रामदेव अग्रवाल, जेएमडी, मोतीलाल ओसवाल :
आर्थिक मोर्चे पर चीजें इतनी ज्यादा बिगड़ी हुई हैं कि अब स्थिति केवल सुधर ही सकती है।
अब कितना सुधार होगा, क्या विकास दर 6% पर जायेगी? मुझे लगता है कि साल भर में विकास दर में एक-डेढ़ प्रतिशत का सुधार आ जायेगा। एक-डेढ़ प्रतिशत का यह सुधार काफी जल्दी आ जाना चाहिए। हो सकता है कि ऐसा छह महीने में ही हो जाये। उसके बाद अगर हर साल एक प्रतिशत का सुधार आता जाये तो चौथे-पाँचवें साल तक हमें उम्मीद करनी चाहिए कि विकास दर 9-10% तक हो जाये, दो अंकों में आ जाये।
इस सरकार के लिए लंबी अवधि का एजेंडा यही हो सकता है कि काफी ऊँची और समावेशी (इन्क्लूसिव) विकास दर हासिल की जाये। दो अंकों में विकास दर नहीं भी जाये तो 8-9% की विकास दर अगर टिकाऊ ढंग से बनी रहे। यह विकास अच्छी तरह वितरित तरीके से हो, जिसका फायदा केवल अमीरों के लिए सीमित नहीं हो। इस तरह कम महँगाई के साथ ऊँची विकास दर हो, जो अच्छी तरह से वितरित हो, जिसके जरिये रोजगार पैदा हों न कि रोजगार खत्म हों। इन्हीं सब बातों के लिए मैंने समावेशी शब्द इस्तेमाल किया। इस विकास का फायदा पूरे देश को मिले, हर समुदाय को मिले, सभी व्यवसायों को मिले।
इस समय जो व्यापार-विरोधी माहौल बना हुआ है, उस पर ध्यान देना होगा। व्यापार में आसानी वाले देशों की सूची में भारत 135 पर है। कोई कारण नहीं है कि हम भारत को इस सूची में विश्व के 5-10 शीर्ष देशों के बीच न ले जा सकें। इसलिए एक लक्ष्य यह होना चाहिए कि अगले 4-5 सालों में भारत में व्यापार करने में कठिनाई पैदा करने वाली तमाम अड़चनों को तोड़ा जाये। लेकिन आगमन पर वीसा जैसी सुविधाएँ दी जा सकती हैं। एक अनुकूल वातावरण बनाया जा सकता है। साथ ही उद्योग-जगत में कोई दोषी हो तो उसे सजा भी मिलनी चाहिए। अभी यह होता है कि अमीर लोग हर तरह के अपराध से बच निकलते हैं। उन्हें भी ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि किसी को बड़े भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का साहस नहीं हो।
पर साथ ही ऐसा माहौल भी बनना चाहिए कि उद्योग जगत को भ्रष्टाचार का सहारा लेने की जरूरत ही नहीं हो। अगर आपको कहीं जाना है और रेलवे का टिकट मिल ही नहीं रहा है तो आपने एक अभाव पैदा कर दिया है। अगर आप अर्थव्यवस्था में खुलापन ला दें तो कोई कंपनी क्यों भ्रष्टाचार का सहारा लेगी? एक अनुकूल माहौल बनने से विदेशी निवेश भी आयेगा और देश के अंदर से भी निवेश होगा।
जो छोटी-छोटी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ हैं, उनसे होने वाला फायदा काफी बड़ा है। मिसाल के तौर पर मुंबई में जो वर्ली सी-लिंक बना, उससे शहर के लोगों को काफी बड़ी राहत मिली। इसलिए जहाँ-जहाँ कमी है, वहाँ बुनियादी ढाँचा विकसित करके बाधाएँ खत्म करने से खर्च की तुलना में काफी बड़ा फायदा मिलेगा और लोग राहत महसूस करेंगे। जहाँ दर्द ज्यादा है, वहाँ काम करने से तुरंत आराम मिलेगा।
पर्यावरण की मंजूरी के लिए 800 फाइलें अटकी पड़ी हैं। आप महीने भर में इन सबको निपटा दें। सरकारी दफ्तरों में जहाँ-जहाँ भी चीजें अटकी हुई हैं, उन्हें आगे बढ़ाना ही सरकार के लिए सबसे पहला और सबसे आसान कदम है। इनके लिए आपको कानून नहीं बदलना, कुछ विशेष नहीं करना है। केवल भ्रष्टाचार मुक्त ढंग से लोगों से काम करवाना है।
