सुगंधा सचदेव, धातु विश्लेषक, रेलिगेयर कमोडिटीज :
सोने को लेकर अभी जो परिदृश्य बन रहा है, उसमें सबसे अहम बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसने पिछले साल 1,180 डॉलर प्रति औंस के आसपास जो महत्वपूर्ण समर्थन स्तर बनाया था, उसको इसने अभी तक तोड़ा नहीं है।
दरअसल सोने की उत्पादन लागत भी 1,200 डॉलर के आसपास ही बैठती है। जब भी सोना फिसल कर इन स्तरों के पास आता है, हमने इसमें एक वापसी आती हुई देखी है। पहले भी यह बहुत बार हो चुका है। यह अपने आप में काफी अहम है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस बार फिर सोने की कीमत ने वहीं से वापसी की है।
और अगर हम जनवरी के तीसरे हफ्ते में सोने के प्रदर्शन पर नजर डालें तो इसकी कीमत में तेजी आयी है। वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार में गिरावट आने की वजह से ऐसा देखने को मिला। निकट अवधि में सोना एक सीमित दायरे में रह सकता है। अगले एक महीने की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि सोना 1,275 डॉलर के ऊपर बंद होता है तो यह ऊपर की ओर 1,325-1,340 डॉलर तक जा सकता है।
पिछले छह महीनों में पहली बार जनवरी में चीन में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट आयी है। जनवरी में एचएसबीसी पीएमआई बीते दिसंबर के 50.5 के मुकाबले गिर कर जनवरी में 49.6 रह गया। लेकिन चीन में सोने की माँग काफी बढ़ रही है। ऐसे में इन्होंने अपने दो विदेशी बैंकों को सोने के आयात की अनुमति दी है। चीन ने पहली बार ऐसा किया है। यह दिखाता है कि सोने के आयात के लिहाज इनका बाजार काफी विकसित हो रहा है। संभावना है कि चीन की ओर से आ रही इस माँग की वजह से सोने की खरीदारी का रुझान थोड़ा बढ़ेगा। साथ ही साथ यह भी अहम है कि शंघाई गोल्ड एक्सचेंज में सोने का प्रीमियम काफी बढ़ गया, जो निकट अवधि में माँग बढऩे का संकेत है। वैसे भी लूनर न्यू ईयर अवकाश आने वाला है और आम तौर पर इस अवसर पर चीन में सोने में बेहतर माँग उभरती है। तो इस अवकाश से पहले माँग अच्छी है और आगे यह अधिक बेहतर हो सकती है।
लेकिन चीन के उलट भारत की ओर से माँग इतनी मजबूत नहीं है। जनवरी के दूसरे हफ्ते में इन खबरों के बीच देश में सोने के प्रीमियम में भारी गिरावट आ गयी कि यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने सरकार से स्वर्ण आयात प्रतिबंधों की समीक्षा करने को कहा है। ध्यान रहे कि बढ़ते चालू खाते के घाटे को थामने के उद्देश्य से पिछले साल सोने पर आयात शुल्क बढ़ा कर 10% कर दिया गया था। हालाँकि बाद में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने साफ किया कि इसमें तब तक कोई बदलाव नहीं किया जायेगा जब तक चालू खाते का घाटा पूरी तरह नियंत्रण में न आ जाये। हालाँकि उन्होंने यह संकेत भी दिये कि मौजूदा कारोबारी साल के खत्म होने के बाद इन प्रतिबंधों की समीक्षा की जा सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक 28 जनवरी को होने वाली है। महँगाई में हालाँकि नरमी आयी है लेकिन आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कोई बदलाव किये जाने की संभावना नहीं है। लेकिन अगर आरबीआई ने ब्याज दरों में कमी कर दी तो व्यवस्था में अधिक नकदी उपलब्ध होगी और इसकी वजह से सोने की कीमत पर नकारात्मक असर पड़ता दिख सकता है।
रुपया अभी भी ऊपर की ओर 61 रुपये के स्तर को तोड़ नहीं पा रहा है। साथ ही साथ भारतीय शेयर बाजार में भी कमजोरी देखने को मिल रही है। अगर आने वाले दिनों में यह रुझान देखने को मिला तो सोने में एक बार फिर थोड़ी तेजी देखने को मिल सकती है।
अगले एक महीने की बात करें तो भारतीय बाजार में सोना 28,000-30,500 रुपये के दायरे में रह सकता है। यदि घरेलू बाजार में सोना 29,650 रुपये के ऊपर बंद होने में कामयाब होता है तो आने वाले दिनों में यह 30,500-30,800 रुपये तक चढ़ सकता है। दूसरी ओर यदि यह 28,800 रुपये के नीचे फिसला तो इसमें गिरावट बढ़ सकती है।
(निवेश मंथन, फरवरी 2014)