अक्टूबर-दिसंबर 2013 यानी कारोबारी साल 2013-14 की तीसरी तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन बाजार विश्लेषकों की उम्मीदों से कहीं बेहतर साबित हुआ है।
सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मुनाफा बढऩे की रफ्तार पिछली सात तिमाहियों में से सबसे अच्छी रही है।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज (एमओएसएल) ने इन तिमाही नतीजों की समीक्षा रिपोर्ट में बताया है कि तीसरी तिमाही में समीक्षा में शामिल कंपनियों का कुल मुनाफा साल-दर-साल 13.3% बढ़ा है, जबकि नतीजों से पहले अनुमान था कि यह वृद्धि 10% होगी। सेंसेक्स कंपनियों का तिमाही मुनाफा साल-दर-साल 20% बढ़ा है, जबकि यह दर 2013-14 की पहली तिमाही में -4% और दूसरी तिमाही में 11% थी।
निफ्टी में शामिल शेयरों का मुनाफा 14% बढ़ा है। यह भी बीती छह तिमाहियों की सबसे तेज वृद्धि है। निफ्टी में शामिल 50 में से 20 कंपनियों ने बीती तिमाही में अनुमानों से अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि 14 कंपनियों का प्रदर्शन अनुमानों से कमजोर रहा। इस प्रदर्शन को देखते हुए एमओएसएल ने निफ्टी की 50 में से 28 कंपनियों की 2014-15 की अनुमानित प्रति शेयर आय (ईपीएस) को बढ़ाया है। इसने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसकी समीक्षा में शामिल कंपनियों की सकल बिक्री में 13% वृद्धि हुई है, जो उसके अनुमानों के मुताबिक ही है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में बताया है सेंसेक्स की 30 में से 24 कंपनियों (बैंक, एनबीएफसी और सेसा स्टरलाइट को छोड़ कर) का मुनाफा अक्टूबर-दिसंबर 2013 के दौरान पिछले साल की समान अवधि से 28.3% ज्यादा रहा है। अगर ठीक पिछली तिमाही, यानी 2013-14 की दूसरी तिमाही से तुलना करें तो सेंसेक्स कंपनियों का इस बार का मुनाफा 14.4% ज्यादा है।
इनके कामकाजी लाभ मार्जिन (ओपीएम) पर नजर डालें तो यह बीती तिमाही में 18.1% है। यह अक्टूबर-दिसंबर 2012 के 16.8% की तुलना में 1.26% अंक ज्यादा और जुलाई-सितंबर 2013 के 17.2% की तुलना में 0.90% अंक ज्यादा है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक सेंसेक्स कंपनियों की ईपीएस 2013-14 की तीसरी तिमाही में 358 रुपये रही है। यह सेंसेक्स कंपनियों की अब तक की सबसे ऊँची ईपीएस है। इसमें साल-दर-साल 24.7% और तिमाही-दर-तिमाही 11.1% बढ़ोतरी हुई है।
एमओएसएल ने अब अपने सेंसेक्स ईपीएस अनुमानों को साल 2013-14 के लिए 0.7% और 2014-15 के लिए 1.6% बढ़ा दिया है। अगर 2013-14 में 1326 रुपये की ईपीएस का अनुमान सही रहा तो इसमें 2012-13 में हासिल 1185 रुपये की ईपीएस से 11.9% की वृद्धि होगी।
केवल एक तिमाही के दौरान ही एमओएसएल ने अपने ईपीएस अनुमानों को दूसरी बार बढ़ाया है। अब इसका कहना है कि 2014-15 में सेंसेक्स ईपीएस 1542 रुपये रहेगी, जो 2013-14 में अनुमानित 1326 रुपये की ईपीएस से 16% ज्यादा होगी।
इसके अगले साल 2015-16 के सेंसेक्स ईपीएस अनुमान को भी 1.5% बढ़ा कर 1792 रुपये कर दिया गया है, जो 2014-15 से 16.2% बढ़ोतरी दिखाता है।
सबसे ज्यादा चौंकाया टाटा मोटर्स ने
