सुगंधा सचदेव, धातु विश्लेषक, रेलिगेयर कमोडिटीज :
जून के शुरुआती दिनों में अमेरिका में बॉन्ड खरीदारी जारी रहने की उम्मीद से सोने की कीमतों में तेजी रही।
चीन में अच्छी माँग से भी सोने की कीमतों को सहारा मिला। लेकिन बाद में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने अमेरिका की रेटिंग पर अपना नजरिया नकारात्मक से स्थिर कर दिया, जिससे सोना यह तेजी बनाये रखने में नाकाम रहा। बाजार में यह चिंता बढ़ी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुधरती सेहत को देखते हुए फेडरल रिजर्व बॉन्ड खरीदारी कार्यक्रम रोक सकता है।
भारत में सोने पर आयात शुल्क 6% से बढ़ा कर 8% करने से सोने की कीमतों पर और दबाव बढ़ा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बॉन्ड खरीदारी रोकने के साफ संकेतों के बाद सोने में गिरावट और बढ़ गयी। इसका नतीजा दो साल में साप्ताहिक स्तर पर सबसे बड़ी गिरावट के तौर पर सामने आया। फेडरल रिजर्व की 85 अरब डॉलर प्रति महीने की बॉन्ड खरीदारी से सोने की कीमतों को बीते समय में सहारा मिलता रहा है। वहीं सोने की निवेश माँग लगातार घट रही है। इस साल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ की होल्डिंग 485 टन घटी है।
जून के दौरान कॉमेक्स पर सोना 11% से ज्यादा टूट कर 1200 डॉलर के नीचे फिसल गया। हालाँकि एमसीएक्स पर सोने का हाल उतना बुरा नहीं रहा और गिरावट 5% तक सीमित रही। ऐसा डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी की वजह से हुआ। इस दौरान एमसीएक्स पर एक समय कीमतें 25300 रुपये प्रति 10 ग्राम के पिछले निचले स्तर से नीचे फिसल गयी थीं, हालांकि सोना इससे ऊपर बंद होने में कामयाब रहा। अप्रैल में भी इसी स्तर ने सोने को सहारा दिया था। इससे निचले स्तर पर खरीदारी के संकेत मिल रहे हैं।
कॉमेक्स पर छोटी अवधि के लिए 1180-1160 डॉलर प्रति औंस अहम समर्थन स्तर है। वहीं तेजी की स्थिति में 1300-1320 डॉलर प्रति औंस बाधा का स्तर साबित होने की उम्मीद है। सोने में अगर कमजोरी जारी रही और कॉमेक्स पर यह 1320 पार करने में नाकाम रहा तो घरेलू बाजार में सोना 24400 और फिर 23800 प्रति 10 ग्राम तक फिसल सकता है। बाजार हद से ज्यादा बिकवाली की स्थिति में दिख रहा है और एक राहत वाली तेजी दिख सकती है। ऐसे में हमारी कारोबारियों को सलाह है कि निचले स्तर पर बिकवाली के बजाय इसके लिए तेजी का इंतजार करना चाहिए।
जून के दौरान चाँदी में लगातार सातवें महीने गिरावट रही। एमसीएक्स पर चाँदी 7% से ज्यादा लुढ़क गयी। कॉमेक्स पर तो चाँदी का हाल और बुरा रहा, जहाँ यह 12% से ज्यादा फिसल गयी। फेडरल रिजर्व के बॉन्ड खरीदारी की रफ्तार घटाने संकेतों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाँदी की कीमतें सितंबर 2010 के बाद के सबसे निचले स्तर पर लुढ़क कर 19.35 डॉलर प्रति औंस पर पहुँच गयीं। चीन में आर्थिक सुस्ती के संकेतों से चाँदी में बिकवाली का दबाव और बढ़ा।
एमसीएक्स पर चाँदी इस साल 40% से ज्यादा टूट चुकी है। मई और जून में अमेरिका में नौकरियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए चाँदी की निवेश माँग कम हुई है। वहीं दूसरी ओर आईएमएफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर अनुमान 2.4% से घटा कर 2.2% कर दिया है। इससे चाँदी की औद्योगिक माँग पर और बुरा असर पडऩे की आशंका है।
हालाँकि निचले स्तर पर खरीदारी उभरने से कीमतों को सहारा मिला है। निकट अवधि में हाजिर बाजार में सोने की बिक्री बढऩे से कीमतों को सहारा मिल सकता है। अच्छे मॉनसून की वजह से किसानों की बढऩे की उम्मीद है, जिससे 2013 की दूसरी छमाही में भारत में चाँदी की भौतिक माँग में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
जून में कॉमेक्स पर चाँदी की कीमत 20 डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिर कर तीन साल के निचले स्तर पर आ गयी। एमसीएक्स पर चाँदी की कीमत 40000 रुपये प्रति किलो के अहम स्तर से नीचे फिसल गयी। तकनीकी चार्ट पर बोलिंजर बैंड की मध्य रेखा के नीचे रहने से निकट भविष्य में इसमें कमजोरी के संकेत मिल रहे हैं। आरएसआई संकेतक से भी चाँदी में मंदी के रुझान मिल रहे हैं। मंदी के इस रुझान के बीच एमसीएक्स पर चाँदी को 37670 पर सहारा मिलने की उम्मीद है, जो 61.8% वापसी का स्तर है। दूसरी ओर अगर चाँदी 40000 के ऊपर टिकने में कामयाब रहती है तो छोटी अवधि में तेजी दिख सकती है और यह 42000/42500 के बाधा स्तर तक पहुँच सकती है। इस स्तर पर मंदडिय़े बिकवाली बढ़ा सकते हैं।
(निवेश मंथन, जुलाई 2013)