कारोबारी साल 2012-13 के दौरान जीवन बीमा के प्रीमियम वसूली में 6% की गिरावट दर्ज की गयी है।
एसबीआई लाइफ और रिलायंस लाइफ जैसी प्रमुख कंपनियों की प्रीमियम आय घटी। बीमा नियामक आईआरडीए के आँकड़ों के अनुसार, कारोबारी साल 2012-13 में देश के 24 जीवन बीमा कंपनियों की कुल प्रीमियम आय घट कर 1,07,011 करोड़ रुपये रह गयी। अभी सात ऐसी जीवन बीमा कंपनियाँ हैं, जिनकी प्रीमियम आय 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इनमें रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस की प्रीमियम आय 23.92% घट कर 1,377 करोड़ रुपये रह गयी। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की प्रीमियम आय 20% गिर कर 5,184 करोड़ रुपये रह गयी। इस दौरान एलआईसी की प्रीमियम वसूली भी 6.4% घट कर 76,246 करोड़ रुपये रही। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने 5.2% और बिड़ला सनलाइफ ने प्रीमियम आय में 4.6% गिरावट दर्ज की। हालाँकि एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ ने इस दौरान 15.7% और बजाज एलायंज ने 10.2% की बढोतरी दर्ज की गयी।
वाहन में काले शीशे होने पर नहीं मिलेगा बीमा भुगतान
अब किसी वाहन के शीशे निर्धारित मानक से अधिक काले हों तो दुर्घटना पर बीमा कंपनियों से मिलने वाले भुगतान से हाथ धोना पड़ सकता है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने बीमा नियामक आईआरडीए को पत्र लिख कर ऐसी व्यवस्था करने को कहा है। मंत्रालय ने आईआरडीए से कहा है कि टिंटेड ग्लास या सोलर फिल्म के इस्तेमाल को बीमा पॉलिसी में वारंटी की शर्तों के उल्लंघनों में शामिल किया जाये।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अप्रैल में टिंटेड यानी काली प्लास्टिक फिल्मों के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी। न्यायालय ने इसके अमल के लिए मई तक की समय सीमा भी दी थी। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार विंडस्क्रीन और रियर विंडो में 70% प्रकाश की पारदर्शिता होनी चाहिए। साइड विंडो के लिए यह सीमा 50% पारदर्शिता की है।
स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आयुर्वेद चिकित्सा शामिल
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथिक चिकित्सा को भी स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने का निर्णय लिया है। बीमा नियामक आईआरडीए के अनुसार अब स्वास्थ्य बीमा का लाभ आयुष यानी आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि के मरीजों को भी मिलेगा। इस प्रकार गैर ऐलोपैथिक चिकित्सा करवाने पर भी उसके खर्चे बीमा कंपनियाँ वहन करेंगी। हालाँकि इसमें एक शर्त रखी गयी है कि यह चिकित्सा सरकारी या मान्यता प्राप्त संस्थानों में करायी जाये। इससे पहले बीमा कंपनियाँ केवल एलोपैथिक चिकित्सा करवाने पर ही उसका खर्च वहन करती थीं। प्राचीन काल से ही हमारे देश में आयुर्वेद का उपयोग किया जाता है। दक्षिण के राज्यों में सिद्ध का चलन रहा है। कहा जाता है कि यूनानी चिकित्सा को मुगल अपने साथ लेकर आये थे।
कोबरापोस्ट स्टिंग के बाद केवाईसी पर आरबीआई सख्त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) केवाईसी यानी ‘अपने ग्राहक को जानो’ को लेकर सख्त हुआ है। तीन बड़े निजी बैंकों के स्टिंग ऑपरेशन के बाद कोबरापोस्ट ने दावा किया था कि बैंक काले धन के खेल का हिस्सा बन रहे हैं। इसने स्टिंग के दूसरे चरण में 23 सरकारी बैंकों और 4 बीमा कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे काले धन को सफेद बनाने में संलिप्त हैं। इसने मनी लॉंन्ड्रिंग में उनके शामिल होने का गंभीर आरोप भी लगाया। लेकिन पहले चरण के आरोपों की जाँच के बाद आरबीआई ने बैंकों को म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसी वगैरह बेचते समय केवाईसी नियमों का सख्ती से पालन नहीं करने का दोषी माना है। साथ ही इसका कहना है कि बैंक नकद लेन-देन की रिपोर्ट भी ठीक से जमा नहीं कर रहे हैं। आरबीआई ने बैंकों को सुझाव दिया है कि बैंक अपने कर्मचारियों को तीसरे पक्ष के उत्पादों की ब्रिकी के संबंध में प्रोत्साहन राशि न दें।
एसबीआई : बंद होगा नि:शुल्क दुर्घटना बीमा
देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने गृह ऋण और कार ऋण लेने वाले ग्राहकों का नि:शुल्क समूह दुर्घटना बीमा पॉलिसी (सिर्फ मृत्यु पर) कराने की सुविधा को बंद करने का निर्णय लिया है। एसबीआई ग्राहकों के लिए यह सुविधा 1 जुलाई 2013 से बंद करने वाला है।
एसबीआई का कहना है कि मौजूदा मास्टर पॉलिसी 1 जुलाई 2013 को समाप्त होने जा रही है और उसके बाद इसे आगे जारी नहीं रखा जायेगा। एसबीआई ने यह भी बताया है कि 1 जुलाई 2013 को या उससे पहले किसी गृह या कार ऋण ग्राहक की दुर्घटना में मृत्यु पर ऋण की बकाया राशि पर दावा किया जायेगा। यह दावा मास्टर पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार ही होगा।
(निवेश मंथन, मई 2013)