इस तिमाही में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले शेयरों पर नजर डालें तो दिग्गज शेयरों में टाटा मोटर्स का मुनाफा अनुमानों की तुलना में सबसे ज्यादा ऊपर रहा। एमओएसएल रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी तिमाही में इसका मुनाफा साल-दर-साल 89% बढऩे का अनुमान था, जबकि वास्तव में यह 183% बढ़ कर 49 अरब रुपये हो गया। अनुमानों की तुलना में इसका मुनाफा 50% ज्यादा रहा।
अंबुजा सीमेंट, बीएचईएल, एसीसी, डॉ. रेड्डीज लैब, ओएनजीसी, एनटीपीसी, इंडसइंड बैंक, ल्युपिन और मारुति सुजुकी कुछ अन्य प्रमुख नाम हैं, जिनके नतीजे बाजार को सकारात्मक ढंग से चौंकाने में सफल रहे।
दूसरी ओर हिंडाल्को, सिप्ला, यूनाइटेड स्पिरिट्स, गोदरेज कंज्यूमर जैसी बड़ी कंपनियों ने बाजार को निराश किया। एमओएसएल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हिंडाल्को का तिमाही मुनाफा अनुमानों की तुलना में 35% पीछे रह गया। सिप्ला का मुनाफा भी अनुमानों से 21% कम रहा।
छोटी-मँझोली कंपनियों पर नजर डालें तो टोरंट फार्मा, डिविस लैब, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, ग्लेनमार्क फार्मा, मैरिको वगैरह ने उम्मीदों से बेहतर नतीजे सामने रखे। वहीं एक्साइड, पीवीआर, एमऐंडएम फाइनेंशियल, जेएसडब्लू एनर्जी, ओबेरॉय रियल्टी ने अनुमानो से फीका प्रदर्शन किया। जहाँ एक्साइड ने मुनाफा 20% बढऩे के अनुमान के बदले 26% की गिरावट दिखायी, वहीं पीवीआर अनुमानों के मुताबिक तेज बढ़त नहीं दिखा सकी। अनुमान था कि पीवीआर का मुनाफा 146% बढ़ेगा, लेकिन वास्तव में इसकी वृद्धि दर 58% ही रही।
एनपीए से बेहाल बैंक
बीती तिमाही में सरकारी बैंक और निजी बैंक, दोनों श्रेणियों में डूबे कर्जों (एनपीए) की मात्रा खतरनाक ढंग से बढ़ी है। बैंकिंग क्षेत्र का सकल एनपीए लगभग 14,000 करोड़ रुपये बढ़ कर ढाई लाख करोड़ रुपये हो गया। बैंकों ने पुराने डूबे कर्जों को बट्टे खाते में डालने, उनकी श्रेणी में सुधार और एआरसी को उनकी बिक्री जैसे तरीकों से सकल एनपीए घटाने का प्रयास किया, लेकिन नये डूबे कर्जों की मात्रा पिछली तिमाहियों जैसी ही रहने के कारण शुद्ध एनपीए में फिर से वृद्धि देखी गयी। जहाँ सरकारी बैंकों का शुद्ध एनपीए 52% बढ़ा है, वहीं निजी बैंकों के शुद्ध एनपीए में भी 48% वृद्धि दर्ज की गयी है।
बैंकिंग व्यवस्था में नकदी कम होने का असर शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) पर असर पड़ा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ज्यादातर बैंकों की एनआईआई अनुमानों से कम रही। सरकारी बैंकों की एनआईआई साल-दर-साल केवल 9.7% बढ़ सकी, जो दूसरी तिमाही के 10.2% से कम है। हालाँकि पिछले कारोबारी साल की तीसरी तिमाही (4.9%) और चौथी तिमाही (2.7%) के मुकाबले तो बीती दो तिमाहियाँ बेहतर नजर आती हैं। दूसरी ओर निजी बैंकों के एनआईआई में बीती तिमाही में 16.5% की वृद्धि रही। यह दर सरकारी बैंकों की तुलना में तो अच्छी लगती है, लेकिन पिछली चार तिमाहियों की तुलना में यह उनकी सबसे धीमी वृद्धि है।
मुनाफे के मामले में भी सरकारी बैंकों का बड़ा बुरा हाल है। सरकारी बैंकों का कुल तिमाही मुनाफा साल-दर-साल 43.7% घट गया। पिछली तिमाही में भी इनका मुनाफा घट कर लगभग आधा रह गया था। दबाव निजी बैंकों के मुनाफे पर भी पड़ा है। तीसरी तिमाही में उनका कुल मुनाफा केवल 14.5% बढ़ पाया, जो पिछली चारों तिमाहियों से कमजोर है।
दुख भरे दिन बीते क्या?
