सुशांत शेखर:
शेयर बाजार नियामक सेबी ने आठ अप्रैल से कम कारोबार वाले यानी इल्लिक्विड शेयरों में कारोबार का नया तरीका शुरू कर दिया है।
इल्लिक्विड शेयरों में अब सामान्य ट्रेडिंग के बजाय हर घंटे कॉल ऑक्शन के तहत ट्रेडिंग हो रही है। सेबी ने इल्लिक्विड शेयरों में तेज उतार-चढ़ाव और गड़बड़ी रोकने के लिए यह कदम उठाया है। लेकिन यह नया तरीका निवेशकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। साथ ही इससे कारोबार बढऩे के बजाय घट गया है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने 2000 से ज्यादा शेयरों को इल्लिक्विड शेयर की श्रेणी में डाला है। कॉल ऑक्शन से कारोबार के पहले दिन एनएसई पर इन शेयरों में कारोबार 25% घट कर केवल 7156 करोड़ रुपये का हुआ। बीएसई पर कारोबार 18% घट कर 1371 करोड़ रुपये रह गया। पहले दिन एनएसई में इस श्रेणी के 13% और बीएसई में 18% शेयरों में एक भी सौदा ही नहीं हुआ।
सेबी ने इल्लिक्विड शेयरों की श्रेणी के लिए तीन मानदंड तय किये हैं :
1. एक तिमाही के दौरान शेयर में रोजाना औसत कारोबार 10,000 शेयर से कम हो।
2. एक तिमाही के दौराना रोजाना औसत सौदों (ट्रेड) की संख्या 50 से कम हो।
3. वह शेयर एक्सचेंज में पहले से ही इल्लिक्विड शेयर के तौर पर दर्ज हो।
नयी व्यवस्था की व्यावहारिक दिक्कतें
हर घंटे कॉल ऑक्शन से ट्रेडिंग का नया तरीका दफ्तर जाने वालों के साथ ब्रोकरों के लिए भी मुसीबत भरा है। पहले आप जब चाहे ऑर्डर डाल सकते थे और दिन भर में कभी भी भाव आने पर सौदा हो जाता था। लेकिन अब हर घंटे के दौरान तय 8 मिनट के दौरान ही सौदे होंगे और अगर भाव नहीं आया तो दोबारा ऑर्डर डालने पडेंगे। मतलब आपको अपने ब्रोकर को हर घंटे फोन करना पड़ेगा।
नयी प्रणाली लागू होने के बाद इल्लिक्विड शेयरों में कारोबार की मात्रा काफी घट जाने के चलते ऐसे शेयरों में निवेशकों के और फँस जाने का खतरा पैदा हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक इल्लिक्विड शेयरों में निवेशकों के 80,000 से एक लाख करोड़ रुपये फँसे हैं। साथ ही 1.32 करोड़ फोलिओधारकों के पास इल्लिक्विड शेयर हैं। आशंका जतायी जा रही है कि हर घंटे कॉल ऑक्शन के जरिये ट्रेडिंग से इन शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी और घट जायेगी। इससे निवेशकों के लिए ऐसे शेयर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जायेगा।
इल्लिक्विड शेयरों में कारोबारी मात्रा घटने से छोटी कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ जायेंगी। इससे धीरे-धीरे छोटी कंपनियों के सामने शेयर बाजार से बाहर हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही इन छोटी कंपनियों के लिए शेयर बाजार से पूँजी जुटाना मुश्किल हो सकता है।
किसी शेयर को इल्लिक्विड श्रेणी में डालने का मुख्य आधार कारोबार की मात्रा है। लेकिन किसी छोटे शेयर में कारोबार की मात्रा कृत्रिम तरीके से बढ़ाना कोई मुश्किल काम नहीं है। सेबी ने एक तिमाही में औसतन रोजाना 10,000 शेयर के ट्रेडिंग की शर्त रखी है। अगर शेयर की कीमत 50 पैसे है तो महज 5000 रुपये की खरीद-बिक्री से 10000 शेयरों की कारोबारी मात्रा बन जायेगी। किसी एक दिन बड़ी संख्या में खरीद-बिक्री से भी इन शर्तों को पूरा किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, वेस्टलाइफ डेवलपमेंट में औसतन रोजाना 10 शेयरों का ही कारोबार हो रहा था, लेकिन 22 मार्च को इसमें छह लाख से ज़्यादा शेयरों का कारोबार हुआ, जिससे यह इल्लिक्विड शेयर की श्रेणी में आने से बच गया।
जब निवेश मंथन ने स्टॉक एक्सचेंजों की प्रतिक्रिया लेनी चाही तो कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं मिली। मगर अनौपचारिक रूप से पता चला कि एक्सचेंज भी इस व्यवस्था से नाखुश हैं। एक्सचेंजों की राय है कि गड़बडिय़ों को तो सख्त निगरानी से ही रोका जा सकता है। पर एक्सचेंज के अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि लोग जब नयी व्यवस्था से ठीक से परिचित हो जायेंगे तो कारोबारी मात्रा में सुधार आयेगा।
(निवेश मंथन, जून 2013)