हालाँकि कर बचाने के लिए करदाताओं के पास कई डेट-आधारित विकल्प हैं,
लेकिन इस मामले में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) का कोई जवाब नहीं। पीपीएफ लंबी अवधि की कर मुक्त निवेश योजना है। इसकी अवधि 15 साल होती है, लेकिन इसे अतिरिक्त 5 सालों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। पीपीएफ में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,00,000 रुपये तक निवेश किया जा सकता है। किसी वित्त वर्ष में पीपीएफ में किया जाने वाला निवेश सहूलियत के अनुसार किस्तों में भी किया जा सकता है। पीपीएफ निवेश पर मिलने वाला ब्याज प्रत्येक साल तय किया जाता है।
बोनांजा पोर्टफोलिओ के एसोसिएट फंड मैनेजर हिरेन ढकान कहते हैं, ‘अपनी ईईई कर व्यवस्था की वजह से पीपीएफ बाकी सारे विकल्पों को पछाड़ देता है। ईईई का मतलब है कि तीन चरणों में से किसी में भी इस पर कर नहीं लगता, न तो इसमें निवेश के समय कर लगता है, न इस पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगता है और न ही इसकी निकासी के समय। इसका मतलब कि अगर आप पाँच सालों की बैंक एफडी, एनएससी और बीमा योजनाओं आदि से मिलने वाले कर-पश्चात रिटर्न की पीपीएफ से मिलने वाले रिटर्न से तुलना करें तो पीपीएफ बाकी को काफी पीछे छोड़ देता है।' पीपीएफ निवेश पर मिलने वाला ब्याज प्रत्येक साल तय किया जाता है और यह 10 सालों की सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) पर मिलने वाले तात्कालिक यील्ड से कुछ आधार अंक अधिक होता है। अभी इससे मिलने वाला सालाना रिटर्न 8.7% है, जो कर-मुक्त है। यह रिटर्न 30% की आय कर श्रेणी में आने वाले व्यक्ति के लिए एफडी से मिलने वाले 12.4% रिटर्न के समतुल्य है।
ढकान कहते हैं, ‘यदि कोई व्यक्ति निश्चित-आय वाले विकल्पों की तलाश कर रहा है तो उसके लिए सलाह है कि वह हर साल अपनी एक लाख रुपये की निवेश-सीमा का पूरा इस्तेमाल कर ले। जो लोग अपनी सेवानिवृत्ति के बाद के लिए पीपीएफ में पैसे लगा रहे हैं, वे पीपीएफ में निवेश की अपनी योजना इस तरह बनायें कि उनका यह खाता उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि के आसपास परिपक्व हो।'
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस)
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर अर्णव पांड्या के अनुसार, ‘पोस्ट ऑफिसों में उपलब्ध वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) ऐसे लोगों के लिए एक बेहतरीन कर-बचत विकल्प है जो 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं और मध्यम अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं।' हालाँकि इस योजना के लिए 55 साल से अधिक उम्र के वे लोग भी योग्य माने जाते हैं, जिन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली हो। साथ ही रक्षा सेवा से सेवानिवृत्त हुए वे लोग भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं जो इससे संबंधित अन्य शर्तों को पूरा करते हैं, भले ही इनकी उम्र कुछ भी हो। पांड्या के अनुसार, ‘वरिष्ठ नागरिक बचत योजना का इस्तेमाल एक नियमित आय विकल्प के तौर पर भी किया जाता है। यह ऐसे वरिष्ठ जनों के लिए बेहतर तरीके से नियमित आय मुहैया कराता है जो आय कर के किसी दायरे में नहीं आते।'
इस योजना के तहत न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम 15 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है। इस पर हर तिमाही ब्याज दिया जाता है। लेकिन एससीएसएस में हर साल अधिकतम एक लाख रुपये के निवेश पर ही धारा 80सी के तहत आय कर से छूट मिलती है। इसका मतलब यह कि आय कर देनदारी तय करते समय उस निवेशक की कुल कर-योग्य आय में से एससीएसएस में निवेशित अधिकतम एक लाख रुपये घटा दिया जाता है। जिन वरिष्ठ नागरिकों के पास निवेश के लिए बड़ी राशि है और एससीएसएस के जरिये अधिक से अधिक कर-छूट हासिल करना चाहते हैं, उनको चाहिए कि वे एक साल में एकमुश्त राशि इसमें जमा न करें। वे इस राशि को कुछ सालों में बाँट कर इस योजना में जमा करेंगे तो उनको अधिक कर-छूट हासिल होगी। हालाँकि ब्याज के मोर्चे पर इसमें कोई कर छूट नहीं मिलती और उसे कर-योग्य आय में जोड़ दिया जाता है। साल 2013-14 के लिए इस पर सालाना 9.2% की दर से ब्याज उपलब्ध है।
बैंक मियादी जमा (एफडी)
इसके अलावा कोई निवेशक कर बचाने के लिए टैक्स सेविंग बैंक एफडी का भी सहारा ले सकता है। मियादी जमाओं की इस विशेष श्रेणी में निवेश करने पर निवेशक को धारा 80सी के तहत कर से छूट मिलती है। बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, %निवेशक को कर बचत का लाभ देने वाली इस मियादी जमा की लॉक-इन अवधि पाँच साल होती है। परिपक्वता से पहले इसमें से निकासी संभव नहीं है। इसके अलावा मियादी जमा के बदले कर्ज (लोन एगेन्स्ट एफडी) और स्वत: नवीनीकरण जैसी सुविधाएँ भी इन योजनाओं में नहीं मिलतीं।Ó