बजट सामने है, जो काफी महत्वपूर्ण है। इसमें सरकार को काफी सोच-विचार और कल्पनाशीलता से काम लेना होगा। बजट की तैयारी के लिए सरकार के पास पर्याप्त समय है। आपकी सोच सही हो तो पाँच हफ्ते भी काफी हैं। और ऐसा नहीं है कि बजट के बाद कुछ नहीं होगा। आप बजट के बाद भी नयी चीजें करते रह सकते हैं। लेकिन बजट में साफ होना चाहिए कि आप सरकारी घाटे (फिस्कल डेफिसिट) को किस तरह सँभालना चाहते हैं। क्या आप उन सब्सिडी योजनाओं को पहले की तरह चलाते रहना चाहते हैं, जो देश के लिए बड़ी समस्या बन चुकी हैं? यहाँ सरकार के लिए एक अवसर है।
सरकार के बहुत से विभाग सक्रिय नहीं रहे हैं, जहाँ काफी अवसर हैं। जैसे पर्यटन को ले लें। आगमन पर वीसा का नियम बनाने के लिए सरकार को संसद के सामने जाने की जरूरत नहीं है। आपकी वीसा नीति विश्व में सबसे आक्रामक होनी चाहिए। बेशक हमें सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना है। लेकिन इसे काफी सक्षम ढंग से ऑनलाइन बनाया जा सकता है। ऐसी व्यवस्था बना दें कि कोई एक घंटे में ऑनलाइन वीसा पा सके।
शेयर बाजार पिछले कुछ हफ्तों में काफी तेजी से बढ़ा था, इसलिए अब यह कुछ ठहराव (कंसोलिडेशन) के दौर से गुजरेगा। जैसे ही जनमत सर्वेक्षणों में बहुमत जैसी स्थिति दिखने लगी थी तो बाजार ने काफी उम्मीदें लगा लीं। अभी तो बाजार में जो भी तेजी आयी है, वह आगे की उम्मीदों पर आयी है। कंपनियों की आय वास्तव में बढऩे में तो समय लगेगा। इसमें शायद साल भर लग जाये। लेकिन उम्मीदें तो रातों-रात बन जाती हैं। बाजार के लिए चुनाव सबसे बड़ी उम्मीद थे। वहाँ लोगों को उम्मीदों से कहीं ज्यादा मिल गया। लोग एनडीए के लिए 272 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रहे थे, जबकि अकेले भाजपा ने 272 से ज्यादा सीटें जुटा लीं।
बाजार के लिए अगली उम्मीद बजट से है। अभी दुनिया भर की अटकलबाजियाँ होंगी। कभी करों की दरें घटने की अटकलें, तो कभी सब्सिडी कम होने की अटकलें। इन उम्मीदों के दम पर बाजार कुछ आगे चढ़ेगा। यह कहानी अभी चलेगी। अगले छह-आठ महीनों में आप देखेंगे कि महँगाई घटने लगी है, निवेश-चक्र तेज होने लगा है, परियोजनाओं को मंजूरी मिल गयी है। इन सब चीजों से बाजार की चाल बनी रहेगी। इन सबके बाद आखिरकार कंपनियों, निवेशकों और उपभोक्ताओं को इसे आगे ले जाना होगा।
ऐसा लगता है कि बाजार यहाँ से सकारात्मक ही रहेगा, लेकिन दो-चार महीनों के उतार-चढ़ाव को समझना बहुत मुश्किल है। लेकिन अगर आप इस सरकार की समीक्षा करने के लिए कम-से-कम एक साल का समय दें, तो निफ्टी 8000 पर जा सकता है। ऐसा नहीं होने पर मुझे निराशा होगी।
इस समय शेयर बाजार में गिरावट की संभावना सीमित है, जबकि तेजी की उम्मीदें काफी बड़ी हैं। अगर कहीं मानसून कमजोर रहा या तेल के दाम बढ़ गये तो थोड़ा उतार-चढ़ाव आ सकता है। लेकिन अगले पाँच वर्षों के चक्र में अगर गिरावट की आशंका 10% तक की होगी तो बढ़त की संभावना 100% या इससे भी अधिक हो सकती है। बढ़त 200% हो जायेगी या 300% हो जायेगी, यह बहुत सारी बातों का संयोग बनने पर निर्भर है। जैसे कि सरकार कितने ठीक तरह से काम करती है, विपक्ष का रवैया कैसा रहता है, तेल के दाम कैसे रहते हैं। लेकिन मैं सोचता हूँ कि निवेश करने के लिए यह अच्छा समय है।
सेंसेक्स के लिए अगर मैं अगले बड़े लक्ष्य की बात करूँ तो वह लक्ष्य 50,000 का है। अगर अगले पाँच साल में सेंसेक्स 50,000 पर पहुँचे, तब तो आपका पैसा दोगुना होगा! अगर मोदी सरकार के पाँच साल में सूचकांक दोगुना नहीं हो सके तो कैसे कहेंगे कि यह कई सालों की तेजी का दौर है? इसलिए कम-से-कम उतना तो होना ही चाहिए।
(निवेश मंथन, जून 2014)