निपुण मेहता, संस्थापक और सीईओ, ब्लू ओशन कैपिटल ऐडवाइजर्स :
चुनावी नतीजों के बाद बाजार की चाल पूरी तरह इस पर निर्भर है कि एनडीए को कितनी सीटें मिलती हैं।
यह देखा जायेगा कि एनडीए की सीटें केवल 200 के आसपास रहती हैं, या 240 तक रहती हैं या 270 के ऊपर जाती हैं। इसलिए 12 मई से 16 मई के दौरान बाजार में काफी उठापटक हो सकती है।
जैसे ही एक्जिट पोल के नतीजे आने शुरू होंगे, वैसे ही अधिकतम उतार-चढ़ाव शुरू हो सकता है। 16 मई को सुबह से ही नतीजों के रुझान आने शुरू हो जायेंगे और मुझे लगता है कि उस दिन कम-से-कम 5% का उतार-चढ़ाव होगा। निफ्टी 300 अंक ऊपर-नीचे हो सकता है। एनडीए 200 के नीचे रह जाने पर बाजार एक बार नीचे टूटेगा। उसी दिन 8-10% की गिरावट आ सकती है। तब सवालिया निशान लग जायेगा कि एनडीए की सरकार बनेगी या नहीं, और मोदी के साथ बनेगी या उनके बिना। यह भी सवाल उठेगा कि क्या तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी?
अभी बाजार में जो तेजी है, वह एनडीए सरकार और मोदी की सरकार के लिए है। कम सीटों के साथ अगर मोदी की सरकार बनी भी तो वह समझौते की सरकार होगी। वैसी हालत में बाजार में बहुत उत्साह नहीं पैदा होगा। अगर एनडीए की 240 के आसपास सीटें आ जायें तो शायद उसे बाहर से ज्यादा समर्थन लेने की जरूरत नहीं पड़े। अगर केवल 30-35 सीटों की जरूरत बाकी रहे तो छोटे दल और निर्दलीय सांसद समर्थन दे देंगे। उन्हें किसी बड़े दल के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एनडीए सरकार बनने की संभावनाओं को बाजार में काफी हद तक भुना लिया है। अक्सर हम देखते भी हैं कि लोग अटकलों पर खरीदारी करते हैं और वह खबर आ जाने पर बिकवाली। इसलिए जब खबर आ जायेगी तो उसके बाद बिकवाली शुरू होगी ही। लेकिन एक बार तो सकारात्मक खबर के असर से उछाल आयेगी। उस उछाल पर बहुत से बड़े संस्थागत निवेशक अच्छी-खासी बिकवाली कर सकते हैं।
हालाँकि अगर एनडीए को 300 से भी ज्यादा सीटें आ गयीं तो बाजार में आगे और भी तेजी की गुंजाइश बन सकती है। मगर 240-280 के आसपास तक ही अगर सीटें आयीं तो ज्यादा-से-ज्यादा 5% तक की उछाल आयेगी। उस शुरुआती उछाल के बाद फिर बिकवाली आ जायेगी, क्योंकि तब बुनियादी बातें बाजार पर चोट करने लगेंगी।
निफ्टी के लिए नतीजों के दिन और उसके अगले कुछ दिनों में 7,500 से ऊपर जाना मुश्किल होगा। हालाँकि अगले एक साल में क्या होगा, उसका कोई भरोसा नहीं है। चुनावों के बाद बाजार आगे की घोषणाओं पर नजर रखेगा, देखेगा कि सुधार कितनी जल्दी हो रहे हैं, हो भी रहे हैं या नहीं।
अगर सक्रिय ढंग से तेजी से कदम उठाये गये तो बाजार और भी तेजी से चलेगा। लेकिन अगर नयी सरकार सक्रिय नहीं दिखी तो बाजार धीमा हो जायेगा। बाजार की नजर रहेगी कि नयी सरकार जीएसटी, डीटीसी, बुनियादी ढाँचा की अटकी हुई बड़ी परियोजनाओं की मंजूरी वगैरह पर किस तरह आगे बढ़ती है और अन्य सुधारों को कैसे आगे बढ़ाती है।
(निवेश मंथन, मई 2014)