शेट्टी आगे कहते हैं, ‘इसमें अधिकतम एक लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। कर बचत का लाभ देने वाली इन मियादी जमा योजनाओं से मिलने वाले ब्याज पर आय कर लगता है। इसका मतलब यह है कि इस ब्याज को उस व्यक्ति की कर-योग्य आय में जोड़ दिया जाता है।' ध्यान रहे कि आय कर अधिनियम की धारा 80टीटीए के तहत बचत खाते पर मिला 10,000 रुपये तक का ब्याज कर-मुक्त होता है, न कि मियादी या आवर्ती जमा पर। शेट्टी के अनुसार, ‘हासिल होने वाले रिटर्न के लिहाज से देखें तो यह खास आकर्षक नहीं दिखती, लेकिन उन लोगों के लिए यह बचत प्रोत्साहित करने का एक विकल्प अवश्य हो सकती है जो अपना करियर आरंभ कर रहे हैं।'
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)
इसके अतिरिक्त नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करने पर भी धारा 80सी के तहत कर-बचत होती है। मूल रूप से यह सेवानिवृत्ति के बाद आय हासिल करने का तरीका है। ढकान बताते हैं, ‘यह ऐसा विकल्प है जिसके जरिये कोई निवेशक एक योजना के माध्यम से काफी कम लागत में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों- जैसे इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉण्ड और सरकारी बॉण्ड- में निवेश कर सकता है।' यह खाताधारक के 60 साल (सेवानिवृत्ति की सामान्य आयु) के होने के समय परिपक्व होती है और उस समय वह कुल पूँजी का अधिकतम 60% एकमुश्त निकाल सकता है। बाकी राशि का इस्तेमाल एक एन्युटी योजना खरीदने में किया जाता है ताकि उसे जीवनपर्यंत नियमित पेंशन आय मिलती रहे।
इस तरह जहाँ पीपीएफ महज एक निवेश योजना है, वहीं एनपीएस निवेश के साथ ही साथ पेंशन लाभ भी मुहैया कराता है। इसके अलावा पीपीएफ 15 सालों की एक योजना है, जबकि एनपीएस उस निवेशक के 60 साल के होने तक चलता रहता है। ढकान कहते हैं, ‘ऐसे में उन लोगों के लिए एनपीएस एक बेहतर विकल्प हो सकता है जो कम उम्र में (20-30 साल की आयु में) ही यह योजना बना लेते हैं कि उन्हें कब रिटायर होना है। इसके अलावा उन लोगों के लिए भी एनपीएस एक अच्छा विकल्प है जो केवल ऋण विकल्पों में ही निवेश न करके इक्विटी और ऋण योजनाओं के मिश्रण में इच्छानुरूप निवेश करना चाहते हैं।'
राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र
इसके अलावा राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) भी कर बचाने का एक जरिया बन सकता है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर अनिल कौल के अनुसार, ‘इस योजना में जमा किये गये धन को आय कर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत उस व्यक्ति की कुल कर-योग्य में से घटा दिया जाता है। लेकिन इस मद में अधिकतम एक लाख रुपये की ही कटौती संभव है। यह दो परिपक्वता अवधियों- पाँच साल और दस साल- के लिए उपलब्ध है। परिपक्वता से पूर्व इनसे निकासी संभव नहीं है।' हालाँकि जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में परिपक्वता से पहले भी एनएससी से निकासी संभव है।
एनएससी में न्यूनतम 100 रुपये से निवेश किया जा सकता है। इसमें निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। इस प्रमाण पत्र को गिरवी रख कर कर्ज भी लिया जा सकता है। साल 2013-14 के लिए पाँच सालों के एनएससी पर 8.5% और दस सालों के एनएससी पर 8.8% ब्याज उपलब्ध है।
लेकिन कौल एक अहम बात की ओर ध्यान दिलाते हैं। उनके अनुसार, ‘एनएससी की परिपक्वता पर मिलने वाले ब्याज को उस व्यक्ति की कर-योग्य आय में जोड़ दिया जाता है।'
इन्फ्रा बॉण्ड
इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति इन्फ्रा बॉण्ड में निवेश करता है तो आय कर अधिनियम 1961 की धारा 80सीसीएफ के तहत उसके कर-योग्य आय में से 20,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती उसे हासिल होती है। हालाँकि इससे मिलने वाले रिटर्न पर कर लगता है।
अगर पाँच सालों की बैंक एफडी, एनएससी और बीमा योजनाओं आदि से मिलने वाले कर-पश्चात रिटर्न की पीपीएफ से मिलने वाले रिटर्न से तुलना करें तो पीपीएफ बाकी को काफी पीछे छोड़ देता है।
हिरेन ढकान, एसोसिएट फंड मैनेजर, बोनांजा पोर्टफोलिओ
पोस्ट ऑफिसों में उपलब्ध वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) ऐसे लोगों के लिए कर बचत का एक बेहतरीन विकल्प है, जो 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं और मध्यम अवधि के लिए निवेश पर नियत लाभ पाना चाहते हैं।
अर्णव पांड्या, सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर
राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र पाँच साल और दस साल की परिपक्वता अवधियों के लिए उपलब्ध है। इसकी परिपक्वता पर मिलने वाले ब्याज को उस व्यक्ति की कर-योग्य आय में जोड़ दिया जाता है।
अनिल कौल, सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर
हासिल होने वाले रिटर्न के लिहाज से देखें तो टैक्स सेविंग बैंक एफडी खास आकर्षक नहीं दिखती, लेकिन उन लोगों के लिए यह बचत प्रोत्साहित करने का एक विकल्प अवश्य हो सकती है जो अपना करियर आरंभ कर रहे हैं।
आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार डॉट कॉम
(निवेश मंथन, फरवरी 2014)