अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री, दिल्ली
आरोप है कि यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों ने श्री मुकेश अंबानी को गलत तरीके से फायदा पहुँचाने की मंशा से गैस के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया है।
मुकेश अंबानी को वर्ष 2000 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने गैस निकालने के लिए कुछ गैस के कुएँ दिये थे। अंबानी को 17 साल तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से सरकार को गैस देनी थी। लेकिन बाद में समय-समय पर सरकार पर गलत तरीके से दबाव डाल कर मुकेश अंबानी ने गैस के दाम चार डॉलर प्रति यूनिट से भी ज्यातदा करवा लिये। आरोप है कि इन कुओं से गैस निकालने का खर्च मात्र एक डॉलर प्रति यूनिट से भी कम आता है। केंद्र सरकार मुकेश अंबानी को एक डॉलर से भी कम की चीज के चार डॉलर दे रही है। हद तो तब हो गयी, जब केंद्र सरकार ने आदेश पारित कर दिये कि एक अप्रैल 2014 से मुकेश अंबानी को आठ डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से गैस के दाम दिये जायेंगे। अंबानी को इससे सालाना 54,000 करोड़ रुपये का नाजायज फायदा होगा। और ये सारा पैसा हम लोगों की जेब से जायेगा।
एक अप्रैल से सीएनजी की दरें बहुत बढ़ जायेंगी। इससे पूरे देश में यातायात महँगा हो जायेगा। इसी गैस से देश में बिजली का उत्पादन होता है, तो बिजली भी बहुत महँगी हो जायेगी। इसी गैस से खाद बनती है, तो खाने-पीने की सभी चीजें महँगी हो जायेंगी।
लोग यह भी कह रहे हैं कि चुनाव के कुछ महीने पहले ही आखिर गैस के दाम दुगने करने के आदेश क्यों दिये गये? आम आदमी पार्टी सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने इस मामले में मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ने उसका घोर विरोध किया। अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक राहुल गांधी और मोदी मुकेश अंबानी के जहाजों में घूमते हैं। क्या वो जहाज उन्हें मुफ्त में मिलते हैं या वे उनका किराया देते हैं? जनता में ये चर्चा है कि राहुल और मोदी की एक-एक रैली पर कई करोड़ रुपये खर्च होते हैं। ये सारा पैसा किसका है? कुछ लोगों का कहना है कि श्री मुकेश अंबानी उन्हें फंड कर रहे हैं। क्या यह सच है?
नीरा राडिया टेपों में यह निकलकर आया है कि श्री मुकेश अंबानी जी बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि कांग्रेस तो उनकी दुकान है। लोग कहते हैं कि केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की पोस्टिंग में श्री मुकेश अंबानी की दखल-अंदाजी होती है और वास्तव में यूपीए की सरकार तो श्री मुकेश अंबानी जी ही चलाते हैं। क्या यह सच है?
(अरविंद केजरीवाल की ओर से नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को भेजे गये खुले पत्रों के संपादित अंश।)
(निवेश मंथन, मार्च 2014)