तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सौदे करने वाले कारोबारी हमेशा एक लक्ष्य तय करके चलते हैं। यह लक्ष्य कई बार कोई पिछला शिखर होता है।
लेकिन जब किसी शेयर या सूचकांक का भाव अपने उच्चतम स्तरों पर हो तो ऐसा कोई लक्ष्य नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में छोटी-बड़ी हर अवधि के मूविंग एवरेज भी भाव से नीचे ही होंगे। यानी चार्ट पर मौजूदा भाव से ऊपर कुछ दिखायी नहीं देता, सिवाय बस खुले आसमान के।
ऐसी स्थिति में तकनीकी लक्ष्य कैसे तय किये जायें? स्किलट्रैक के तकनीकी विश्लेषक सुनील मिंगलानी बताते हैं कि यह चार्ट की स्थिति पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से दो तरीके बनते हैं, एक तो दायरा टूटने के आधार पर और दूसरे, फिबोनाची स्तरों से विस्तार (एक्सटेंशन) निकाल कर।
कैलाशपूजा इन्वेस्टमेंट्स के तकनीकी विश्लेषक प्रदीप सुरेका बताते हैं कि आप पिछले शिखर और तलहटी से बनने वाले दायरे के आधार पर लक्ष्य तय कर सकते हैं। वह दायरा टूटने के बाद ब्रेकआउट यानी नयी चाल बनने पर वह शेयर या सूचकांक उस दायरे के बराबर ही ऊपर जा सकता है। मिसाल के तौर पर अभी निफ्टी ने हाल में 6415 का शिखर बनाया था, जिसके बाद 5933 की तलहटी बनी। यह 482 अंकों का दायरा बना। जब निफ्टी 6415 के ऊपर निकल गया तो इसमें 482 अंक जोड़ लें, इससे 6415 + 482 यानी 6897 का लक्ष्य बनता है।
सुरेका कहते हैं कि अगर इतने बड़े दायरे के हिसाब से कारोबार नहीं करना हो तो इससे छोटा दायरा ले लें। इस तरह हाल के दायरे के आधार पर आप ऊपरी लक्ष्य तय कर सकते हैं।
फिबोनाची स्तरों के इस्तेमाल के बारे में सुरेका बताते हैं कि अगर किसी गिरावट की 100% वापसी पूरी हो जाती है, तो उसके बाद वह और आगे 61.8% तक की बढ़त हासिल कर सकता है। यह एक सामान्य सा नियम है। इसके अलावा भी और कई तरीके हो सकते हैं, जो विश्लेषक की समझ और पसंद पर निर्भर करता है।
मिंगलानी फिबोनाची स्तरों के आधार पर पिछली चाल के विस्तार को समझाने के लिए निफ्टी का उदाहरण देते हैं कि अगस्त में इसने 5119 की तलहटी बनाने के बाद सितंबर में 6142 का शिखर बनाया। इसके बाद जो गिरावट आयी और निफ्टी ने 5701 पर तलहटी बनायी, उसके आगे का लक्ष्य विस्तार से देखा जाता है। इसमें पहला लक्ष्य 61.8% के स्तर पर बनता है, जो इस चार्ट में लगभग 6,335 पर है (देखें चार्ट 1)। इसके बाद दूसरा लक्ष्य आता है 6,727 का। भाव बिल्कुल उस लक्ष्य तक ही जाये यह जरूरी नहीं है। यह उससे थोड़ा नीचे ही रुक जाये या कुछ और ऊपर चला जाये, तो भी यही माना जाता है कि उसने वह लक्ष्य पा लिया है।
मिंगलानी निफ्टी के ही चार्ट पर अगला उदाहरण देते हैं कि आगे चल कर निफ्टी ने 6,415 पर शिखर बनाया और उसके बाद 5935 के पास की तलहटी बनायी। इसके विस्तार में पहला लक्ष्य 61.8% के स्तर 6,740 का बनता है (चार्ट 2)। यह लक्ष्य निफ्टी ने पा लिया है। अगर यह इसके और ऊपर जाये तो उसके बाद दूसरा लक्ष्य १००% के पास लगभग 723५ का बनता है। वे कहते हैं कि 61.8% का स्तर पार होने पर 100% एक स्पष्ट लक्ष्य बनता है और वहाँ तक जाने की काफी संभावना बन जाती है। हालाँकि मिंगलानी के मुताबिक फिबोनाची विस्तार देखते समय इस बात पर भी गौर करना पड़ता है कि इससे पहले की तरंगें (वेव) कैसी बनी हैं।
सुरेका यह भी सलाह देते हैं कि जब तक भाव उच्चतम स्तरों के आसपास है, तब तक कहीं बाधा या लक्ष्य देखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जब तक नीचे के अच्छे समर्थन स्तर सुरक्षित रहें, तब तक खरीदारी बनाये रखें। जैसे-जैसे बाजार ऊपर चढ़े, वैसे-वैसे आप घाटा काटने के स्तर को भी ऊपर करते रहें और तेजी का मजा लें।
सुरेका मानते हैं कि सहारा देखने के लिए किसी मूविंग एवरेज को चुना जा सकता है या सबसे ताजा तलहटी पर नजर रखी जा सकती है। हालाँकि इकतरफा ढंग से भाव चढ़ रहे हों तो कई बार पिछली तलहटी या काफी नीचे होती है। इसके अलावा पिछले शिखर पर भी एक अच्छा सहारा माना जा सकता है, जैसे इस समय निफ्टी के लिए 6415 के पिछले शिखर को।
एक आम प्रश्न है कि किस मूविंग एवरेज को चुना जाये? सुरेका कहते हैं कि छोटी अवधि के लिए कोई 5 दिनों के औसत को भी ले सकता है और कोई 21 दिनों के औसत को भी। यह इस पर निर्भर करता है कि कारोबारी में कितना धैर्य है और जोखिम लेने की क्षमता कितनी है। एकदम छोटी अवधि के लिए 10 दिनों के औसत को लिया जा सकता है। कुछ और ज्यादा समय के लिहाज से देखना हो तो 20 दिनों के औसत को लिया जा सकता है। आगे वे बताते हैं कि मैं 21 दिनों के ईएमए पर ज्यादा ध्यान देता हूँ, क्योंकि 21 एक फिबोनाची संख्या है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2014)