेंसेक्स ने 20 हफ्तों के एसएमए को जब पार किया, उसके बाद से यह लगातार तेजी में है। लेकिन अब सेंसेक्स 20 हफ्तों के एसएमए से काफी ऊपर आ गया है। आम तौर पर जब फासला इतना बढ़ जाता है तो भाव अपने औसत के करीब आने का बहाना ढूँढ़ता है। इसके लिए यह या तो एक दायरे के अंदर ही समय बिताने लगता है, या फिर गिरावट का रास्ता चुनता है।
इसलिए अगर बाजार में आगे और भी नरमी आती है तो इस साप्ताहिक चार्ट में दिख रहे 138.2% वापसी के स्तर, चढ़ती रुझान रेखा और 20 हफ्तों के एसएमए की चढ़ती रेखा से बन रहे दायरे पर खास नजर रखनी चाहिए। यह दायरा सेंसेक्स के लिए बड़ा मजबूत सहारा बन सकता है, लेकिन इसके टूटने पर आगे की गिरावट ज्यादा गहरी हो सकती है।
यहाँ एक और बात दिलचस्प है कि 21,109-15,136 की गिरावट की 161.8% वापसी के बाद का अगला जो बड़ा पड़ाव है, वह 261.8% वापसी का स्तर है जो 30,773 का बैठता है। यह मोटे तौर पर मासिक चार्ट में दिखाये गये बड़े लक्ष्य से मेल खाता है।
सेंसेक्स दैनिक चार्ट
इस साल बाजार की चुनावी तेजी की शुरुआत फरवरी 2014 में हुई, जब सेंसेक्स ने 19,963 की तलहटी से चढऩा शुरू किया और चुनावी नतीजों के दिन 16 मई को 25,376 के नये रिकॉर्ड स्तर तक गया। सेंसेक्स की 16 मई से अब तक की सारी गतिविधि उस दिन बने दायरे के अंदर ही रही है। यहाँ तक 19,963-25,376 की 23.6% वापसी का स्तर 24,099 भी इस दायरे के अंदर ही आता है, जो मई के अंत तक सुरक्षित रहा है। सेंसेक्स का 20 एसएमए अभी 23,813 पर है और आने वाले दिनों में 24,000 के करीब होगा। इसलिए मोटे तौर पर 24,000 के आसपास सेंसेक्स को सहारा मिलने की उम्मीद रहेगी।
लेकिन अगर यह इस 23.6% वापसी के नीचे गिरा तो 38.2% वापसी यानी 23,308 की ओर फिसल जाना काफी मुमकिन होगा। सेंसेक्स फरवरी में ही अपने 50 दिनों के एसएमए के ऊपर निकला था। यह 50 एसएमए अभी 22,940 पर है और आने वाले दिनों में यह 23,000-23,300 के आसपास सहारा देगा। अगर सेंसेक्स 50 एसएमए को तोड़े, तभी किसी बड़ी गिरावट की चिंता करनी चाहिए, उससे पहले नहीं।
निफ्टी दैनिक/घंटेवार चार्ट
अगर हम मई में आयी उछाल की ही संरचना को समझना चाहें, तो निफ्टी की 8 मई की तलहटी 6,639 की थी, जहाँ से चुनावी नतीजों वाली असली उछाल शुरू हुई। निफ्टी ने 6,639 से 7,563 की उछाल की 23.6% वापसी के स्तर 7,345 और इसके बाद 38.2% वापसी के स्तर 7,210 को 16 मई को ही तोड़ दिया था। यह उसी दिन 7,132 तक फिसला था। इसके बाद सँभलते-सँभलते यह 26 मई को फिर से 7,504 तक पहुँचा, लेकिन अब यह वापस 7,200 के करीब आ गया है। मई के अंतिम कारोबारी दिन 30 मई को यह 7,200 के कुछ ऊपर ही सहारा लेता दिखा है। अगर यह 7,200 के नीचे फिसला तो न केवल 50% वापसी के स्तर 7,101, बल्कि 61.8% वापसी यानी 6,992 या मोटे तौर पर 7,000 तक फिसल सकता है।
अगर निफ्टी के घंटेवार चार्ट को देखें तो यह 50 घंटे और 100 के एसएमए को तोड़ चुका है। ऐसे में अगर इसने 7,210 के तकनीकी सहारे को भी तोड़ा तो 200 घंटे के एसएमए की ओर फिसल जाने में अचरज नहीं होगी। इसका 200 घंटे का एसएमए अभी 7,010 पर है।
इन्फोसिस : ऐसी भगदड़ क्यों!
इन्फोसिस से शीर्ष प्रबंधन के लोगों की भगदड़ जारी है। इस कड़ी में सबसे ताजा नाम जुड़ा है कंपनी के बोर्ड सदस्य और प्रेसिडेंट बी. जी. श्रीनिवास का। बाजार के जानकार इसे कंपनी के नये सीईओ की तलाश से जोड़ कर देख रहे हैं। कंपनी अपने मौजूदा सीईओ और एमडी एस. डी. शिबुलाल के उत्तराधिकारी की तलाश कर रही है।
लेकिन बाजार की असली चिंता यह है कि कार्यकारी चेयरमैन के रूप में एन. आर. नारायणमूर्ति की वापसी के बाद से एक के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी कंपनी छोड़ते जा रहे हैं। श्रीनिवास इस कड़ी में दसवें वरिष्ठ अधिकारी हैं। कंपनी के कारोबारी नतीजों में चमक नहीं होने और वरिष्ठ अधिकारियों की भगदड़ से दो-तीन महीनों में इसका शेयर काफी फिसला है। इसने साल 2013 की दूसरी तिमाही से जो तेजी पकड़ी थी, वह अब साफ तौर पर टूट चुकी है। इसका शेयर भाव अब 50 एसएमए और 200 एसएमए के नीचे आ चुका है, जो स्पष्ट रूप से मंदी के रुझान का संकेत है।
इन्फोसिस के साप्ताहिक चार्ट पर देखें कि यह मई 2013 की तलहटी 2,186 से मार्च 2014 के शिखर 3,850 की उछाल की 61.8% वापसी के करीब आ चुका है। इन्फोसिस के चार्ट में अक्सर 61.8% वापसी होती रही है और यह इस फिबोनाची स्तर को काफी सम्मान देता रहा है। इसलिए यह संभावना बनती है कि इन्फोसिस की मौजूदा गिरावट 2,800 रुपये के आसपास कहीं थम जाये।
लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो 80% वापसी के स्तर 2,518 को अगला तकनीकी लक्ष्य समझना पड़ेगा। मुझे लगता है कि शायद वहाँ तक यह न फिसले, लेकिन अगर बाजार की उठापटक के बीच वैसे भाव आ जायें तो उसे इन्फोसिस को खरीदने का बेहतरीन मौका समझ कर पूरा फायदा उठाना चाहिए। फिलहाल इन्फोसिस अपनी कमजोरी से उबरे, इसके लिए जरूरी शर्त लगती है कि यह 50% वापसी के स्तर 3,018 के ऊपर लौटे और मोटे तौर पर 3,000 के ऊपर टिका रहे। लेकिन अगर यह 3,000 के नीचे बना रहा तो 2,800 और फिर शायद 2,500 के स्तर आ ही जायें।
(निवेश मंथन, जून 2014)