विवेक नेगी, डायरेक्टर, रिसर्च, फिनेथिक वेल्थ सर्विसेस:
किसी खास समय में शेयर की कीमत के उतार-चढ़ाव के दौरान पट्टियों (चैनल) का बनना बेहद अहम है।
दो या इससे अधिक उच्च स्तरों और उनके साथ-साथ के निचले स्तरों को जोडऩे से पट्टियाँ बनती हैं। ये पट्टियाँ कारोबारियों को शेयर की पट्टी के भीतर या बाहर की चाल को समझते हुए फैसला लेने में मदद करती हैं। जब तक शेयर या सूचकांक किसी पट्टी को ऊपर या नीचे न तोड़े, तब तक वह पट्टी के भीतर चलता रहता है।
पट्टियाँ कई प्रकार की हो सकती हैं। इनमें से एक है चढ़ती पट्टी। यह ऊपरी शिखरों और ऊपरी तलहटियों से बनती है। दूसरी है गिरती पट्टी, जो निचली तलहटियों और निचले शिखरों से बनती है। अंतिम है सपाट पट्टी, जो शेयर के एक स्तर के आसपास ठहराव (कंसोलिडेशन) के दौरान बनती है। आमतौर पर माना जाता है कि कोई शेयर जितने लंबे समय तक एक पट्टी में चलता रहे, उसकी ऊपरी चाल (ब्रेकआउट) या निचली चाल (ब्रेकडाउन) उतनी ही तीखी होती है।
हमने शेयरों को चढ़ती, गिरती या सपाट पट्टी में चलते रहने के बाद उनमें बड़ी चाल के कई वाकये देखे हैं। किसी चार्ट पर विभिन्न रुझान रेखाओं को खींच कर पट्टी तलाशी जा सकती है। जैसा कि हम जानते हैं, दुनिया भर में तकनीकी विश्लेषण में रुझान रेखाएँ सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ये आपको शेयर की दिशा और कीमत की रफ्तार समझने में मदद करती हैं।
पट्टियों से शेयर का समर्थन स्तर और बाधा स्तर समझने में भी मदद मिल सकती है। छोटी अवधि की पट्टियाँ मध्यम और लंबे अवधि के रुझानों के जमने (कंसोलिडेशन) का वक्त होती हैं। इसे चार्ट की मदद से समझा जा सकता है।
यहाँ निफ्टी का साप्ताहिक चार्ट दिया गया है। हम देख सकते हैं कि निफ्टी ऊपरी चाल से पहले पट्टी के भीतर घूमती रही। एक चतुर कारोबारी इस पट्टी के निचले सिरे के पास जाने पर खरीदेगा और पट्टी की रुझान रेखा के नीचे घाटा काटने का स्तर तय करेगा। इसी तरह वह पट्टी के ऊपरी शिखर के करीब पहुँचने पर बिकवाली करेगा और पट्टी के ऊपरी शिखर के ऊपर घाटा काटने का स्तर तय करेगा।
सभी अवधियों के लिए पट्टियाँ अहम होती हैं। इसे घंटेवार, दैनिक या साप्ताहिक चार्ट पर पहचाना जा सकता है। कैंडलस्टिक चार्ट से पट्टियों की बेहतर समझ बनती हैं और बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है।
इसी तरह हम दूसरे शेयरों में भी पट्टियों के बनने की अहमियत देख सकते हैं। जब कोई शेयर या सूचंकाक एक पट्टी में प्रवेश करता है तो उसकी चाल एक सीमित दायरे में होती है। वह शेयर ऊपर या नीचे की ओर बड़ी चाल आने तक लगातार पट्टी में चलता रहेगा। शेयर के पट्टी को ऊपर की ओर तोडऩे से तेजी और नीचे की ओर तोडऩे से मंदी का रुझान बनेगा। इस तरह जब कोई शेयर या सूचकांक एक पट्टी में चलने लगता है तो निवेशकों के सामने एक साफ तस्वीर होती है कि उन्हें कैसी रणनीति अपनानी है।
(निवेश मंथन, जुलाई 2013)