तीसरी तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों का मुनाफा 20% बढऩे के आधार पर तुरंत यह नतीजा नहीं निकाल लेना चाहिए कि फिर से तेज वृद्धि का दौर लौट आया है। लेकिन इतना जरूर है कि स्थिति पहले जैसी बुरी भी नहीं लग रही है। साल 2013-14 की चौथी तिमाही के लिए एमओएसएल ने सेंसेक्स ईपीएस में 12% वृद्धि का अनुमान जताया है।
अगले साल बिक्री धीमी हो सकती है, लेकिन मुनाफा ठीक-ठाक बढ़ सकता है। एमओएसएल का आकलन है कि जहाँ 2013-14 में सेंसेक्स की 30 कंपनियों की सालाना बिक्री 13% बढ़ेगी, वहीं अगले साल वृद्धि दर फिर से घट कर 10% हो जायेगी। लेकिन इसकी तुलना में सालाना मुनाफा बढऩे की दर 2013-14 में 15% और अगले साल 16% रहने की उम्मीद है।
इसी तरह निफ्टी कंपनियों की बिक्री जहाँ चालू कारबारी साल में 14% बढऩे की उम्मीद है, वहीं अगले साल 2014-15 में यह वृद्धि दर घट कर 9% हो जाने की संभावना है। निफ्टी कंपनियों का सालाना मुनाफा 2013-14 में 13% और 2014-15 में 15% बढ़ सकता है।
इससे यह समझा जा सकता है कि 2014-15 में भी कंपनियों का जोर कामकाजी प्रदर्शन सुधारने पर रहेगा। बिक्री ज्यादा तेजी से नहीं बढ़ पाने की स्थिति में वे मार्जिन सुधारने के लिए खर्चों पर नियंत्रण की रणनीति अपनायेंगी, जैसा 2013-14 की तीसरी तिमाही में भी होता दिखा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने बताया है कि तीसरी तिमाही में कामकाजी प्रदर्शन में सुधार की बदौलत ही सेंसेक्स कंपनियों का कामकाजी मार्जिन साल-दर-साल 1.30% अंक और तिमाही-दर-तिमाही 0.90% अंक सुधर कर 18.1% रहा।
एमओएसएल के मुताबिक सेंसेक्स की कंपनियों में चौथी तिमाही में भारती एयरटेल की ईपीएस में 129% की जोरदार वृद्धि होगी। एक तो पिछली बार के काफी कमजोर आँकड़ों (लो बेस) के चलते इस बार प्रतिशत वृद्धि अच्छी रहेगी, साथ ही घरेलू कारोबार में सुधार का भी इसे फायदा मिलेगा। इसके अलावा गेल (121%), टाटा पावर (59%), सेसा स्टरलाइट (50%), टीसीएस (44%), विप्रो (35%) और एचडीएफसी बैंक (25%) कुछ अन्य प्रमुख नाम हैं, जो चौथी तिमाही में अपनी ईपीएस में काफी अच्छी वृद्धि दर्ज कर सकते हैं।
दूसरी ओर बीएचईएल के ईपीएस में चौथी तिमाही में 46% की बड़ी गिरावट आ सकती है। मारुति सुजुकी (-29%), हिंडाल्को (-16%), एमऐंडएम (-9%), एसबीआई (-9%) और हीरो मोटोकॉर्प (-5%) की ईपीएस भी घटने की आशंका है।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)