पी. के. अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट :
बाजार काफी बढ़ गया है और अब निफ्टी 6500 के पास के इन्हीं स्तरों से नरमी दिखाना शुरू कर सकता है।
इसका एक कारण यह है कि बाजार काफी तीखे ढंग से चढ़ा है और इस तरह की तेजी बाजार में स्थायी नहीं रह सकती। दूसरे, बाजार में इस तेजी का नेतृत्व तुलनात्मक रूप से कमजोर शेयरों ने किया है। जेपी एसोसिएट्स और अंबुजा सीमेंट जैसे शेयर कभी बाजार की बड़ी तेजी का नेतृत्व नहीं करते।
बेशक रिलायंस ने भी एक उछाल दर्ज की है, लेकिन यह शेयर पिछले पाँच साल से बाजार से धीमा चला है। इस शेयर का 800 से 875 पर जाना कोई कमाल नहीं है। रिलायंस को तो बाजार की इस तेजी का नेतृत्व करना चाहिए था। वैसा तब मानते, जब यह 1500 पर होता।
अब बाजार में आगे सवाल यही है कि आने वाली नरमी कितनी गहरी होगी। निफ्टी में गिरावट का पहला पड़ाव 6,250 हो सकता है। उसके बाद देखना होगा कि बाजार कैसी करवट लेता है। अगर बड़ा सहारा देखें तो यह 6,000 पर होगा। इसके बीच में 6,130 एक महत्वपूर्ण स्तर है। लेकिन वह दूर की बात है। वहाँ तक आसानी से नहीं चला जायेगा। अभी 6,250 तक भी बाजार के ऊपर-नीचे होने के लिए काफी जगह है।
इस तेजी में तमाम पीएसयू और निजी बैंक बढ़े हैं। लेकिन आईसीआईसीआई बैंक और पीएनबी के शेयर भाव बढऩे से इनके एनपीए तो सुधरे नहीं है ना! आरबीआई की रिपोर्ट में भी बैंकों के एनपीए की खस्ता हालत का जिक्र किया गया था।
लेकिन बाजार हमेशा ही भविष्य को देख कर चलता है। अगर चुनाव के बाद स्थायी सरकार बनती दिखेगी तो उसका असर मौजूदा भावों में दिखेगा। इसे कोई चाहे तो चुनावों से पहले की तेजी कहे या भविष्य की उम्मीदों को मौजूदा भावों में शामिल करना कह ले। मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने तक बाजार इंतजार नहीं करेगा, तब तक तो कहानी खत्म हो जायेगी!
चुनावों के बाद बाजार कैसा रहेगा, वह तो बाद का सवाल है। अभी महत्वपूर्ण यह है कि चुनावों तक बाजार कैसे चलेगा। बाजार नरमी के दौर में जायेगा, क्योंकि यह अपने बुनियादी स्तर से काफी आगे चला गया है। इस तरह की सीधी खड़ी तेजी स्थायी नहीं रह पाती।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीदों के कारण ही बाजार यहाँ पहुँचा है, वरना बुनियादी स्थितियाँ सुधरी नहीं हैं बल्कि खराब ही हुई हैं। लेकिन अगर बाजार ने मान लिया है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो बाजार से लडऩे की कोई जरूरत नहीं है। मैं बाजार के खिलाफ नहीं चल सकता। विदेशी संस्थागत निवेशकों की इस खरीदारी का मतलब ही यही है वे इस बारे में एकदम आश्वस्त हो गये हैं। लेकिन यदि किसी कारण से ऐसा नहीं हुआ तो यह बाजार के लिए नकारात्मक आश्चर्य होगा और बाजार बुरी तरह टूट जायेगा। पिछली बार जब यूपीए की सरकार बनी थी तो यह बाजार के लिए सकारात्मक आश्चर्य था, जिससे ऊपरी सर्किट लग गया था। अगर नरेंद्र मोदी प्रधानंत्री नहीं बनते हैं तो निचला सर्किट लग जायेगा।
लेकिन इसकी संभावना मेरे हिसाब से कम है। चारों तरफ से जिस तरह से संकेत हैं, वो यही बताते हैं। कांग्रेस बिल्कुल दौड़ में नहीं दिख रही है। आम आदमी पार्टी को अब भी अपना घर ठीक करना है। अब सवाल केवल यह है कि स्पष्ट बहुमत की सरकार आयेगी या जोड़-तोड़ कर बनेगी। लेकिन उसमें बाजार के लिए एकदम से कोई अलग स्थिति नहीं होगी। सीटें थोड़ी ऊपर-नीचे होने पर दो दिन के लिए प्रतिक्रिया हो जाना अलग बात है।
मुझे ऐसा नहीं लगता कि भाजपा की सरकार बनने पर भी मोदी प्रधानमंत्री न बन सकें। अगर भाजपा की 200 सीटें आ गयीं फिर तो बात खत्म। सवाल यही है कि 200 सीटें आयेंगी या नहीं। पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है। भाजपा अगर उन्हें प्रधानमंत्री ना बनाये तो यह आम जनता से धोखा होगा। इसलिए भाजपा की सरकार बनने पर मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे। बाजार केवल इसी उम्मीद के चलते इन स्तरों पर है, वरना अभी निफ्टी 6500 पर होने का कोई बुनियादी कारण नहीं था।
अगर बुनियादी मूल्यांकन देखें तो अभी निफ्टी का उचित स्तर लगभग 5800-6,000 के दायरे में है, जहाँ इसने कई बार सहारा लिया था। जब तमाम बुरी खबरें बाजार के भावों में शामिल हो गयीं, पता चल गया कि बैंकिंग क्षेत्र की हालत खराब है, जीडीपी कमजोर है, महँगाई दर काफी ऊपर है, ब्याज दरें कम नहीं हो रहीं, तो इन सारी खबरों के आने के बाद भी अगर निफ्टी 5900-6000 के ऊपर सहारा लेता रहा है तो हम कहेंगे कि वही इसका तार्किक भाव है।
फिलहाल बाजार के ऊपर-नीचे जाने से पोर्टफोलिओ सँभालने की हमारी रणनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जहाँ हमें प्रतिशत में बड़ा मुनाफा दिखेगा, वहाँ मुनाफा ले सकते हैं, लेकिन मोटे तौर पर हम निवेशित रहेंगे। अपने मुख्य पोर्टफोलियो को हम नहीं छेड़ते हैं। लेकिन बाजार में नरमी शुरू हो जाने पर हम कारोबारी पोर्टफोलिओ के शेयरों में मुनाफा लेकर सौदों से निकल जायेंगे। मँझोले शेयरों में 25-40% मुनाफा मिलने पर मैं उनमें से निकल जाऊँगा, चाहे निफ्टी 6500 पर हो या 6700 पर।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)