अचानक कई बार छोटे-मँझोले शेयरों में बेतहाशा बिकवाली शुरू हो जाने के मामले कई बार सामने आते रहे हैं और अमूमन इनके पीछे बड़ी मात्रा में प्रमोटरों के शेयर गिरवी रखे होने की कहानी सामने आती है।
इस समय शेयर बाजार का माहौल कुछ डाँवाडोल-सा है। ऐसे में निवेशकों को उन शेयरों के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए, जहाँ प्रमोटरों के गिरवी शेयरों की मात्रा काफी है। शेयरों को गिरवी रख कर नकदी जुटाना एक प्रचलित तरीका है, लेकिन एक हद से ज्यादा गिरवी शेयरों को बढ़े हुए जोखिम के रूप में ही देखना चाहिए।
इडेलवाइज सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 की पहली तिमाही के नतीजे घोषित करने वाली 3,334 कंपनियों में से 660 कंपनियों के प्रमोटरों ने अपने शेयर गिरवी रखे हैं। गिरवी शेयरों की सूची में आने वाले नये नामों में कैर्न इंडिया पर खास निगाह जाती है। साल 2012-13 की चौथी तिमाही तक कैर्न इंडिया के प्रमोटरों के गिरवी शेयरों की मात्रा शून्य थी, लेकिन अब इसके प्रमोटरों के 65.81% शेयर गिरवी हैं। ये गिरवी शेयर कंपनी की कुल चुकता पूँजी के 38.68% के बराबर हैं और इनका मूल्य 218 अरब रुपये है। गिरवी शेयरों के मूल्य के आधार पर अब कैर्न इंडिया सबसे ऊपर है।
पिछले कारोबारी साल की चौथी तिमाही और 2013-14 की पहली तिमाही के दरम्यान जिन कंपनियों के प्रमोटरों के गिरवी शेयरों का प्रतिशत बढ़ता दिखा है, उनमें जेएसडब्लू एनर्जी (32.76% से बढ़ कर 49.73%), डिश टीवी (57.67% से बढ़ कर 65.24%) और अशोक लेलैंड (7.05% से बढ़ कर 14.11%) प्रमुख हैं। इडेलवाइज ने जिक्र किया है कि क्रॉम्प्टन ग्रीव्स के प्रमोटरों के गिरवी शेयरों की मात्रा पिछली कुछ तिमाहियों में लगातार बढ़ती रही है। साल 2012-13 की पहली तिमाही में इसके 5.18% प्रमोटर शेयर गिरवी थे, लेकिन 2013-14 की पहली तिमाही के बाद यह मात्रा बढ़ कर 64.18% हो गयी है। जाहिर है कि यह रुझान क्रॉम्प्टन ग्रीव्स के शेयरधारकों के लिए बहुत चिंताजनक है।
वायदा बाजार में शामिल शेयरों में यूनिटेक के प्रमोटरों के गिरवी शेयर 75.73% से बढ़ कर 81.11% पर पहुँच गये हैं। इसके अलावा जीएमआर इन्फ्रा में यह मात्रा 36.81% से बढ़ कर 39.99% हो गयी है।
वहीं ऐसे कई नाम हैं, जिनके प्रमोटरों की समूची 100% हिस्सेदारी ही गिरवी रखी हुई है। सिनेमैक्स इंडिया, स्टीलको गुजरात, रुनीचा टेक्सटाइल, ईएसआई, इंड-स्विफ्ट लैब, साल स्टील, तूतीकोरिन अल्कली, गुजरात पिपावाव पोर्ट, सूर्यज्योति स्पिनिंग, गणेश बेंजोप्लास्ट, केएस ऑयल और सुजाना मेटल ऐसे ही नाम हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसी कंपनियाँ हैं, जिनके प्रमोटरों के लगभग 99% या इससे भी ज्यादा शेयर गिरवी रखे हैं। ऐसे कुछ चर्चित नामों में सुजलॉन, एस्सार पोट्र्स और एल्डर फार्मा को गिना जा सकता है। वोकहार्ट में भी लगातार प्रमोटरों के गिरवी शेयर काफी ऊँचे स्तर पर हैं। अभी इसके 87% प्रमोटर शेयर गिरवी हैं।
निफ्टी के 50 दिग्गजों में कैर्न के बाद एशियन पेंट्स के 16.15% प्रमोटर शेयर गिरवी हैं। दूसरी ओर टाटा समूह की कई बड़ी कंपनियों में गिरवी प्रमोटर शेयरों की मात्रा घटी है।
बीते तीन महीनों के दौरान गिरवी प्रमोटर शेयरों की मात्रा टाटा मोटर्स में 7.66% से घट कर 5.96%, टीसीएस में 4.78% से घट कर 3.11% और टाटा पावर में 6.76% से घट कर 4.59% पर आ गयी है।
अगर 25 अरब रुपये से ज्यादा बाजार पूँजी वाली श्रेणी में देखें तो अदानी पावर, रेलिगेयर इंटरप्राइजेज, अरबिंद फार्मा, ईमामी और भूषण स्टील में गिरवी प्रमोटर शेयरों में सबसे ज्यादा कमी आयी है।
(निवेश मंथन, अगस्त 2013)