सुनील मिंगलानी, तकनीकी विश्लेषक :
आज हम यहाँ कुछ ऐसी संरचनाओं (पैटर्न) की बात करेंगे, जिनके बनने पर बाजार या किसी शेयर की मूल दिशा में परिवर्तन के संकेत मिलते हैं।
ऐसी संरचनाएँ बनने में तीन से छह महीने तक का समय लगता है। ये संरचनाएँ आम तौर पर किसी रुझान के पूरा होते समय शिखर या तलहटी पर बनती हैं।
दोहरी और तिहरी तलहटी
जैसा इसके नाम से ही जाहिर है, यह संरचना किसी शेयर की गिरावट के आखिरी दौर में बनती है। इस संरचना में शेयर भाव दो बार या तीन बार लगभग एक ही स्तर को छूता है, लेकिन उसको नीचे की तरफ काट नहीं पाता है और बीच-बीच में कुछ छोटी उछाल भरता है।
जब शेयर भाव इन बीच की उछालों के ऊपर चला जाता है, तब इस संरचना की पुष्टि हो जाती है। इस स्थिति में हमें पुष्टि होने के बाद इस शेयर को खरीदना चाहिए, जबकि नीचे के समर्थन स्तर को घाटा काटने का स्तर (स्टॉपलॉस) मान कर चलना चाहिए। जैसे जैसे शेयर भाव ऊपर चढ़े, वैसे-वैसे हमें घाटा काटने का स्तर भी ऊपर करते रहना चाहिए।
दोहरा और तिहरा शिखर
यह संरचना दोहरी या तिहरी तलहटी के बिलकुल विपरीत होती है। ऊपर की ओर किसी अच्छी चाल के बाद यह संरचना उस रुझान के शिखर के पास बनती है। इस संरचना में भाव दो या तीन बार ऊपर की तरफ जाने की कोशिश करता है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती। इसके बाद वह नीचे फिसल कर बीच में बनायी हुई कई छोटी-छोटी तलहटियों के नीचे फिसल जाता है।
जब भाव उन सब तलहटियों के नीचे फिसल जाता है, तो इस संरचना की पुष्टि हो जाती है। एक बार यह पुष्टि होने के बाद ऐसे शेयर में हम बिकवाली का सौदा करते हैं, जिसमें घाटा काटने का स्तर उस शिखर के पास होता है, जहाँ शेयर भाव को बाधा मिल रही थी।
गोल शिखर और गोल तलहटी
जैसा इसके नाम से जाहिर है, इस संरचना में शिखर या तलहटी पर गोल यानी अद्र्ध-चंद्र या अंग्रेजी के अक्षर जैसा आकार बनता है। गोल शिखर (राउंडिंग टॉप) की संरचना ऊपर की ओर किसी रुझान के शिखर पर बनती है, जबकि गोल तलहटी (राउंडिंग बॉटम) नीचे के रुझान की तलहटी पर बनती है।
गोल शिखर की संरचना में पुष्टि तब होती है, जब इसके बीच में बनी हुई छोटी तलहटियों से नीचे भाव चला जाये। गोल तलहटी के बीच में बने हुए छोटे शिखरों से ऊपर जाने पर पुष्टि होती है। गोल तलहटी बनने पर खरीदारी का गोल शिखर बनने पर बिकवाली का सौदा करना चाहिए और उस शिखर या तलहटी को घाटा काटने का स्तर मानना चाहिए।
त्रिकोण
इसके भी नाम से ही जाहिर है कि यह संरचना त्रिकोण या त्रिभुज जैसी बनती है। कभी यह त्रिकोण सीधा, कभी ऊपर की तरफ उठा हुआ और कभी नीचे की तरफ झुका हुआ होता है। जैसा आप ऊपर के दो चित्रों में देख रहे हैं, इस संरचना में शेयर का हर नया ऊपरी स्तर पहले वाले शिखर से नीचे बनता है। इसी तरह जब यह नयी तलहटी बनाता है तो हर तलहटी पिछली तलहटी से ऊपर की बनती है। जब हम इन सारे शिखरों और तलहटियों को मिला कर दो रेखाएँ खींचते हैं तो हमें एक त्रिकोण जैसी संरचना मिलती है।
यह संरचना किसी भी शेयर में ऊपर और नीचे दोनों तरफ बनती है। जब तक इस संरचना की पुष्टि न हो जाये, तब तक हम इस शेयर में सौदा नहीं कर सकते। एक बार जब ऐसी संरचना में ऊपर या नीचे की रेखा में से कोई एक कट जाये, तभी इसकी पुष्टि होती है।
तेजी या बिकवाली का सौदा लेने के बाद हमें त्रिकोण के अंदर के भाव को घाटा काटने का स्तर मानना होता है। मतलब एक बार शेयर जब त्रिकोण के बाहर निकल जाता है, तो उसे उसी दिशा में आगे जाना चाहिए, जिस दिशा में उसने संरचना की पुष्टि की है, यानी जिस दिशा में वह त्रिकोण से बाहर निकला है। अगर वह दोबारा त्रिकोण के अंदर लौट आता है तो उसे हमें एक छकाने वाली चाल माननी चाहिए और घाटा काट कर उस शेयर से बाहर हो जाना चाहिए।
(निवेश मंथन, जनवरी 2013)