सुभाष लखोटिया, कर और निवेश सलाहकार :
आय-कर बचाने के लिए बहुत सारे लोग गैरकानूनी तरीकों का सहारा लेते हैं।
यह बिल्कुल गलत और अवांछनीय है क्योंकि बहुत से ऐसे कानूनी तरीके उपलब्ध हैं जिनकी मदद से आय-कर बचाया जा सकता है। ऐसा ही एक तरीका है हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के नाम पर टैक्स इंटिटी का निर्माण, जो आय-कर अधिनियम के तहत मान्य है। इसे बनाना काफी आसान है। एक नया एचयूएफ बनाने के लिए अपने पिता या अपनी माता या अपने सास-ससुर या अपने मित्रों या रिश्तेदारों से एचयूएफ के नाम पर सबसे पहले कोई उपहार हासिल करना होता है। उपहार प्राप्त हो जाने के बाद आपको एचयूएफ के नाम पर बैंक में खाता खोलना होता है। उसके बाद आप एचयूएफ की गतिविधियाँ आरंभ कर सकते हैं। एचयूएफ के जरिये कारोबार किया जा सकता है। इसके अलावा एचयूएफ किसी साझेदारी फर्म में साझेदार भी बन सकता है। यही नहीं, एचयूएफ के जरिये शेयर बाजार या म्यूचुअल फंडों में भी निवेश किया जा सकता है। लेकिन जरूरी है कि आप फार्म संख्या 49ए भर कर एचयूएफ के नाम पर एक स्थायी खाता संख्या (पैन) हासिल कर लें।
एचयूएफ को आय-कर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत कटौती (टैक्स-डिडक्शन) हासिल होती है। इसके लिए एचयूएफ अपने सदस्यों के जीवन बीमा योजनाओं के प्रीमियम अदा कर सकता है। इन दिनों बैंक एचयूएफ के नाम पर पीपीएफ खाता खोलने की इजाजत नहीं देते, लेकिन परिवार के सदस्यों के पीपीएफ खातों में योगदान कर के भी एचयूएफ द्वारा धारा 80सी के तहत कटौती हासिल की जा सकती है।
एचयूएफ स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम देकर धारा 80डी के तहत कटौती भी हासिल कर सकता है। इसके तहत अधिकतम कटौती 15,000 रुपये हो सकती है। लेकिन यदि एचयूएफ यह अदायगी उस सदस्य के लिए करे जो वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिजन) हो तो इस मद में 20,000 रुपये तक की कटौती मिल सकती है।
परिवार के किसी अक्षम (डिसेबल्ड) और निर्भर सदस्य की चिकित्सकीय देख-रेख के मद में एचयूएफ को धारा 80डीडी के तहत 50,000 रुपये की कटौती मिल सकती है। यदि वह व्यक्ति गंभीर अक्षमता का शिकार हो तो कटौती की यह राशि बढ़ कर एक लाख रुपये हो सकती है। यदि एचयूएफ द्वारा किसी ऐसी बीमारी या बीमारियों के इलाज पर खर्च किया जाता है, जिनका उल्लेख आय-कर अधिनियम में है, तो ऐसी स्थिति में धारा 80डीडीबी के तहत इस मद में अधिकतम 40,000 रुपये की कटौती की अनुमति है। हालाँकि, यदि यह खर्च वरिष्ठ नागरिक के इलाज पर किया जाये तो यह राशि बढ़ कर 60,000 रुपये हो जाती है। एचयूएफ किसी मान्यता प्राप्त चैरिटी ट्रस्ट या संस्था को दान दे कर धारा 80जी के तहत कटौती का दावा भी कर सकता है।
म्यूचुअल फंडों, शेयरों या लाभांश से एचयूएफ की आमदनी पर आय-कर से पूरी छूट मिलती है। इसी तरह सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर एचयूएफ को होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन पर भी पूरी तरह से छूट हासिल होती है। एचयूएफ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन से होने वाली आमदनी पर लगने वाले कर की दर तुलनात्मक रूप से कम होती है और इस पर 15% की दर से कर लगता है।
एचयूएफ के नाम पर टैक्स इंटिटी बनाने के बाद आप कर्ज ले कर इसके नाम से आवासीय संपत्ति खरीद सकते हैं। एचयूएफ द्वारा आवास-ऋण के ब्याज की अदायगी पर अधिकतम कटौती 1.50 लाख रुपये होती है। लेकिन यदि एचयूएफ अपनी संपत्ति किसी को किराये पर देता है तो किराये से होने वाली आमदनी में से उस संपत्ति पर लिये गये आवास-ऋण पर अदा किये गये ब्याज की पूरी राशि की कटौती हासिल हो सकती है।
कोई आवासीय संपत्ति एचयूएफ और एचयूएफ के किसी सदस्य द्वारा संयुक्त रूप से खरीदी जा सकती है। ऐसी स्थिति में भी एचयूएफ को इस कर्ज के ब्याज भुगतान पर अधिकतम 1.50 लाख रुपये की कटौती हासिल होगी। साथ ही एचयूएफ के सदस्य भी आवास-ऋण के ब्याज की अदायगी पर हर साल अधिकतम 1.50 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं।
यदि आप एक वेतनभोगी कर्मचारी हैं और आपको वहाँ से घर का किराया मिलता है और यदि उस आवास का मालिकाना आपके एचयूएफ के पास है तो यह मुमकिन है कि आप एचयूएफ को किराये की अदायगी करें, उससे किराये की रसीद ले कर नियोक्ता के पास जमा कर दें। ऐसा करने से आपको अपने नियोक्ता से हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) की राशि पर कटौती मिल जायेगी। इस तरह उन सभी लोगों, जिन्हें नियोक्ता से एचआरए मिलता है, के लिए यह बेहतर होगा कि वे एचयूएफ को किराया अदा करें और वेतन आय से कटौती का दावा करें। किराये की रसीद और एचयूएफ के पैन कार्ड की प्रति एक साथ जमा कर के वे ऐसा कर सकते हैं।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)