अपनी कर योजना बनाने के लिए सबसे पहले तो अपनी कुल आमदनी का हिसाब लगायें।
इसमें हर तरह की आमदनी जोड़ें, जैसे वेतन-भत्तों, अपने किसी मकान से किराया, कोई कारोबार हो तो उससे मिला लाभ, पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) और अन्य स्रोतों से आय, जैसे बैंक से ब्याज वगैरह।
फिर इसमें वैसी आमदनी हटा दें, जिस पर आय कर नहीं लगता। वेतन-भत्तों में से मकान किराया भत्तों (एचआरए), परिवहन (कन्वेयेंस) भत्ता, बच्चों की शिक्षा का भत्तों, टेलीफोन भत्तों, छुट्टी यात्रा भत्ता (एलटीए), इलाज खर्च का भत्ता (मेडिकल रीइंबर्समेंट) जैसी चीजें घटा दी जाती हैं। इन सभी मदों में मिलने वाली छूट की अपनी-अपनी सीमाएँ हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
अगर मकान के किराये से कोई आमदनी है तो उसमें से संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैस) को घटा दिया जाता है। संपत्ति कर घटाने के बाद बची रकम का 30% काट दिया जाता है। अगर उस मकान पर कर्ज (हाउसिंग लोन) लिया गया है तो उस पर दिया गया पूरा ब्याज अब इस बाकी बची आमदनी से कट जायेगा।
क्या-क्या जुड़ता है आपकी कर योग्य आमदनी में
अक्सर वेतनभोगी कर्मचारी अपने आय कर रिटर्न में केवल वेतन- भत्तों से होने वाली आमदनी दिखा कर छोड़ देते हैं। इसी तरह अन्य व्यवसायों से कमाने वाले लोग भी कई मदों को कर योग्य आय में जोडऩा भूल जाते हैं, या फिर जानबूझ कर छोड़ देते हैं। लेकिन अब आय कर विभाग के पास सूचनाओं के काफी स्रोत हैं और जानबूझ कर, लापरवाही के चलते या जानकारी न होने के चलते कोई आमदनी रिटर्न में नहीं दिखाना बाद में परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए बेहतर है कि रिटर्न में वेतन-भत्तों से आमदनी और किसी व्यवसाय या पेशे से हुई आमदनी के अलावा किसी मकान से आमदनी, पूँजीगत लाभ (कैपिटल गेन) और अन्य स्रोतों से आमदनी जैसे बैंक या अन्य जमाओं पर मिला ब्याज, शेयर बाजार में हुआ मुनाफा वगैरह भी जोड़ा जाये।
वह आमदनी जो है कर-मुक्त
कई स्रोतों से होने वाली आमदनी पर आपको आय कर नहीं देना होता। इस श्रेणी में पीपीएफ, ईपीएफ, डाक घर में खोले गये बचत खाते और विशेष कर-बचत बॉण्डों पर मिला ब्याज, शेयरों और म्यूचुअल फंड यूनिटों को बेचने पर लंबी अवधि का पूँजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैटिपल गेन) और कृषि से हुई आमदनी वगैरह शामिल हैं। नजदीकी संबंधियों से मिले उपहार और विरासत में मिली संपत्ति को भी आपकी कर योग्य आय में नहीं जोड़ा जाता। लेकिन यह खुद आपके हित में है कि आप इन सभी स्रोतों से होने वाली आय का विवरण अपने रिटर्न में दिखायें।
कर बचत के तरीके
अभी सालाना दो लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त है। इससे अधिक आमदनी पर आय कर लगता है, लेकिन इसमें से कर-मुक्त स्रोतों से आमदनी और कई तरह के निवेशों और खर्च पर कर छूट को घटाने के बाद वास्तविक कर-योग्य आय का पता चलता है।
किसी वेतनभोगी कर्मचारी के लिए एचआरए कर बचाने का एक बड़ा जरिया है। असर यह उनके मूल वेतन (बेसिक सैलरी) का 40% तक होता है। कर्मचारियों को कंपनी की ओर से मिलने वाला मासिक परिवहन भत्तों (कन्वेयेंस या ट्रांसपोर्ट एलाउएंस) 800 रुपये प्रति माह तक कर मुक्त है। कंपनी अगर कर्मचारी और उसके निकट संबंधियों के इलाज पर खर्च का भुगतान (मेडिकल रीइंबर्समेंट) करती है तो सालाना 15,000 रुपये तक का भुगतान कर मुत है। इसके अलावा हर दो साल में एक बार छुट्टी यात्रा भत्तों (एलटीए) का फायदा उठाया जा सकता है। इसमें कर छूट यात्रा पर किये गये वास्तविक खर्च के आधार पर मिलती है। यह ध्यान रखें कि होटल में रुकने, खाने-पीने वगैरह का खर्च इसमें नहीं जोड़ा जा सकता। बच्चों की शिक्षा के लिए अगर कंपनी की ओर से छात्रवृति (स्कॉलरशिप) मिलती हो तो यह हर बच्चे के लिए सालाना 1,200 रुपये तक कर मुक्त है।
इसके बाद आप आय कर कानून की धारा 80सी के तहत एक लाख रुपये तक के निवेश पर कर की छूट पा सकते हैं। वहीं 80डी के तहत आप खुद अपने लिए और अपने परिवार के लिए चिकित्सा बीमा (मेडिक्लेम) ले कर सालाना 15,000 रुपये की कर कटौती का फायदा ले सकते हैं। आप 80डी के तहत स्वास्थ्य जाँच (प्रीवेंटिव चेकअप) पर 5,000 रुपये तक के खर्च पर छूट पा सकते हैं। लेकिन जाँच पर खर्च और मेडिक्लेम पर कुल छूट 15,000 रुपये की सीमा तक ही मिलेगी।
अगर आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और आप उनके लिए चिकित्सा बीमा कराते हैं तो उस पर सालाना 20,000 रुपये तक की अतिरित छूट मिल सकती है। अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं तो उनके मेडिक्लेम पर छूट 15,000 रुपये ही होगी। माता-पिता के स्वास्थ्य जाँच पर 5,000 रुपये तक की छूट अलग से उपलब्ध है।
आवास ऋण (होम लोन) पर 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज भुगतान पर कर में छूट की जानकारी तो आम है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि घर की मरम्मत या नवीनीकरण या पुनर्निर्माण के लिए कर्ज के ब्याज भुगतान पर 30,000 रुपये तक की कटौती हासिल हो सकती है।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)