शिव श्रीवास्तव, एमडी, आईगुरु रिसर्च :
पिछले दिनों सोने की कीमत में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।
लूनर नव-वर्ष खत्म होने के बाद एक तरफ जहाँ चीन से कुछ माँग देखने को मिली। वहीं रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की खबर से सोने को और सहारा मिला, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसने 1,350 डॉलर प्रति औंस का स्तर तोड़ा। वहीं भारतीय बाजार में रुपये की मजबूती के बावजूद इसने 30,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार किया।
लेकिन जैसे ही रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम होने की खबर आयी, इसमें दोबारा गिरावट देखने को मिली। अब आने वाले समय में इसकी दिशा कैसी रहेगी और क्या अभी सोने में निवेश का सही समय है?
वर्ष 2014 की शुरुआत से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार की उम्मीद दिख रही है, हालाँकि चीन के आँकड़े अभी उम्मीद से कमजोर आ रहे हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार इस बात से भी दिखता है कि फेडरल रिजर्व की नयी अध्यक्षा जैनेट येलेन ने बॉण्ड खरीद कार्यक्रम में भविष्य में और कटौती करने के संकेत दिये हैं। अगर कटौती की राशि बढ़ायी गयी तो सोने में और दबाव देखने को मिलेगा।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण अमेरिकी डॉलर में स्थिरता और मजबूती देखने को मिल रही है। अमेरिकी डॉलर में मजबूती भी सोने में ऊपरी स्तरों पर दबाव का काम करेगी।
भारतीय बाजार को देखें तो सरकार ने चालू खाता घाटा (सीएडी) कम करने के लिए आयात शुल्क में जो वृद्धि की गयी थी, उसका असर कुछ हद तक देखने को जरूर मिला है और सोने के आयात में कमी दर्ज की गयी है। हाल में चर्चा थी कि सरकार आयात शुल्क में कुछ रियायत दे सकती है, लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू हो जाने के कारण अब यह घोषणा संभवत: नयी सरकार ही करेगी।
चुनावी माहौल के मद्देनजर सबकी निगाहें चुनाव नतीजों पर टिकी है, लेकिन एक स्थिर और मजबूत सरकार आने की उम्मीद से एक तरफ जहाँ सेंसेक्स और निफ्टी ऐतिहासिक ऊँचाई पर पहुँच गये हैं, वहीं रुपये में भी निरंतर मजबूती दिखायी दे रही है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव स्थिर होने के बावजूद भी भारतीय बाजार में इसमें कमजोरी देखी जा रही है।
अगर चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर भरोसा किया जाये तो लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में विकासोन्मुख सरकार आने के बाद रुपये में और मजबूती देखी जा सकती है। अनुमान है कि एक डॉलर की कीमत 55 रुपये तक आ सकती है, जो सोने के लिए नकारात्मक होगा। लेकिन अस्थिर सरकार बनने की नौबत आने पर रुपये की कमजोरी इसे थोड़ा ऊपर उठा सकती है। मेरा मानना है कि सोने में अभी नया निवेश करने से बचना चाहिए, क्योंकि तमाम आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी आँकड़े आने वाले समय में कमजोरी दर्शाते हैं। भूराजनीतिक तनाव कुछ तेजी जरूर ला सकते हैं, पर उस तेजी को हम स्थायी नहीं मान सकते।
अगर हम महीने भर की बात करें तो चुनावी माहौल में बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच रुपये के उतार-चढ़ाव से इसमें अस्थिरता देखने को मिल सकती है। इसके भाव 29,000 से 30,800 रुपये तक के दायरे में रह सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 1240 डॉलर पर एक महत्वपूर्ण सहारा है। इस स्तर पर एक बार फिर से सोने में खरीदारी देखने को मिल सकती है। भारतीय बाजार में सोने में 27500-28000 एक अहम स्तर होगा, जहाँ पर आप फिर से निवेश कर सकते हैं।
निचले स्तरों पर निवेश और त्योहारी माँग के कारण गहनों की खरीदारी बढऩे से इसके भाव में तेजी देखने को मिल सकती है। अगर बेहतर मानसून से अच्छी फसल हुई तो अक्टूबर से सोने की माँग बढऩे की उम्मीद रहेगी।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)